मनुष्य जब अपनी पर उतर आए तो वह अकल्पनीय संकटों से भी निपट सकता है। यह विज्ञान का ही कमाल है कि हमारे वैज्ञानिक भविष्य में हमारी प्यारी धरती पर आने वाले संभावित खतरों से निपटने की तैयारी में भी जुटे हैं। ऐसे ही एक प्रयास में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी(नासा) ने उल्का पिंड़ों या क्षुद्र ग्रहों की भविष्य में संभावित टक्कर से से पृथ्वी की रक्षा करने की मानव की क्षमता का परीक्षण करने के लिए एक छोटे से अंतरिक्ष यान को स्टेडि़यम के बराबर आकार वाले क्षुद्र ग्रह से सफलतापूर्वक टक्कर मारकर इतिहास रच दिया। इस प्रयास को २६ सितम्बर को सुबह ४.४५ मिनट पर डबल एस्टेरॉयड री–डायरेक्शन टेस्ट (डार्ट) मिशन के तहत अंजाम दिया गया। एक छोटे से अंतरिक्ष यान को एस्टेरॉयड डिडिमोस के चंद्रमा जैसे क्षुद्र ग्रह़ डाइमॉरफोस से कामयाबी से टकराया गया। इस प्रयोग को १४‚००० मील प्रति घंटे की टक्कर के लिए डि़जाइन किया गया था। यह कवायद इसलिए की गई थी कि क्या किसी दिन पृथ्वी को किसी उल्का पिंड़ या क्षुद्र ग्रह की संभावित विनाशकारी टक्कर से बचाने के लिए इस तकनीक के उपयोग से उसका मार्ग बदला जा सकता हैॽ जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी के नासा से अनुबंध के तहत किया गया यह मिशन पूरी तरह सफल रहा। यान के उल्का पिंड से टकराते ही रोमांच ने भरे वैज्ञानिक खुशी से नाचते दिखाई दिए। इतिहास में पहली बार हुए इस ग्रह रक्षा परीक्षण को डार्ट मिशन नाम दिया गया था। भविष्य में धरती के ऊपर यदि किसी तरह के उल्का पिंड के टकराने का खतरा मंडराता है‚ तो इस तकनीक से पृथ्वी को बचाया जा सकता है। डाइमॉरफोस नामक क्षुद्र ग्रह गीजा के महान पिरामिड जैसा है‚ जो अभी पृथ्वी से लगभग सात मिलियन मील की दूरी पर है। यह डिडिमोस नाम के एक बड़े क्षुद्र ग्रह की परिक्रमा करता है। इससे निकट भविष्य में पृथ्वी को कोई खतरा नहीं है और यह सारी कवायद भविष्य की आशंकाओं को लेकर है। ऐसी आशंकाएं अभी तो हॉलीवुड़ की फिल्मों में ही देखी गई हैं‚ लेकिन भविष्य की तैयारी करके रखना ही उचित है। लेकिन मनुष्य धरती को बचाने के लिए इतना ही सतर्क है‚ तो उसे अंतरिक्ष में बढ़ रही होड़़ को लेकर भी संवेदनशील होना चाहिए। अंतरिक्ष में कचरे की भरमार उल्का पिंड़ों से भी विनाशकारी साबित हो सकती है।
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