कल राबड़ी आवास सहित पटना, दिल्ली और गोपालगंज के 16 ठिकानों पर सुबह से ही सीबीआई की छापेमारी शुरू हो गई थी, जो 14 घंटे बाद 8 बजे रात के बाद खत्म हुई. शुक्रवार को दिनभर लालू के ठिकानों पर हुई छापेमारी में उथल-पुथल होती रही और कई जगहों पर हंगामा देखने को मिला. पटना में जहां राबड़ी आवास पर छापेमारी चल रही थी, उसी वक्त पटना के रूपसपुर थाने के महुआबाग के 10 घरों में भी एकसाथ छापेमारी चल रही थी. रात 8 बजे के बाद के बाद जब सीबीआई की रेड खत्म हुई तो कार्यकर्ताओं का हुजूम राबड़ी देवी से मिलने को बेताब दिखा. छापेमारी में जो सबसे अहम जानकारी निकलकर सामने आई, वह सीबीआई द्वारा राबड़ी आवास से दस्तावेज और कई डिजिटल सामानों की जब्ती रही.
सीबीआई की टीम सुबह से ही राबड़ी देवी के आवास के कई कमरों को बारी-बारी से घंटों खंगालती रही. राबडी देवी के कमरे की अलमीरा की भी जांच घंटों चली. सीबीआई को दो कमरों में ताले लगे मिले. चाबी न मिलने के कारण जब वे कमरे नहीं खुल सके तो सीबीआई ने चाबी बनाने वाले को बुलाकर चाबी बनवाई और ताला खुलवाकर कमरे की तलाशी ली.
हार्डडिस्क, सीडी और दस्तावेज जब्त
जानकारी के मुताबिक तेजस्वी के कमरे से कंप्यूटर का हार्डडिस्क सीबीआई ने जब्त कर लिया और साथ ले गई. कमरे में कई सीडी भी पाए गए जिन्हें सीबीआई अपने साथ ले गई. डिजीटल सामानों के साथ कई दस्तावेज भी सीबीआई के हाथ लगे. आरजेडी नेता सुनील सिंह ने बताया कि सीबीआई को राबड़ी आवास से कुछ भी नही मिला. जो हार्ड डिस्क और सीडी साथ ले गई है उसमें कार्यकर्ताओं के डिटेल्स और वीडियो गेम के अलावा कुछ भी नहीं.
सीबीआई को कार्यकर्ताओं ने घेरा
सीबीआई अधिकारी 14 घंटे की छापेमारी के बाद जब बाहर निकलने लगे तो उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा. कार्यकर्ताओं ने सीबीआई के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और गाड़ी में बैठने से रोकने लगे. एएसपी काम्या मिश्रा के नेतृत्व में पुलिस बल ने किसी तरह सीबीआई अधिकारियों को बाहर निकालकर गाड़ी में बैठाया. सीबीआई की टीम जब जाने लगी तो कार्यकर्ताओ ने जमकर विरोध किया और गाड़ी पर मुक्के बरसाए. राबडी देवी खुद बाहर निकलकर कार्यकर्ताओं को समझाती दिखीं और सीबीआई अधिकारियों को जाने देने की अपील करती रहीं.
एक तरफ लालू प्रसाद यादव, उनके परिवार और करीबी लोगों के 16 ठिकानों पर छापेमारी चल रही थी। वहीं, दूसरी तरफ उनके बड़े बेटे और विधायक तेजप्रताप यादव अपने शरीर का मसाज करा रहे थे। लालू की पत्नी और पूर्व सीएम राबड़ी देवी और मीसा भारती भी इस दौरान टेंशन में दिखीं।
छापे के दौरान वीडियो सोशल मिडिया में आए हैं उसमें कुछ ऐसा ही दिख रहा है। जब पटना में राबड़ी आवास पर CBI की छापेमारी चल रही थी तो तेजप्रताप यादव अपने एक सेवादार से मसाज करते नजर आए। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि उनका एक सेवादार लगातार उनके कंधे और शरीर की मसाज कर रहा है।
वहीं दूसरे वीडियो में स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि जब CBI की रेड चल रही थी तो, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी अपने कैंपस में टहल रही थी। कुछ देर के बाद राबड़ी देवी और तेजप्रताप यादव CBI के अधिकारियों से बातचीत करते नजर आए। बात क्या हो रही थी, यह तो पता नहीं चला। लेकिन, बताया जा रहा है कि अधिकारी कुछ पूछताछ कर रहे हैं।

तीसरी तस्वीर मीसा भारती के दिल्ली स्थित सरकारी आवास से आई है। यहां CBI की छापेमारी समाप्त हो गई है। पूरी रेड समाप्त हो गई तो राज्यसभा सांसद और लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती CBI के सभी अधिकारियों को छोड़ने के लिए गेट तक आई और उन्हें ‘सी-ऑफ’ किया।

बता दें कि आज लालू यादव के 16 ठिकानों पर सीबीआई ने एक साथ एक समय रेड किया था। सुबह 6:30 बजे से लगातार रेड चल रहा है। लालू यादव के पैतृक निवास गोपालगंज से लेकर दिल्ली तक छापेमारी चल रही थी। सीबीआई की रेड 2004 से लेकर 2009 तक लालू यादव के रेल मंत्री रहते किए गए रेलवे भर्ती मामलों को लेकर की गई है। आरोप लगाया गया था कि लालू यादव ने तकरीबन 111 लोगों को रेलवे में नौकरी दी थी, जिसके एवज में उनसे जमीन लिया था। उसी को लेकर यह छापेमारी चल रही है।
पॉलिटिकल रेड
RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के देशभर के 16 ठिकानों पर छापेमारी की गई। राजनीतिक गलियारों में इसे पॉलिटिकल रेड कहा जा रहा है। खास कर नीतीश कुमार के तेजस्वी से बढ़ती नजदीकियों और इफ्तार पार्टी में दिखी आत्मीयता को इसका कारण बताया जा रहा है।
ये छापेमारी पहली बार नहीं है। इससे पहले भी लालू प्रसाद यादव के ठिकानों पर कई बार छापेमारी हुई है। लालू यादव के बेहद करीबी सुनील सिंह कहते हैं कि 1997 से दर्जनों बार छापेमारी देख चुके हैं। RJD सुप्रीमो और उनके परिवार को CBI से परेशान कराया जा रहा है। भाजपा CBI का दुरुपयोग कर रही है। इस छापेमारी में कुछ नहीं मिलने वाला है।’ अब सवाल है कि आखिर 2004-2009 के रेलवे भर्ती मामले में CBI की नींद अभी क्यों खुली? आखिर CBI की भूमिका पर सवाल क्यों उठ रहे हैं?
हालांकि राजनीतिक पंडित इस CBI छापेमारी को पॉलिटिकल रेड बता रहे हैं। राबड़ी आवास पर मौजूद नेता भी इस ओर इशारा कर रहे हैं कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की नजदीकियों की वजह से यह सबकुछ हो रहा है। पिछली बार 2017 में जब नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की सरकार चल रही थी तो उस समय भी CBI ने लालू यादव के 12 ठिकानों पर रेड किया था। तब नीतीश कुमार ने लालू यादव से गठबंधन तोड़कर BJP के साथ सरकार बनाई थी। तब से यह गठबंधन चल रहा है।
शायद CM नीतीश कुमार को भी इस बात का इल्म नहीं था कि राबड़ी देवी के आवास पर इफ्तार की दावत में शामिल होने का परिणाम क्या होगा। आज 29वें दिन ही लालू आवास पर छापेमारी शुरू हो गई। बताया जा रहा कि सीएम का राबड़ी आवास पर जाना BJP को रास नहीं आया। BJP चाहती है कि नीतीश कुमार उनके ही बन कर रहें, तेजस्वी या फिर किसी और के साथ उनके संबंध गहरे ना हों।
नीतीश कुमार बुलावे पर राबड़ी देवी के आवास पर चले गए। फिर दो दिनों बाद ही जब JDU ने इफ्तार की दावत दी तो तेजस्वी और तेजप्रताप यादव पहुंचे। उस समय नीतीश कुमार ने दोनों भाइयों से काफी आत्मीयता दिखाई। CM नीतीश कुमार ने दोनों भाइयों का स्वागत भी किया और गाड़ी तक छोड़ने भी गए। इसे भी राजनीति के लिहाज से बड़ी घटना माना जा रहा था।
CM नीतीश कुमार ने इस ईद में कुछ ज्यादा ही अल्पसंख्यक प्रेम दिखाया। ईद के दिन वे 13 जगहों पर मुस्लिम नेताओं और मित्रों के आवास पर गए। उनके इसी अति मुस्लिम प्रेम की वजह से ही BJP केंद्रीय नेतृत्व ने अपने नेता धर्मेंद्र प्रधान को बिहार भेजा। केंद्रीय मंत्री के इस दौरे का मकसद था कि वो नीतीश कुमार के दिल को टटोलें कि आखिर अंदर में क्या चल रहा है।
इधर, प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना को लेकर बड़ा आंदोलन करने की बात कही। ऐलान किया कि यदि नीतीश कुमार मुझसे मिलकर जातीय जनगणना पर बात नहीं करेंगे तो वो दिल्ली तक इसके विरोध में पैदल मार्च करेंगे। आनन-फानन में नीतीश ने तेजस्वी यादव को CM हाउस बुलाया। बंद कमरे में लगभग आधे घंटे बात की। बंद कमरे में क्या बातें हुई, इसपर अबतक ना तो नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया और ना तेजस्वी यादव ने साफ किया।
इधर पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा के पोते और RJD नेता व पूर्व विधायक ऋषि मिश्रा ने सीबीआई की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि CBI कभी भी फेयर काम नहीं करती है। 1975 में मेरे बाबा पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की हत्या हुई थी। उस समय से CBI की जांच चल रही है। अभी तक मामला कोर्ट में है और आज लालू यादव को फंसाने के लिए CBI काम कर रही है। सीबीआई 14 साल बाद छापेमारी कर रही है। यह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। बीजेपी, CBI का दुरुपयोग कर रही है। जो लोग BJP के साथ हैं, उन्हें इतिहास कभी माफ नहीं करेगा।