देश की क्षेत्रीय पार्टियों में शामिल जनता दल यूनाइटेड (जदयू) भले ही बिहार में लंबे समय से सरकार चला रही हो लेकिन पड़ोसी राज्य झारखंड में आज भी यह पार्टी अपने अस्तित्व के लिए जद्दोजहद करती नजर आती है. झारखंड में जदयू के इतिहास की बात करें तो राज्य स्थापना के समय कई बड़े नेता थे और विधानसभा में छह विधायक हुआ करते थे. लेकिन आज एक भी विधायक नहीं है.
ऐसे में झारखंड जदयू के प्रदेश अध्यक्ष खीरु महतो को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा तोहफा दिया है. खीरु महतो को भाया बिहार जदयू की ओर से राज्यसभा भेजा जा रहा है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के हस्ताक्षर से खीरु महतो की उम्मीदवारी की घोषणा की गई है. मालूम हो कि अलग राज्य बनने के बाद खीरु महतो पहले झारखंडी होंगे जो बिहार से राज्यसभा जाएंगे.
एक तीर से दो निशाना
जेडीयू केंद्रीय नेतृत्व ने खीरू महतो को बिहार से राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाकर एक तीर से दो निशाना साधा है। एक ओर जहां टिकट चाहने वाले बिहार जेडीयू के तमाम नेताओं की दावेदारी को आसानी से निपटा दिया गया, वहीं खीरू महतो को राज्यसभा से उम्मीदवार बनाकर पार्टी की ओर से यह संकेत दिया गया है कि आने वाले समय में झारखंड में भी संगठन को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जाएगा। राज्यसभा में जाने के बाद खीरू महतो को एक नयी शक्ति मिलेगी, इससे संगठन के कार्यकर्ताओं का भी उत्साह बढ़ेगा और राज्यभर में जेडीयू को फिर से खड़ा करने की कार्य योजना तैयार की गयी है।
2005 में जीता था चुनाव
खीरु महतो जदयू के जदयू के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष हैं. जेडीयू के ही टिकट पर 2005 में वो मांडू विधानसभा से प्रत्याशी रहे और चुनाव में इन्होंने जीत दर्ज की थी. जिसके बाद पार्टी ने भरोसा जताते हुए उन्हें झारखंड की कमान सौंपी थी. खीरु महतो को पार्टी ने यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वो प्रदेश में संगठन को मजबूत करें. नीतीश कुमार ने राज्यसभा चुनाव को लेकर सारी अटकलों पर विराम लगाते हुए खीरु महतो को राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया है. एक तरह से अपने इस फैसले से सीएम नीतीश कुमार ने बीजेपी को बड़ा संदेश दिया है.
JDU से जुड़े रहे कई नामचीन चेहरे
बता दें, झारखंड के कई नामचीन चेहरे जेडीयू से जुड़े थे. इसमें राज्य के पहले विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी के साथ साथ जलेश्वर महतो, रमेश सिंह मुंडा, बैद्यनाथ राम, रामचंद्र केसरी, सुधा चौधरी, राजा पीटर आदि नाम शामिल हैं. लेकिन आज कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी हैं. साल 2005 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने बीजेपी के साथ मिलकर 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें जेडीयू के 6 विधायक जीते थे. साल 2009 में जदयू ने चार सीट गवां दी और सिर्फ 2 सीटों पर ही जीत हासिल की और पार्टी का वोट प्रतिशत भी काफी गिर गया था. वहीं साल 2014 में जब बीजेपी से अलग होकर जदयू ने चुनाव लड़ा तो पार्टी की स्थिति बद से बदतर हो गई.
खीरू महतो ने केंद्रीय नेतृत्व के प्रति जताया आभार
इधर, राज्यसभा चुनाव के लिए बिहार से उम्मीदवार बनाये जाने पर खीरू महतो ने पार्टी नेतृत्व के प्रति आभार जताते हुए कहा कि उनकी प्राथमिकता झारखंड में को एक बार फिर से खड़ा करने की दिशा में है। इस दिशा में वे पिछले सात-आठ महीने से काम कर रहे हैं और अब केंद्रीय नेतृत्व के इस फैसले से संगठन के कार्यकर्ताओं को नयी ऊर्जा मिलेगी। उन्होंने कहा कि जेडीयू नेतृत्व के इस फैसले से यह साफ हो जाता है कि पार्टी में एक साधारण कार्यकर्ता का भी काफी महत्व होता है और इस फैसले से कार्यकर्ताओं का भी मनोबल बढ़ेगा।