काबुल में एक गुरुद्वारे पर हुए हमले की जिम्मेदारी लेते हुए आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट ने इसे पैगंबर के ‘समर्थन में किया गया कार्य’ बताया है। इस हमले में सिख समुदाय के एक सदस्य समेत दो लोगों की मौत हो गई थी। लेकिन हमले के लिए बताया गया कारण आईएस के खतरनाक इरादों की बानगी है। एक ओर तो भारत संकटग्रस्त अफगान जनता की मदद में पूरे मनोयोग से जुटा है ताकि तालिबानी प्रभुत्व वाले देश में भारत के हित सुरक्षित रहें और भारत की सुरक्षा को भी कोई खतरा पैदा न हो वहीं वहां स्थितियां विपरीत होती जा रही हैं। कहां तो हाल ही में एक भारतीय प्रतिनिधिमंड़ल की काबुल की हालिया यात्रा के बाद वहां भारतीय दूतावास के फिर से खुलने के कयास लगाए जाने लगे थे तो वहीं इस हमले ने भारत को फिर से स्थिति पर पुनर्विचार की स्थिति बना दी है। आईएस की वेबसाइट ‘अमाक’ पर पोस्ट एक बयान में इस्लामिक स्टेट से संबंद्ध इस्लामिक स्टेट–खुरासान प्रोविंस (आईएसकेपी) का कहना था कि यह हमला हिंदुओं‚ सिखों और उन धर्मभ्रष्ट लोगों के खिलाफ है‚ जिन्होंने अल्लाह के दूत का अपमान करने में साथ दिया। काबुल के बाग ए बाला इलाके में शनिवार सुबह कार्ते परवान गुरुद्वारे पर हमला हुआ। गौरतलब है कि आईएसकेपी ने एक वीडि़यो संदेश में भाजपा के दो पूर्व पदाधिकारियों की ओर से पैगंबर पर की गई टिप्पणी का बदला लेने के लिए हिंदुओं पर हमला करने की चेतावनी दी थी। इसके कुछ दिनों बाद ही गुरुद्वारे पर यह हमला हो गया। ऐसा नहीं है कि आईएसकेपी का यह पहला हमला हो। पहले भी आईएसकेपी अफगानिस्तान में हिंदुओं‚ सिखों और शिया समुदाय के धार्मिक स्थलों पर हुए हमलों की जिम्मेदारी ले चुका है। हमले के बाद भारत ने १११ सिखों को ई–वीजा दिया है। इस हमले ने भारत के काबुल में दूतावास को फिर से खोलने की योजना को उलझा दिया है। पिछले साल अगस्त में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद बाकी देशों की तरह भारत ने भी अफगानिस्तान से कूटनीतिक संबंध तोड़ लिए थे। लेकिन इस महीने की शुरु आत में भारत के विदेश मंत्रालय के अधिकारी तालिबान और अफगानिस्तान में मानवीय सहायता पहुंचाने वाले संगठनों से बात करने के लिए काबुल गए थे। इस दल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान‚ अफगानिस्तान और ईरान के मामलों के लिए प्रभारी संयुक्त सचिव जेपी सिंह ने किया था। दल ने काबुल स्थित दूतावास परिसर का दौरा किया था और उसे ‘सुरक्षित’ पाया था। गुरुद्वारे पर हमले ने स्थिति फिर बिगाड़़ दी है। भारत को अपनी योजना पर पुनर्विचार करना ही होगा।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात की। इस दौरान साल 1975 में देश में इंदिरा सरकार द्वारा...