राज्य में जातीय जनगणना कराने के लिए सभी राजनीतिक दलों की सहमति मिलने के एक दिन के बाद बृहस्पतिवार को राज्य मंत्रिपरिषद ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी। राज्य के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में यह फैसला लिया गया कि राज्य सरकार अपने खर्च पर प्रदेश में जाति आधारित जनगणना करायेगी।
इस काम को अगले नौ महीनों में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अर्थात जाति आधारित जनगणना का काम फरवरी २०२३ तक पूरा कर लिया जायेगा। राज्य सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना कराने की जिम्मेदारी सामान्य प्रशासन विभाग को दी जायेगी और इस काम के लिए बिहार आकस्मिकता निधि से ५०० करोड की राशि खर्च की जायेगी। उन्होंने बताया कि जाति आधारित जनगणना के दौरान आर्थिक स्थिति का भी सर्वेक्षण किया जायेगा। जाति आधारित जनगणना की प्रगति से संबंधित रिपोर्ट से विभिन्न दलों के नेताओं को अवगत भी कराया जायेगा। सुबहानी ने बताया कि जाति आधारित जनगणना के लिए जिला स्तर पर डीएम को नोडल पदाधिकारी बनाया जायेगा। सामान्य प्रशासन विभाग और जिलाधिकारी इस काम के लिए ग्राम पंचायतों तथा विभिन्न विभागों के अधीनस्थ काम करने वाले कर्मियों की सेवा ले सकेंगे। सुबहानी ने बताया कि बैठक में ९ मई को महाराणा प्रताप की जयंती राजकीय समारोह के रूप में मनाने का भी निर्णय लिया गया है।
राज्य स्तर पर सामान्य प्रशासन को पूरा जिम्मा
मंत्रिमंडल की बैठक के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने मीडिया को बताया कि प्रदेश सरकार ने जाति आधारित गणना के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को जिम्मा सौंपा है। जिलों में जिलाधिकारी गणना के नोडल पदाधिकारी होंगे। सामान्य प्रशासन विभाग और जिला पदाधिकारी ग्रामीण स्तर, पंचायत स्तर एवं उ’चतर स्तर पर विभिन्न विभागों के कर्मियों की सेवा जाति आधारित गणना में ले सकेगी।
आकस्मिकता निधि से पांच सौ करोड़ रुपये लेगी सरकार
मुख्य सचिव ने ने बताया कि जाति आधारित गणना के क्रियान्वयन पर करीब पांच सौ करोड़ रुपये का खर्च आएगा। राज्य सरकार ने आकस्मिकता निधि से पांच सौ करोड़ रुपये लेगी। सुबहानी ने बताया कि जाति आधारित गणना के दौरान ही आर्थिक सर्वे कराने की कोशिश भी की जाएगी।
फरवरी 2023 तक गणना का काम पूरा करने का लक्ष्य
मुख्य सचिव ने बताया कि जाति आधारित गणना का काम जल्द ही प्रारंभ होगा। इस काम को पूरा करने में करीब नौ महीने का वक्त लगने की संभावना है। उन्होंने कहा सरकार का लक्ष्य फरवरी 2023 तक जाति आधारित गणना का काम पूरा करने का है।
समय-समय पर राजनीतिक दलों को मिलेगी प्रगति की जानकारी
मुख्य सचिव ने बताया कि करीब नौ महीने चलने वाली जाति आधारित गणना के क्रियान्वयन के दौरान जो भी प्रगति होगी, उसकी जानकारी तमाम राजनीतिक दलों को दी जाएगी। बता दें कि जाति आधारित गणना को लेकर बुधवार एक जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सर्वदलीय बैठक की थी। बैठक में सरकार की सहयोगी भाजपा के साथ राजद, कांग्रेस, सभी वाम दलों ने भाग लिया था। मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहा था कि सर्वदलीय बैठक की सहमति के बाद कैबिनेट की पहली बैठक में इस प्रस्ताव को पारित कराया जाएगा
राज्य मंत्रिपरिषद ने इंदिरा गांधी ह्रदय रोग संस्थान चिकित्सा सेवा नियमावली–२०२२ को भी स्वीकृति दी है। राज्य के चिह्नित पर्यटन स्थलों पर सैलानियों की सुविधा के लिए मार्ग सुविधा उन्नयन एवं मानकीकरण प्रोत्साहन योजना–२०२२ को मंजूरी दी गयी। इसके अलावा बीज वितरण एवं उत्पादन योजना के लिए १५० करोड ९८ लाख ७८ हजार ७६० रुपये की मंजूरी दी गयी है। बिहार गवाह सुरक्षा कोष नियमावली– २०२२ के प्रारूप पर भी मंत्री परिषद ने अपनी मुहर लगायी है। कोंच के प्रखंड विकास पदाधिकारी विनोद कुमार को सेवा से बर्खास्त किया गया है। बिहार नगर पालिका निर्वाचन नियमावली–२००७ के नियम २७ में संशोधन के लिए बिहार नगर पालिका निर्वाचन संशोधन नियमावली २०२२ के प्रारूप पर स्वीकृति दी गयी है। औरंगाबाद के रफीगंज अंचल में १.७ एकड गैरमजरूआ जमीन को ९० लाख ५७९८३ रुपये के भुगतान पर डीएफसीसीआईएल परियोजना निर्माण के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया रेल मंत्रालय को हस्तांतरित किया गया है। नक्शा तथा खतियान को अपडेट करने के लिए विशेष सर्वेक्षण कार्य चालू रखने के लिए ३१ मार्च २०२४ तक २ वर्षों के लिए ८ अरब ८० करोड ४९ लाख ४१००० रुपये व्यय तथा नियमित एवं संविदा सहित कुल ८८०२ पदों की अवधि विस्तारकी स्वीकृति दी गयी है।भू–अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत चालू योजना को ४ वर्षों तक अवधि विस्तार किया गया है। साथ ही राज्य योजना की राशि ९७ करोड १९ लाख ३९००० रुपये की स्वीकृति दी गयी है।