अपनी सटीक रणनीति से देश की राजनीति में अलग स्थान बनने वाले प्रशांत किशोर अब खुले तौर पर सक्रिय राजनीति में कदम रख चुके हैं. इसकी शुरुआत उन्होंने अपने गृह राज़्य बिहार से कर दी है. पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर ने रविवार से जन सुराज पदयात्रा की शुरूआत की. पीके ने इसकी शुरूआत गांधी जयंती के दिन यानी अक्टूबर को पश्चिमी चंपारण के भितिहरवा से की. इस यात्रा को लेकर बिहार की सियासत में काफी चर्चा है और राजनीतिक दल अपने अपने हिसाब से इस यात्रा का आंकलन भी कर रहे हैं लेकिन प्रशांत किशोर की इस पद यात्रा का मकसद क्या है, ये जानना भी बेहद जरूरी है.
प्रशांत किशोर अपनी यात्रा को लेकर बताते हैं कि आजादी के इतने साल गुजर गए लेकिन बिहार की तस्वीर नहीं बदली. जबकि एक समय था जब पचास के दशक में बिहार देश के अग्रणी राज्यों में शामिल था लेकिन आज बिहार देश के सबसे पिछड़े राज्यो में शुमार होता है. इसे देख मन को कष्ट होता है और बिहार को इस हाल से बाहर निकालने और बिहार वासियों के जीवन में बेहतरी के साथ साथ व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन के लिए ये यात्रा के ज़रिए एक प्रयास कर रहा हूं ताकि बिहार की जनता से ये जान सकूं कि इस व्यवस्था को कैसे बदला जा सकता है.
इसी संकल्प को लिए पीके जन सुराज यात्रा कर रहे हैं कि आने वाले दस सालो में बिहार को देश के अग्रणी राज्यो में शामिल किया जा सके और इसके लिए एक अभियान के तहत सही लोगों को जोड़कर एक सही सोच के साथ सामूहिक प्रयास के जरिए एक ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिससे सत्ता परिवर्तन सही मायनो में व्यवस्था परिवर्तन का जरिया बन सके. प्रशांत किशोर की पद यात्रा का तीन मुख्य उद्देश्य है जिसमें पहला समाज की मदद से जमीनी स्तर पर सही लोगों को चिन्हित कर एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनाने के लिए उनको एक लोकतांत्रिक मंच पर लाने का प्रयास किया जाना है.
प्रशांत किशोर का दूसरा उद्देश्य स्थानीय समस्याओं और सम्भावनाओं को बेहतर तरीके से समझना और उसके आधार पर शहरों और पंचायतों की प्राथमिकताओं को एकत्र करना और उनके विकास का ब्लू प्रिंट तैयार करना है. उनका तीसरा उद्देश्य बिहार के समग्र विकास के लिए शिक्षा स्वास्थ रोज़गार आर्थिक विकास, कृषि, उद्योग और सामाजिक न्याय जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विशेषज्ञों और आम लोगों के सुझाव के आधार पर अगले 15 साल का एक विजन डॉक्यूमेंट बनाया जाए.
जाहिर है कि प्रशांत किशोर एक बड़ी मुहिम पर निकले हैं जो आसान नहीं है लेकिन इसे पूरा करने के लिए प्रशांत किशोर लगभग बारह से पंद्रह महीने तक बिहार की 3500 किलोमीटर की दूरी तय कर जनता के बीच लगातार रहेंगे और जनता की नब्ज को समझने की कोशिश करेंगे. इस दौरान PK गांव भ्रमण करेंगे साथ ही जन सुराज संवाद स्थापित करेंगे. इसके साथ वो सांझ चौपाल भी करेंगे और फिर जिस दिन सांझ चौपाल जहां खत्म होगा, रात्रि विश्राम भी वही करेंगे और अगले दिन आगे बढ़ेंगे.