केंद्रीय गृह मंत्री व भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह का बिहार के सीमांचल इलाके पूर्णिया में पार्टी द्वारा आयोजित जनभावना रैली को संबोधित करना और २३ और २४ सितंबर को सीमांचल में ही ड़ेरा जमाए रहना बिहार के सियासी हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। खासकर बिहार के सत्तारूढ़ महागठबंधन में शामिल सियासी दलों की बेचैनी बढ़ गई है। बिहार के चार जिले किशनगगंज‚ अररिया‚ पूर्णिया और कटिहार में मुस्लिम आबादी निर्णायक स्थिति में है। पूर्णिया में करीब ३० फीसद‚ किशनगंज में ६७‚ कटिहार में ३८ और अररिया में ३२ प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं। इन चार लोकसभा क्षेत्रों में से सिर्फ अररिया में बीजेपी के सांसद हैं। किशनगंज में कांग्रेस और पूर्णिया एवं कटिहार में जदयू के एमपी हैं। बीजेपी इस क्षेत्र में कमजोर मानी जाती रही है। सीमांचल को महागठबंधनका गढ़ कहा जाता है। विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो सीमांचल की कुल २४ विधानसभा सीटों में से १६ पर महागठबंधन का कब्जा है। यहां कांग्रेस के ५‚ आरजेड़ी के ७‚ जदयू के ४ विधायक हैं। मुस्लिम बहुल इस इलाके में अति पिछड़ा और पिछड़ा वोटरों की भी बड़ी आबादी है। राजद यहां मुस्लिम–यादव तो जेड़ीयू मुस्लिम और अतिपिछड़े के दम पर सीटें जीतती रही है। बीजेपी इन इलाकों में हिंदू वोटरों को गोलबंद करती रही है साथ ही मुस्लिम समुदाय के लिए किए गए अपने कार्यों को प्रचारित करती है। सीमांचल के ये चार जिले नेपाल‚ पश्चिम बंगाल और झारखंड़ से सटे हुए हैं। इन इलाकों में बांग्लादेशी और रोहिंगा घुसपैठिए भी अपनी जड़ें जमाने लगे हैं। इन इलाकों में पीएफआई पर गतिविधियों को सक्रिय रूप से संचालन करने का आरोप लगता रहा है। हाल के दिनों में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई में इन इलाकों से काफी संख्या में पीएफआई के मॉड़¬ूल्स पकड़े गए हैं। ऐसे में भाजपा इन इलाकों पर और ज्यादा फोकस कर रही है। भाजपा की जनभावना रैली में पहले सात जिलों को शामिल किया गया था लेकिन फिर प्लान बदलकर इसमें सीमांचल के केवल चार जिलों पूर्णिया‚ किशनगंज‚ अररिया और कटिहार पर फोकस किया गया। अमित शाह इन चार जिलों के भाजपा के मंड़ल अध्यक्षों से आमने–सामने बात करेंगे। दूसरी ओर‚ लालू प्रसाद चौकन्ने हैं कि शाह का दौरा यहां क्या गुल खिलाएगा।