आज के दिन तीन साल पहले भारतीय इतिहास में एक स्वर्णिम पन्ना खुला था जिसने इन तीन सालों में उस इलाके की तस्वीर बदल कर रख दी है। पांच अगस्त‚ २०१९ को मोदी सरकार ने जम्मू–कश्मीर के बहुआयामी हित में जो फैसला किया था आज उसकी तीसरी वर्षगांठ है। यह वर्षगांठ कश्मीरियत के संरक्षण की है‚ जम्मू के विकास की है‚ कश्मीर के समर्पण भाव की है। युवाओं के उत्साह की है‚ महिलाओं के भरोसे की है‚ बुजुर्गों के सुख की है। इन लोगों की आंखों में जो सपना कई दशकों से पल रहा था‚ उसके पूरा होने की भी है। खेल से रेल तक‚ रोजगार से सरकार तक‚ मान से सम्मान तक‚ आत्म गौरव से सर्वस्व विकास तक नई बयार को यह कदम समर्पित है‚ जिसने जम्मू–कश्मीर की तस्वीर बदल कर रख दी है।
‘जम्मू–कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।’ पांच अगस्त‚ २०१९ तक यह एक प्रेरणा स्रोत था जिसका अलगाववादी ताकतों द्वारा निरंतर अपमान किया जाता था परंतु इस ऐतिहासिक दिन के बाद अब यह एक वास्तविकता है‚ जिसका स्वप्न लिए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी बलिदान हुए थे। इस दौरान हमारे हजारों सैनिक देश की एकता एवं अखंडता के लिए शहीद हुए। लेकिन अब जो तस्वीर बदली है‚ उसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को जाता है‚ जिन्होंने दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए‚ जम्मू–कश्मीर को समग्र रूप से देश की मुख्यधारा से जोड़ दिया।
सभी जानते हैं कि कुछ साल पहले तक सैकड़ों विकास एवं लाभकारी योजनाओं से जम्मू–कश्मीर वंचित रहता था। आज उनका सीधा लाभ देश के अंतिम छोर तक पहुंच रहा है। आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है‚ तो गौरव का विषय है कि देश का एक ही विधान है‚ एक ही प्रधान है‚ एक ही निशान है। जिस लाल चौक पर देश विरोधी झंडे और नारे लिखे होते थे‚ आज वहां तिरंगा शान से लहरा रहा है। देश वह स्वर्णिम पल याद करता है जब युवा नरेन्द्र मोदी एकता यात्रा लेकर लाल चौक पर तिरंगा फहराकर आए थे। मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी के जेहन में वही प्रेरणा रही होगी। आज कोई भी नागरिक पूरी आजादी के साथ देश का झंडा लेकर जम्मू–कश्मीर में आजादी का अमृत महोत्सव मना सकता है।
कल तक अलगाववादी नेता कश्मीर का विशेष दर्जा हटने के मसले पर कहते थे कि अगर ३७० को हटाने का प्रयास हुआ तो कश्मीर में कोई तिरंगा उठाने वाला नहीं बचेगा। वो कयास महज खोखला दावा था। आज कश्मीर का युवा अपने सपनों को नई ऊँचाइयां देना चाहता है। गत वर्ष गुलमर्ग में ग्रीष्म खेलों का सफल आयोजन बताता है कि कश्मीर के युवा किस प्रकार प्रदेश को ७० वर्षों की नकारात्मकता से बाहर लाने के लिए तैयार हैं। जम्मू और कश्मीर में दो सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के साथ २० जिलों में खेलकूद केंद्र की स्थापना अद्भुत शुरुआत है। इससे युवाओं की ऊर्जा को खेलों के माध्यम से सही दिशा मिलेगी। वो न केवल देश का नाम रोशन करेंगे‚ बल्कि खेल संस्कृति को भी मजबूत करेंगे‚ जिसे गन कल्चर के रूप में अभी तक प्रसारित किया गया था। गत वर्षों में सड़कों और संचार को बढ़ावा मिला है। पहले ६.५ किमी. प्रति दिन सड़क का निर्माण होता था जो आज २१ किमी. प्रति दिन हो रहा है। एक लाख करोड़ के सड़क और टनल से जुड़े प्रोजेक्ट पूरे किए जा रहे हैं। अब कश्मीर में रात में भी सिविल फ्लाइट लैंडिं़ग की सुविधा उपलब्ध है। निश्चित रूप से यह बड़ा कदम है। इन तीन सालों में जम्मू–कश्मीर प्रशासन ने युवाओं को शिक्षा‚ प्रशिक्षण और नौकरी के अवसर प्रदान करने पर विशेष ध्यान देने के साथ शिक्षा‚ स्वास्थ्य‚ बिजली और भूमि सुधारों के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। ‘आपकी जमीन आपकी निगरानी’ जैसे लैंड़ रिकॉडर्स इंर्फोमेशन सिस्टम को लागू किया जा चुका है‚ जिसका सीधा लाभ आम नागरिक को मिलता है। अब कोई भी व्यक्ति पूरा डाटा ऑनलाइन हासिल कर सकता है। देश का कोई भी नागरिक वहां जाकर जमीन खरीद सकता है। सभी घरों तक बिजली कनेक्शन और हर घर स्वच्छ जल जैसी बुनियादी जरूरत को पूरा करने का काम तेजी से हो रहा है। अल्पसंख्यक पूर्व–मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना से पिछले तीन साल में कई लाख छात्रों को लाभान्वित किया गया उसमें छात्राओं की संख्या भरपूर है।
पर्यटन जम्मू–कश्मीर की आर्थिक व्यवस्था का केंद्र–बिंदु रहा है। सभी पर्यटन स्थलों के जीर्णोद्धार का काम किया जा रहा है ताकि इस सेक्टर को नई ऊर्जा मिले और जम्मू–कश्मीर की खूबसूरती को दुनिया के लोग आकर देख सकें। इससे आर्थिक लाभ भी होगा और युवाओं को घर में ही रोजगार मिलेगा। निवेश के लिए भी माकूल माहौल तैयार हुआ है। ईज ऑफ डू़इग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम जैसी व्यवस्था की जा रही है। शिक्षा‚ स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूती देने के लिए एनआईटी‚ आईआईटी‚ आईआईएम‚ एम्स जैसे संस्थानों को विस्तार दिया गया है। लेह में लद्दाख विश्वविद्यालय की स्थापना बड़ी पहल है।
प्रोजेक्ट हिमायत जैसी अभिनव योजनाएं हैं‚ जिनका लक्ष्य जम्मू–कश्मीर के युवाओं के लिए स्वरोजगार के माध्यम से स्थायी आजीविका के अवसर पैदा करना है। गृह मंत्रालय की फैक्टशीट बताती है कि इस प्रोजेक्ट से काफी फायदा हुआ है। संसद में डिबेट के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि उचित समय आने पर जम्मू–कश्मीर को पुनः पूर्ण राज्य का दर्जा भी दिया जाएगा। सफलतापूर्वक डीडीसी चुनाव भी आयोजित किए गए और लोकल गवर्नंस को मजबूती देने का काम हुआ। परिसीमन का काम अंतिम पड़ाव में है। कश्मीर ७० सालों तक परिवारवाद‚ आतंकवाद और क्षेत्रवाद का शिकार रहा परंतु अटल जी के कथन ‘इंसानियत–कश्मीरियत–जम्हूरियत’ को प्रधानमंत्री मोदी ने एक कदम आगे ले जाते हुए सबका साथ‚ सबका विकास‚ सबका विश्वास और सबका प्रयास के साथ नई शुरु आत की है। आगामी २५ वर्ष देश और प्रदेश की विकास यात्रा में बहुत महत्वपूर्ण होंगे। देश जब आजादी के १०० वर्ष का उत्सव मना रहा होगा‚ मुझे विश्वास है कि जम्मू–कश्मीर प्रथम श्रेणी प्रदेश के रूप में विकास की नई ऊँचाइयों को हासिल कर चुका होगा। यह भी भरोसा है कि जम्मू–कश्मीर के सपनों में रंग भरने का यह सिलसिला जारी ही रहेगा।