अमित शाह के बिहार दौरे का आज दूसरा और आखिरी दिन है। किशनगंज स्थित बूढ़ी काली मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे। ये मंदिर श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र है। ऐसी मान्यता है कि अगर कोई यहां विशेष मनोरथ से आता है तो उसे खाली हाथ नहीं लौटना पड़ता। कहा जाता है कि मां काली की शरण में आने वाले की मनोकामना पूरी होती है। बताया जाता है कि नवाब असद रजा ने मां काली के इस मंदिर के लिए जमीन दान की थी।
गृह मंत्री अमित शाह आज किशनगंज पहुंचे हैं। उन्होंने किशनगंज के सुभाषपल्ली चौक स्थित बूढ़ी काली माता मंदिर में पूजा-अर्चना की। बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस मिशन बिहार के तहत कल से बिहार में ही हैं। गृह मंत्री अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हवाई अड्डा से माता गुजरी यूनिवर्सिटी पहुंचेंगे। जहां चार बजे बिहार भाजपा के सांसदों, विधायकों और पूर्व मंत्रियों के साथ बैठक करेंगे। पांच बजे माता गुजरी यूनिवर्सिटी में ही भाजपा प्रदेश कोर समिति के साथ बैठक करेंगे और रात्रि विश्राम करेंगे।
मिली जानकारी के मुताबिक, अमित शाह बूढ़ी काली माता मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद भारत नेपाल सीमा पर स्थित टेढ़ागाछ प्रखंड हवाई मार्ग से जाएंगे और वहां फतेहपुर एसएसबी बीओपी का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद हवाई मार्ग से वापस लौटने पर 12 बजे दोपहर बीएसएफ सेक्टर मुख्यालय में बीएसएफ अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। इसके बाद माता गुजरी यूनिवर्सिटी में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। इसके बाद 4:45 बजे हवाई मार्ग से बागडोगरा हवाई अड्डा के लिए किशनगंज से प्रस्थान करेंगे।
गठबंधन टूटने से पहले अमित शाह ने नीतीश को मनाने के लिए नहीं बल्कि ‘सुनाने’ के लिए किया था फोन
बिहार में अक्सर बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि आप अगर कह न सकें तो सुना जरूर डालिए। मतलब मुंह पर मत कहिए लेकिन दूर से ही इतनी जोर से कहिए कि आवाज कान तक पहुंच जाए। कुछ ऐसा ही बिहार की राजनीति में 7 अगस्त को हुआ था। ये तय हो गया था कि अब बीजेपी के साथ नीतीश की सरकार नहीं रहनेवाली, एक दो दिन में इतिश्री तय है। लेकिन नीतीश खुद कुछ नहीं कह रहे थे, बल्कि उनके बदले ललन सिंह पानी पी-पी कर बीजेपी को सुना रहे थे। मगर अगली तरफ जो नेता बैठा था वो भी ये जान रहा था कि होनेवाला क्या है। इसलिए उसने यानि अमित शाह ने सीधे नीतीश कुमार को फोन लगाया। जानिए क्या हुआ था 7 अगस्त को उस फोन कॉल में।
नीतीश को अमित शाह की कॉल
सूत्रों के मुताबिक 7 अगस्त को अमित शाह ने नीतीश को फोन लगाया था। सूत्रों ने कहा कि इस बारे में अमित शाह ने पूर्णिया में बीजेपी नेताओं को बताया कि उन्होंने नीतीश कुमार को कॉल लगाई थी। लेकिन ये कॉल मनाने के लिए नहीं की गई थी। ये फोन तो अमित शाह ने नीतीश को ये बताने के लिए किया था कि गठबंधन तोड़ते वक्त भी शुचिता का ध्यान रखें। बकौल अमित शाह उन्होंने नीतीश से कहा था कि ‘अगर जा रहे हैं तो शिष्टाचार निभा कर जाएं। जाने से पहले बीजेपी को ये जरूर बता दें कि वो अब NDA में नहीं हैं।’
नीतीश ने दिया था ये जवाब
अमित शाह के अनुसार नीतीश कुमार ने उनकी ये बात सुनते ही काटी और कहा कि सब गलत बात है, हम कहीं नहीं जा रहे। इस पर अमित शाह ने कहा कि फिर JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह क्या बोल रहे हैं? तब नीतीश ने कहा कि उनकी (ललन सिंह) बातों को गंभीरता से न लें। यानि एक तरह से नीतीश कुमार ने अमित शाह को गफलत में रखने की कोशिश की। लेकिन बीजेपी का आलाकमान ये जान चुका था कि ‘तीर’ हाथ से निकल चुका है।
गौरतलब है इससे पहले शुक्रवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप लगाया कि उन्होंने प्रधानमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस से हाथ मिलाकर भाजपा को धोखा दिया है। शाह ने दावा किया कि भाजपा राज्य में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार गठित करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि कुमार की कोई विचारधारा नहीं है, इसलिए उन्होंने जाति आधारित राजनीति के लिए समाजवाद को त्याग दिया। शाह ने पूर्णिया में आयोजित पार्टी की रैली में कहा, ‘‘नीतीश जी, आपने वर्ष 2014 में भी ऐसा ही किया था। बिहार की जनता वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में इस महागठबंधन को उखाड़ फेंकेगी। भाजपा 2025 में विधानसभा चुनाव के बाद पूर्ण बहुमत से सरकार का गठन करेगी।’’
‘भाजपा की पीठ में छुरा घोंपा’
उन्होंने कहा, ‘‘ हम स्वार्थ एवं ताकत के बजाय सेवा एवं विकास की राजनीति में भरोसा करते हैं। नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री बनने की चाह में भाजपा की पीठ में छुरा घोंप दिया और अब वह राजद एवं कांग्रेस की गोद में बैठे हैं।’’ शाह ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री की केवल एक विचारधारा है– ‘‘मेरी कुर्सी पर आंच नहीं आनी चाहिए।’’ शाह बिहार के सीमांचल क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे पर हैं। वह यहां सांसदों, विधायकों और पार्टी के विभिन्न प्रकोष्ठों के नेताओं के साथ बैठकें करेंगे। गौरतलब है कि बिहार में पिछले महीने राजनीतिक उठा-पटक के कारण भाजपा के सत्ता गंवाने के बाद शाह पहली बार राज्य के दौरे पर आए हैं।