बीपीएससी प्रश्न पत्र लीक मामले में आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने रविवार को एक संगठित आपराधिक गिरोह का भंड़ाफोड़़ करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया है और उनके पास से कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी जब्त किए हैं।
मामले की जांच कर रही ईओयू के अनुसार गिरोह का नेतृत्व इंजीनियरिंग स्नातक आनंद गौरव उर्फ पिंटू यादव कर रहा था‚ जिसे २०१५ में उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती घोटाले के संबंध में गिरफ्तार किया गया था। ईओयू ने एक विज्ञप्ति में कहा कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के पूर्व छात्र यादव ने स्पष्ट तौर पर रातोंरात पैसा कमाने के लिए अपराध किया और वह मुंगेर जिले में दो साल पुराने हत्या के मामले में भी वांछित है। यादव और उसके अन्य सहयोगियों का पता लगाया जा रहा है। गिरफ्तार लोगों में शामिल राजेश कुमार राज्य के कृषि विभाग में क्लर्क के रूप में कार्यरत है। ईओयू ने कहा कि राजेश कुमार (३९) पटना के पूर्वी पटेल नगर इलाके में किराए के मकान में रहता है‚ जहां से एक लैपटॉप‚ विभिन्न नेटवर्क प्रदाताओं के ३२ सिम कार्ड़‚ पांच पेन ड्राइव और १६ ईयरफोन जब्त किए गए हैं। राजेश से पूछताछ के आधार पर यादव द्वारा लोहानीपुर इलाके में किराए पर लिए गए एक मकान पर भी छापा मारा गया‚ जो गिरोह के ‘कंट्रोल रूम’ के रूप में काम करता था। ईओयू ने कहा कि इसके अलावा यादव से जुड़़े छह बैंक खातों के रिकॉर्ड़ भी मिले‚ जिनमें १२ लाख रुपये से अधिक जमा किए गए थे। इन सभी खातों पर रोक लगा दी गई है। राजेश कुमार से मिली सूचना के आधार पर तीन अन्य लोगों– उच्च विद्यालय में पढाने वाले कृष्ण मोहन सिंह (४१)‚ निशिकांत कुमार राय (३३) और सुधीर कुमार सिंह (४०) को भी गिरफ्तार किया गया है। इनके ठिकानों से २.९२ लाख रुपये भी जांच एजेंसी ने बरामद किये हैं। कृष्ण मोहन सिंह और निशिकांत राय पटना के अलग–अलग इलाकों में रहते थे‚ जबकि सुधीर कुमार सिंह औरंगाबाद जिले का निवासी है। इससे पूर्व‚ ईओयू ने भोजपुर जिले में चार लोगों को गिरफ्तार किया था‚ जहां आठ मई को हुई प्रारंभिक परीक्षा के परीक्षा केंद्रों में से एक वीर कुंवर सिंह कॉलेज में अनियमितताओं का पता चला था। जब कुछ ‘परीक्षार्थियों’ को एक बंद कमरे के अंदर अपने प्रश्नपत्र हल करने की अनुमति दी गई और अपने मोबाइल फोन साथ ले जाने की अनुमति दी गई तो अन्य परीक्षार्थियों ने हंगामा कर दिया। जल्द ही‚ प्रश्नपत्र के स्क्रीनशॉट सोशल मीडि़या पर वायरल हो गए‚ जिसके बाद बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने कुछ घंटों के भीतर परीक्षा रद्द कर दी। भोजपुर जिले के मुख्यालय आरा से गिरफ्तार किए गए लोगों में एक प्रखंड़ विकास पदाधिकारी (बीड़ीओ) भी शामिल हैं‚ जो परीक्षा केंद्र पर ‘स्टेटिक मजिस्ट्रेट’ के तौर पर तैनात थे।
इसमें गिरफ्तार 4 लोगों में पहला नाम कृष्ण मोहन सिंह का है। वैशाली के राजापाकड़ का रहने वाला 41 साल का यह व्यक्ति इसी जिले के देसरी हाई स्कूल में सरकारी टीचर है। पटना के भूतनाथ रोड स्थित हाउसिंग कॉलोनी में इसका ठिकाना भी है।
कृष्ण मोहन सिंह वही है, जिसने पंचायती राज के सचिव रंजीत कुमार सिंह के मोबाइल पर लीक हुआ क्वेश्चन पेपर भेजा था। यह बात पूरी तरह से स्पष्ट हो गई है। इसके बारे में IAS अधिकारी ने ही EOU की टीम को जानकारी दी थी। फिर पड़ताल करते हुए टीम इस सरकारी टीचर तक पहुंची। बता दें, कृष्ण मोहन IAS का नजदीकी दोस्त है।
अब सवाल यह है कि इस टीचर के पास लीक हुआ C सेट का पेपर एग्जाम शुरू होने से पहले कहां से आया था? इस खेल में इसकी भूमिका क्या है? कब से यह इस शातिराने और अवैध कमाई के खेल में शामिल है?
इस मामले में पकड़े गए दूसरे व्यक्ति का नाम राजेश कुमार है। 39 साल का राजेश भागलपुर के सजौर थाना के तहत जगरनथापुर का रहने वाला है। वर्तमान में पटना के शास्त्री नगर के तहत पूर्वी पटेल नगर के रोड नंबर 6 में जितेंद्र सिंह के मकान में किराए पर रहता है।
गिरफ्तार किए गए तीसरे व्यक्ति का नाम निशिकांत कुमार राय (33) है। यह सीवान में गोरियाकोठी के दुधरा का रहने वाला है। वर्तमान में पटना में जगदेव पथ स्थित एक प्राइवेट मकान में रहता है। पकड़े गए चौथे व्यक्ति का नाम है सुधीर कुमार। ये औरंगाबाद जिले में अम्बा थाना के झखरी का रहने वाला है।

NIT का स्टूडेंट निकला मेन सरगना
ADG नैयर हसनैन खान के अनुसार, गिरफ्तार हर व्यक्ति से पूछताछ की गई। इसमें राजेश की निशानदेही पर पटना में कदमकुआं के लोहानीपुर में SP सुशील कुमार की अगुवाई में टीम ने छापेमारी की। वहां जाने पर कंट्रोल रूम का पता चला। इसे शातिरों के इस गैंग ने बना रखा था। यहीं से पेपर चोरी और लीक करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला मॉर्डन इक्युप्मेंट्स मिला। बड़ी बात यह है कि इस गैंग का मेन सरगना पटना NIT का स्नातक आनंद गौरव उर्फ पिंटू यादव निकला। इसने इंजीनियरिंग की डिग्री भी ले रखी है।
हत्याकांड का भी है आरोपी
2015 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुए टीचर घोटाले मामले में आनंद गौरव गिरफ्तार हुआ था। वहां से जेल गया था। 2020 में बिहार के ही मुंगेर जिले में हुए एक हत्याकांड का भी यह मुख्य अभियुक्त है। EOU का दावा है कि आनंद के साथ ही इसके गैंग से जुड़े सभी सदस्यों की पहचान हो चुकी है। उनकी गिरफ्तारी के लिए कार्रवाई चल रही है।
पूछताछ में राजेश ने खुलासा किया कि लोहानीपुर के इस ठिकाने को आनंद ने ही किराए पर ले रखा था। यहीं वो रहता भी था। फिलहाल आनंद फरार है। इसके ठिकाने से ही 2.92 लाख रुपए कैश तो मिला ही। इसके नाम से 6 बैंक अकाउंट के पासबुक मिले। इसमें करीब 12 लाख रुपए जमा है। इसे फ्रीज कर दिया गया है। इस कांड की साजिश कब रची गई? इस प्वाइंट के साथ-साथ EOU की टीम मनी ट्रेल के प्वाइंट पर भी जांच कर रही है।

आनंद के ठिकाने से मिला सामान
- कैश 2.92 लाख
- ICICI बैंक के 6 अकाउंट के पासबुक
- डेल का एक लैपटॉप
- डिवाइस के साथ 2 पीस ब्लूटूथ इयर फोन
- 152 पीस GPS डिवाइस
- एक पीस पेन कैमरा
- वॉकी टॉकी के बने हुए 7 डिवाइस, 4 सेट और इसके 46 चार्जर
- एक पीस मेटल डिटेक्टर
- 10 पीस GPS बैटरी
- एक पीस हीट सिल मशीन
- एक पीस स्मॉल टूल कीट
- एक पीस हीट गन
- एक पीस प्रींट कार्टीज
- 5 पीस सोल्डरिंग डिवाइस
- एग्जाम के दौरान इस्तेमाल किया जाने वाला 47 स्पाइ GPS डिवाइस
- 11 पीस USB केबल कनेक्टर
- 1 पीस मैजरमेंट टेप
- एक पीस ग्लू इलेक्ट्रिक गन
राजेश के ठिकाने पर भी हुई थी छापेमारी
- एक पीस लैपटॉप
- 5 पीस पेन ड्राइव
- 16 पीस ईयर पीस
- वोडाफोन का 20 पीस सीमकार्ड
- यूनिनार का 2 सीमकार्ड
- एयरसेल का 9 पीस सीमकार्ड
- BSNL का एक सीमकार्ड
- एक पीस प्रिंटर
- दो बैंक अकाउंट का पासबुक
10 लाख में बिका BPSC PT का पेपर!
BPSC PT की परीक्षा में कैंडिडेंट्स से पेपर और आंसर बताने के लिए 8 से 10 लाख रुपए की डील हुई थी। बकायदा इसके लिए ये रकम वसूली गई। हर कैंडिटेड से 10-10 लाख रुपए लिए गए। ये पैसे अलग-अलग खातों में डलवाया गया। EOU (आर्थिक अनुसंधान इकाई) ने इस मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। इसके साथ कई बैंक अकाउंट्स को सीज किया गया है।
BPSC ने ही घंटेभर पहले बंटवाया पेपर!
बिहार लोक सेवा आयोग की संयुक्त पीटी परीक्षा रद्द होने के बाद BPSC और उसके अधिकारी सवालों के घेरे में हैं। दैनिक भास्कर प्रश्नपत्र लीक को लेकर एक और बड़ा खुलासा करने जा रहा है। भास्कर के हाथ आयोग के निर्देश की कॉपी लगी है। इसमें साफ लिखा है कि जो पेपर परीक्षा के 10 मिनट पहले मुख्य वीक्षक (इनविजिलेटर्स) को दिया जाना था, वो 1 घंटे पहले ही दे दिया गया। इसमें पेज नंबर 64 पर प्रश्न पुस्तिका स्थिति प्रमाण पत्र का फॉर्मेट है। परीक्षा का नाम है- 67 वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगिता परीक्षा। यह फॉर्मेट अपने आप में बड़ा सवाल है।