राष्ट्रीय जनता दल के कई नेताओं ने रेलवे भर्ती घोटाले में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव और इस परिवार के रिश्तेदारों के ठिकानों पर छापेमारी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जोड़ा था। राजद और कांग्रेस के नेताओं ने दावा किया था कि यह छापेमारी केंद्र सरकार के इशारे पर हुई और इसका मकसद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को डराना और तेजस्वी यादव के साथ उनकी बढ़ती नजदीकी को रोकना है। अब इस मसले पर नीतीश कुमार के सहयोगी और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का बयान आया है। मांझी ने इस मसले पर दो तरह की बातें कही हैं। उन्होंने जाति आधारित जनगणना पर भी बात कही है।
जीतन राम मांझी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरी तरह निर्भिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं। भाजपा की असहमति के बावजूद कई मसलों पर उन्होंने खुलकर स्टैंड लिया है। ऐसे में उन्हें डराने जैसी बात का कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि बातें तो बहुत कुछ कही जाती हैं, बहुत कुछ हो सकती है। नीतीश कुमार को डराने की क्या जरूरत है? भाजपा के साथ रहते हुए भी वे बहुत से मसलों पर भाजपा की राय से अलग काम कर रहे हैं। नीतीश कुमार पूरी दृढ़ता से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने यह सब नीतीश कुमार को डराने के लिए किया है, यह केवल एक संभावना है। इस पर पुख्ता तौर से कुछ नहीं कहा जा सकता है।
मांझी ने कहा कि भाजपा जाति आधारित जनगणना के विरोध में है। बावजूद नीतीश कुमार इस मसले पर आगे बढ़ रहे हैं। मांझी ने कहा कि इस मसले पर 27 मई को सर्वदलीय बैठक आयोजित करने की बात सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से बैठक बुलाए जाने की सूचना उन्हें मिली है और जल्द ही राज्य में जाति आधारित जनगणना कराने पर फैसला हो सकता है।
मांझी ने जदयू की ओर से आरसीपी सिंह को दोबारा राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने के मसले पर भी राय रखी। उन्होंने कहा कि यह मसला जदयू का है। हालांकि उन्होंने इसके साथ ही बोचहां विधानसभा चुनाव में एनडीए की हार का उदाहरण देते हुए कहा कि एनडीए में वे शामिल जरूर हैं, लेकिन उनकी राय नहीं ली जाती है। उनकी पार्टी छोटी है, इसलिए एनडीए में अनदेखी होती है। ऐसा ही महागठबंधन में होता था। उन्होंने कहा कि इसका खामियाजा बोचहां में भुगतना पड़ा है।