संपूर्ण क्रांति के लोकनायक जय प्रकाश नारायण की विरासत का असली दावेदार आखिर कौन है? चारा घोटाले में पहली बार जेल जाने के बाद जब लालू प्रसाद यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को ही मुख्यमंत्री बनाने की जिद ठान ली, तब जनता दल से उनका साथ छूट गया। तब से लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार जैसे तमाम नेता खुद को जेपी का असली चेला बताते रहे।
बदले समीकरण में बढ़ी जेपी की अहमियत
जेपी का राजनीति वारिस बताने की होड़ समाजवादियों में ही अधिक रही। कांग्रेस इस मसले पर परहेज करती रही। भाजपा को जेपी से परहेज कभी नहीं रहा। लेकिन, अब समीकरण थोड़ा बदल गया है। राजद और जदयू दोनों कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं। नीतीश कुमार और लालू यादव दोनों अब एक साथ हैं और अब उनका स्वर ‘मैं’ की बजाय ‘हम’ वाला है।
भाजपा अब लोकनायक के मसले पर आक्रामक
भारतीय जनता पार्टी भी संपूर्ण क्रांति आंदोलन में भागीदार रह चुकी है। अब यह पार्टी जेपी की राजनीतिक विरासत को लेकर आक्रामक है। भाजपा की ओर से जेपी की जन्मभूमि सिताब दियारा में इस वर्ष बड़ा आयोजन किया जा रहा है। इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल होंगे।
जेपी के बहाने नीतीश और लालू को घेरने की कोशिश
बिहार में भाजपा की कोशिश है कि जेपी के बहाने नीतीश और लालू दोनों को घेरा जाए। भाजपा कह रही है कि ये दोनों नेता अब कांग्रेस के साथ चले गए, जिसके खिलाफ संपूर्ण क्रांति का शंखनाद किया गया था। भाजपा चाहती है कि उसे ही जेपी की विरासत का असली दावेदार माना जाए।
नीतीश कुमार जाएंगे नगालैंड, जेपी को करेंगे याद
लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर जदयू 11 अक्टूबर को नगालैंड में बड़ा आयोजन करने जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसके मुख्य अतिथि होंगे। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन ङ्क्षसह ऊर्फ ललन ङ्क्षसह ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आयोजन में नगालैंड के स्थानीय लोगों के अलावा वहां बड़ी संख्या में रह रहे बिहार, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के नागरिक शामिल होंगे।
नगालैंड के संदर्भ में बड़ा है जेपी का योगदान
मालूम हो कि 1964 में जेपी ने नगालैंड में शांति बहाली की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके योगदान को आज भी वहां के लोग याद कर रहे हैं। ललन सिंह ने कहा कि नगालैंड में शांति जनता की महत्वपूर्ण मांग है। उन्होंने बताया कि जदयू ने बिना किसी से समझौता किए 2023 में नगालैंड विधानसभा का चुनाव लडऩे का फैसला किया है। 2018 के विधानसभा चुनाव में जदयू को 5.6 प्रतिशत वोट मिला था। एक सीट पर जीत भी हुई थी। उन्होंने दावा किया कि अगले साल के चुनाव में जदयू को अच्छी सफलता मिलेगी।