उकसावे की हरकत और किसे कहते हैं। दुनिया के दो बड़े़ देशों के बीच सीमा पर शांति का माहौल रहे तो यह पूरी दुनिया के लिए राहत की बात होती है। लेकिन १५ दौर की बातचीत के बावजूद भारत चीन सीमा पर चीन की हरकतें शांति कायम रखने वाली तो कतई नहीं लगतींं। उपग्रह चित्रों से पता चला है कि चीन पूर्वी लद्दाख में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पैंगोंग झील के आसपास के अपने कब्जे वाले इलाके में एक दूसरे पुल का निर्माण कर रहा है। यह पुल चीनी सेना के लिए इस क्षेत्र में अपने सैनिकों को जल्दी से पहुंचाने के लिए बनाया जा रहा लगता है। दो साल से अधिक समय से पूर्वी लद्दाख में कई तनाव वाले बिंदुओं पर भारतीय और चीनी सेनाओं में जारी गतिरोध के बीच इस पुल का निर्माण किया जा रहा है। हालांकि भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान की तरफ से इस निर्माण पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया या टिप्पणी नहीं आई है। यह चुप्पी रणनीतिक भी हो सकती हैक्योंकि चीन के पास यह तर्क तो है कि वह सारा कार्य अपने ही इलाके में कर रहा है। लेकिन ऐसी सीमा पर जिस पर दोनों देशों मे विवाद हो ऐसी काई भी हरकत उकसाने वाली ही है। अगस्त २०२० में चीनी सैनिकों ने क्षेत्र में भारतीय सैनिकों को धमकाने की कोशिश की थी जिस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए भारतीय पक्ष ने पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर कई रणनीतिक चोटियों पर कब्जा कर लिया। भारत भी सैन्य तैयारियों को बढ़ाने के अपने प्रयासों के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों में पुलों‚ सड़़कों और सुरंगों का निर्माण कर रहा है। चीन ने हाल ही में इलाके में पहले पुल का निर्माण कार्य पूरा किया है। तब कहा गया था कि नये पुल का निर्माण वास्तविक नियंत्रण रेखा से २० किलोमीटर से अधिक दूर किया जा रहा है। उपग्रह तस्वीरों में दिखाई दिया है कि पुल का निर्माण दोनों तरफ से एक साथ किया जा रहा है। भारत क्षेत्र में लगातार गतिरोध से पहले की यथास्थिति बहाल करने पर जोर देता रहा है। मई २०२० से इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है। १५ दौर की सैन्य बातचीत के बाद दोनों पक्ष पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों तथा गोगरा इलाके से सैनिकों को पीछे बुलाने पर सहमत हुए थे।वर्तमान में संवेदनशील क्षेत्र में एलएसी पर पर दोनों पक्षों के लगभग ५०‚००० से ६०‚००० सैनिक तैनात हैं। जिसे ठीक नही कहा जा सकता।
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