देश को लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) के रूप में दूसरा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीड़ीएस) यानी चार सितारा रैंक का जनरल मिल गया। जनरल बिपिन रावत की हेलीकॉप्टर हादसे में मृत्यु के बाद नौ महीने से अधिक से इस तैनाती का इंतजार था। ६१ वर्षीय चौहान सैन्य मामलों के सचिव के रूप में भी जिम्मेदारी संभालेंगे। वह २०१९ में बालाकोट हवाई हमलों के दौरान सेना के सैन्य अभियान के महानिदेशक (ड़ीजीएमओ) थे। वह पिछले साल पूर्वी सेना कमांड़र के रूप में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत ड़ोभाल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में सैन्य सलाहकार की भूमिका निभाते रहे हैं। १९८१ में ११ गोरखा राइफल्स में कमीशन प्राप्त करने वाले चौहान का जन्म १८ मई‚ १९६१ को हुआ था। ४० साल के कॅरियर में वह कई कमान का नेतृत्व कर चुके हैं। उन्हें जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में आतंकवाद विरोधी अभियानों का लंबा अनुभव हैं। उन्होंने अंगोला में संयुक्त राष्ट्र मिशन में भी सेवाएं दी हैं। अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ भारत की समग्र युद्ध तैयारी को मजबूत करने में उनकी अहम भूमिका रही है। वह परम विशिष्ट सेवा पदक‚ उत्तम युद्ध सेवा पदक‚ अति विशिष्ट सेवा पदक‚ सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित हैं। जनरल रावत के बाद देश को दूसरा सीडीएस भी गोरखा राइफल्स से ही मिला है। चौहान पहले लेफ्टिनेंट जनरल हैं‚ जो अब तीनों सेनाओं के प्रमुखों के ऊपर होंगे। अनुभव और वरिष्ठता के हिसाब से वे मौजूदा तीनों सेना प्रमुखों से सीनियर हैं। सीड़ीएस के रूप में उनके सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़़ा़ है। सबसे बड़ी चुनौती थलसेना‚ वायुसेना और नौसेना के एकीकरण को पूरा करना है। उन्हें पांच थिएटर कमान बनाने के काम को भी अंजाम देना होगा। सेना में निजी भागीदारी और स्वदेशी रक्षा खरीद को बढ़øावा देना है। सबसे महत्वपूर्ण चुनौती हाल ही शुरू की गई सेना भर्ती की अग्निपथ योजना को सफल बनाना है‚ जिसका खासा विरोध देश में देखने को मिला था। उन्हें चीनी और पाकिस्तानी गतिरोध से भी निपटना होगा। उम्मीद है कि वह इन सब चुनौतियों से सफलतापूर्वक निपटेंगे।
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