जीवन जीने की कला ही योग है। जैसे कि पतंजलि योग सूत्र में भी ‘अथ योगानुशासनम्’ अर्थात् योग एक अनुशासन है‚ से योग शुरू होता है। लेकिन पंडि़त श्रीराम आचार्य ने योग के बारे में कहा है‚ ‘जीवन जीने की कला ही योग है।’ आप समझ सकते हैं कि यह कितनी बड़़ी बात है कि योग सिर्फ कुछ घंटे की एक्सरसाइज या कोई क्रिया न होकर‚ आप सामान्य रूप से किसी भी अवस्था में हों‚ तो आप योग को किसी रूप में जी सकते हैं। गीता में योग को कर्म की कुशलता बताया गया है यानी किसी भी काम को सही तरीके से करना ही योग है यानी सिर्फ आप शारीरिक रूप से नहीं‚ बल्कि मानसिक रूप से भी योग कर सकते हैं।
योग में समय की कोई पाबंदी नहीं है। उदाहरण के लिए कोई कार्य सही से कर रहे हैं तो तन का योग है। साथ ही उक्त कार्य को करने में मन लग रहा है‚ तो मन का योग है। मान लीजिए आप अपने ऑफिस में किसी भी कार्य को सही तरीके से पूरा करते हैं। उस कार्य को करने से जो सफलता मिलती है‚ उससे मन प्रसन्न होगा और शांति मिलेगी। दफ्तर में प्रमोशन मिलेगा और शाबाशी भी मिलेगी। वहीं अगर कोई आपकी बुराई करता है‚ तो योग की दूसरी बात याद करें। ‘समत्वं योग उच्चयते’ भाई परेशाान क्यों होते हो। किसी ने आपको बुरा बोल दिया हो तो कभी अच्छा भी बोला था यानी जो भी अलग–अलग क्रिया हो रही है‚ वह सब योग है। ॥ स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से देखें तो भारत में ही नहीं‚ बल्कि पूरी दुनिया में इस वक्त योग की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। योग से कई शारीरिक बीमारियां जैसे मधुमेह‚ बीपी‚ अस्थमा समेत कुछ मानसिक विकारों जैसे घबराहट‚ अवसाद और मनोविकार के लक्षणों से छुटकारा मिलता देखा गया है। योगाभ्यास करने से अवसाद दूर करने में भी मदद मिलती है। इससे मनोदशा में सुधार होता है‚ और रोज की गतिविधियों में व्यक्ति का मन एकाग्रता‚ ध्यान‚ स्मरण शक्ति‚ नींद आना और भूख भी बढ़ जाती है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और मनोरोग विज्ञान संस्थान में किए गए अनुसंधान से यह पता चला है कि योग से अवसादग्रस्त रोगियों के सहानुभूतिपूर्वक लहजे में बढ़ोतरी‚ कोर्टिसोल स्तर को कम करने और न्यूरो सनफ्लेमेशन में गिरावट जैसे प्रभाव देखे गए हैं। अध्ययनों में अवसाद के हल्के और सामान्य रोगियों के उपचार के लिए सिर्फ योग का ही सहारा लिया गया है। कोविड़ काल में भी योग के आशाजनक परिणाम देखे गए हैं। हाल ही में एक रिसर्च में ५० वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यस्कों में ठंड़े मौसम के दौरान होने वाली परेशानियों में देखा गया कि योग से उनका म्यूकोसल इम्यूनिटी का स्तर काफी बढ़ गया जिससे इस दौरान उनमें होने वाले संक्रमण अस्थमा और वायरल फ्लू में काफी कमी आई। इस दौरान योगासन और प्राणायाम जैसे अभ्यास किए गए थे।
हाल ही में जामनगर में ड़ब्ल्यूएचओ के सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि ‘योग दुनिया भर में लोगों को मधुमेह‚ मोटापा‚ अवसाद और ऐसी ही कई अन्य बीमारियों से लड़ने में मदद कर रहा है।’ उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा था कि यह सेंटर विश्व स्तर पर योग को लोकप्रिय बनाने में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाएगा। योग से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोजगार के नये रास्ते खुले हैं। आज दुनियाभर में लाखों योग स्टूडियो और लाखों योगा टीचर हैं‚ जिनमें सबसे ज्यादा तो अकेले अमेरिका में ही हैं। योग विश्व में स्वस्थ जीवन शैली जीने का अहम हिस्सा बन गया है। इस समय योग का वैश्विक कारोबार अरबों डॉलर को पार कर चुका है। यह वैश्विक वेलनेस उद्योग का एक बड़ा हिस्सा बन चुका है। भारत में योग उद्योग ५०० अरब रु पये से ऊपर जा चुका है। आज डिजिटल योगा इंडस्ट्री भी लगभग १५० अरब रु पये से अधिक पहुंच चुकी है।
आज आठवां इंटरनेशनल योग दिवस है। आयुष मंत्रालय हर साल अलग–अलग थीम पर यह दिवस मनाता है। पिछले साल की थीम ‘बी विद योगा‚ बी एट होम’ थी‚ तो इस साल की थीम–‘ योगा फॉर ह्यूमिनिटी’–है। ग्यारह दिसम्बर‚ २०१४ को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने २१ जून को विश्व योग दिवस मनाने की घोषणा की थी जिसके बाद साल २०१५ से हर साल २१ जून को दुनियाभर में योग दिवस मनाया जाने लगा। हालांकि भारत में योग का इतिहास बहुत पुराना है।