बिहार विधानसभा के मौजूदा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा 23 अगस्त तक इस्तीफा नहीं देते हैं तो दिसंबर में होने वाले शीतलकालीन सत्र में ही नये अध्यक्ष का चुनाव होगा। विधानसभा के नये अध्यक्ष के चुनाव के लिए हर हाल में २३ अगस्त तक नामांकन हो जाना चाहिये। अगर मौजूदा अध्यक्ष २३ अगस्त तक इस्तीफा नहीं देते हैं तो निर्धारित समय सीमा के अंदर नये अध्यक्ष के चुनाव के लिए नामांकन संभव नहीं हो पायेगा। ऐसी स्थिति में शीतकालीन सत्र तक विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ही कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में सभी कार्यों का निष्पादन करेंगे।
वहीं‚ विधानसभा के नये स्पीकर की ताजपोशी दो चौधरियों के बीच फंसी हुई है। राजद से अध्यक्ष होंगे तो अवध बिहारी चौधरी होंगे जबकि जदयू के होंगे तो विजय कुमार चौधरी विधानसभा के नये अध्यक्ष होंगे। हालांकि राजद के एक बड़े़ नेता ने बताया कि विधानसभा के अध्यक्ष राजद के होंगे जबकि विधान परिषद के सभापति जदयू से होंगे।
कुछ लोगों का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा २० अगस्त से तीन देशों के दौरे पर जाने वाले हैं। उन्होंने प्लेन का टिकट भी कटवा लिया है और वीजा भी ले रखा है। वहीं‚ विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली कहती है कि जब सदन आहूत हो जाता है तो किसी भी कमेटी की टूर नहीं हो सकती है। ऐसी स्थिति में नियमतः विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा का विदेश दौरा स्वतः रद् हो जायेगा। मालूम हो कि महागठबंधन ने सरकार बनते ही विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को हटाने के लिए दो अलग–अलग संकल्प विधानसभा सचिव को नौ और दस अगस्त को ही सौंप दिया है। राजद के मुख्य सचेतक ललित कुमार यादव और माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने विधानसभा सचिव को दो अलग–अलग पत्र विधानसभा सचिव को सौंपा है। अध्यक्ष को हटाने के लिए सदन की बैठक शुरू होने से १४ दिन पहले संकल्प देना होता है। इसी के मद्ेनजर नई सरकार का शपथ ग्रहण होते ही संकल्प सचिव को सौंप दिया गया। बिहार विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को अध्यक्ष पद से हटाने को लेकर राजद के विधायक ललित कुमार यादव के प्रस्ताव पर महागठबंधन दलों के सदस्यों का संयुक्त हस्ताक्षर युक्त पत्र बुधवार को विधानसभा सचिव को सौंपा गया है। महागठबंधन दल के सदस्यों ने मांग की है कि बिहार विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली के नियम ११० के तहत १० अगस्त‚ २०२२ को वर्तमान अध्यक्ष‚ बिहार विधानसभा में इस सभा का विश्वास नहीं रहा। इस अविश्वास प्रस्ताव पर महागठबंधन दलों के ५० से अधिक सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। बिहार विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली के नियम ११० के तहत अध्यक्ष को पद से हटाने के लिए १४ दिन पहले नोटिस दी जायेगी। इसी के तहत २४ अगस्त को संभावित सत्र की तिथि तय की गयी है। इस बीच अध्यक्ष यदि स्वतःपद छोड देंगे तो नये अध्यक्ष का चुनाव होगा। अगर सदन की बैठक शुरू होने तक अध्यक्ष इस्तीफा नहीं देते हैं तो १४ दिन पहले दी गयी नोटिस को सदन के अंदर पढ कर सुनायेंगे। कम से कम ३८ सदस्य इसके पक्ष में खडे होंगे। यदि इससे कम सदस्य खडे होंगे तो प्रस्ताव खारिज हो जायेगा।
नियम के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद सदन की कार्यवाही के लिए आसन पर अध्यक्ष नहीं बैठेंगे। उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में सदन की कार्यवाही चलेगी। गौरतलब है कि २४३ सदस्यीय विधानसभा में एक सीट रिक्त है। ऐसी स्थिति में २४२ सदस्य ही सदन में मौजूद रहेंगे। इनमें १६५ सदस्य अध्यक्ष के खिलाफ हैं जबकि भाजपा के ७७ सदस्य अध्यक्ष के पक्ष में वोट करेंगे। ऐसी स्थिति में मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा की कुर्सी जानी तय है।
बिहार में सरकार बदलने के बाद बिहार विधान परिषद के नये सभापति के चुनाव की गतिविधियां भी तेज हो गयी हैं। नये सभापति के चुनाव के लिए २५ अगस्त की तिथि निर्धारित कर दी गयी है। नामांकन पत्र २४ अगस्त को दाखिल किये जायेंगे। माना जा रहा है कि विधान परिषद के सभापति जदयू के होंगे। अगर जदयू के सभापति होंगे तो ड़ॉ. रामवचन राय होंगे जबकि सभापति का पद राजद के कोटे में चला गया तो ड़ॉ. रामचंद्र पूर्वे होंगे। हालांकि नये सभापति के चुनाव के लिए विधान परिषद सचिवालय से राजभवन को पत्र भेज दिया गया और जदयू के ड़ॉ. रामवचन राय भी शुक्रवार को राजभवन गये हुए थे। ऐसी स्थिति में माना जा रहा है कि विधान परिषद के नये सभापति ड़ॉ. रामवचन राय ही होंगे।
मालूम हो कि भाजपा के अवधेश नारायण सिंह विधान परिषद के कार्यकारी सभापति हैं। जदयू के भाजपा से अलग होने के बाद नये सभापति का चुनाव भी कराना अनिवार्य हो गया है। इसी के मद्ेनजर नये सभापति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। ऐसा हुआ तो शीतकालीन सत्र तक उपाध्यक्ष ही संभालेंगे कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में दायित्व