बीपीएसपी पेपर लीक कांड में 100 से ज्यादा अफसर और कर्मचारी जांच के दायरे में हैं। दो से तीन दिनों में ईओयू इनपर बड़ी कार्रवाई कर सकती है। आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने मंगलवार को आरा के कुंवर सिंह कॉलेज के प्रिंसिपल-सह-सेंटर सुपरिटेंडेंट डॉ.योगेन्द्र प्र.सिंह, कॉलेज में सेंटर पर प्रतिनियुक्त स्टैटिक मैजिस्ट्रेट-सह बड़हरा के बीडीओ जयवर्द्धन गुप्ता, कॉलेज के व्याख्याता-सह कंट्रोलर सुशील कुमार सिंह और व्याख्याता-सह-सहायक सेंटर सुपरिटेंडेंट अगम कुमार को गिरफ्तार कर लिया। प्रश्न पत्र लीक मामले में यह पहली गिरफ्तारियां हैं। कुंवर सिंह कॉलेज के प्रिंसिपल, स्टेटिक मजिस्ट्रेट और दो अन्य से रविवार से ही पूछताछ चल रही थी।
सवाल- क्या ये ही मास्टरमाइंड हैं?
नहीं, ये तो महज कार्रवाई की शुरुआत है। ये भी आशंका जताई जा रही है कि ये कार्रवाई तो सिर्फ एक सेंटर का वीडियो वायरल होने का नतीजा है। हकीकत यह है कि अभी जांच शुरू हुई है और इसके दायरे में बीपीएसपी के अफसर और कर्मचारी भी हैं। ईओयू ने बीपीएससी से उन सभी कर्मियों के नाम और मोबाइल नंबर की लिस्ट मांगी है जो परीक्षा की इस पूरी प्रक्रिया में शामिल रहे हैं। ईओयू के सूत्रों के अनुसार बीपीएससी के ऐसे कर्मियों की संख्या 100 से अधिक बताई जा रही है।
गौरतलब है कि ईओयू के साइबर सेल ने इस पूरे मामले में अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया और हर एंगल से तफ्तीश की जा रही है। केस को फिलहाल पूरी तरह ओपन रखा गया है। साइबर सेल लगातार उस मोबाइल को ट्रैक करने की कोशिश कर रहा है जिसके जरिए सबसे पहले प्रश्न पत्र लीक या पोस्ट किया गया। इसके अलावा सोशल मीडिया को भी खंगाला जा रहा है। ईओयू अगले दो से तीन दिनों में कोई बड़ी कार्रवाई कर सकती है।
जिस कॉलेज से जुड़े 4 गिरफ्तार, वो यूनिवर्सिटी से मान्य ही नहीं, 2017 में यहां आरोप लगे तो तत्कालीन वीसी ने परीक्षा पर रोक लगाई…फिर भी ये सेंटरवीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी की ओर से संचालित स्नातक पार्ट टू की परीक्षा को लेकर वर्ष 2017 में भी कुंवर सिंह कॉलेज की काफी किरकिरी हुई थी। मैनेजमेंट को लेकर सवाल उठा था। तत्कालीन कुलपति प्रो डॉ सैयद मुमताजुद्दीन ने कुंवर सिंह कॉलेज में परीक्षा लेने पर बैन लगा दिया था।
वर्तमान में कुंवर सिंह कॉलेज को यूनिवर्सिटी की ओर से मान्यता भी नहीं है। इसके बावजूद बीपीएससी की परीक्षा कुंवर सिंह कॉलेज में पड़ना कई सवालों को खड़ा करता है। इस कॉलेज से स्नातक पास कई छात्र-छात्राएं आज डिग्री के लिए वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के गलियारों का चक्कर लगा रहे हैं।
इस सेंटर से पेपर आउट? अभी कहना गलत
कुंवर सिंह कॉलेज में भी बीपीएससी का सेंटर था। परीक्षा दोपहर 12 बजे से शुरू होनी थी, लेकिन करीब सवा 12 बजे तक क्लास रूम में प्रश्न पत्र नहीं बांटे गए। अभ्यर्थियों ने इसपर हंगामा शुरू कर दिया। ईओयू के सूत्रों के अनुसार अभ्यर्थियों को कॉलेज प्रबंधन व वहां मौजूद लोगों की ओर से यह कहा गया कि प्रश्न पत्र देने में विलंब हो रहा है तो आपको अतिरिक्त समय भी दिया जाएगा। लेकिन अभ्यर्थी इसपर तैयार नहीं हुए और वे बाहर निकल गए। अभ्यर्थियों ने वहां देखा कि एक कमरे में कुछ छात्रों को प्रश्न पत्र दिए जा चुके हैं।
कुछ अभ्यर्थियों ने उन प्रश्न पत्रों की तस्वीर खींची और उसे वायरल किया गया। यह पूरे मामले का एक पक्ष है। ईओयू ने इसे इस मामले काे अंतिम निष्कर्ष नहीं माना है। वीर कुंवर सिंह कॉलेज से प्रश्न पत्र वायरल होने के पहले भी प्रश्न पत्र लीक-वायरल हो चुके थे, ईओयू को जांच में इसके सुराग मिले हैं। ईओयू अब यह पता लगाने में जुटी है कि किन लोगों ने सबसे पहला पोस्ट किया। कई संदिग्धों की तलाश जारी है। ईओयू की एसआईटी यह मान कर चल रही है कि इस पूरे प्रकरण में कोई गिरोह भी हो सकता है। इस मामले में पैसों के संभावित लेनदेन और ट्रांजेक्शन को भी ट्रैक करने में जुटी है। ईओयू के एडीजी नैय्यर हसनैन खान ने कहा है कि हम मामले की तह तक जाएंगे।
आखिर सी-सेट ही वायरल क्यों?
बीपीएससी प्रश्न पत्र लीक मामले में सबसे चौंकाने वाली बात है कि सिर्फ सी-सेट के प्रश्न पत्र ही वायरल हुए। वह भी अलग-अलग समय पर। ऐसा कैसे संभव है? इसके पीछे कौन है? सबसे बड़ा सवाल है। दरअसल आरा के कुंवर सिंह कॉलेज से जो प्रश्न पत्र वायरल किया गया वह सी-सेट का था, लेकिन इस सेंटर से वायरल होने के पहले ही कहीं और से भी प्रश्न पत्र वायरल हो चुका था और वह भी सी-सेट का ही था।
परीक्षा से पहले ही पेपर आउट हो जाने के कारण 67वीं BPSC (बिहार लोकसेवा आयोग) प्रारंभिक परीक्षा रद्द कर दी गई, जो आयोग के इतिहास में पहली बार हुआ है। इसे लेकर छात्र संगठनों से लेकर विपक्षी दल तक सरकार पर हमलावर है। सोशल मीडिया पर तो आयोग का नाम ‘बिहार लीक सेवा आयोग’ ट्रेंड कराया जा रहा है। आयोग की बड़ी फजीहत हो रही है, वो भी उनके कार्यकाल में जिनकी ताजपोशी रिटायरमेंट से पहले ही कर दी गई थी और कहा गया था कि यह काफी सख्त और ईमानदार अफसर हैं।
आइए जानते हैं, कौन है वो अफसर जिनके कार्यकाल में BPSC पर 73 साल के इतिहास का सबसे बड़ा कलंक लगा
हिमाचल प्रदेश के मूल निवासी 1987 बैच के IAS आरके (रजनीश कुमार) महाजन आयोग के चेयरमैन बनने से पहले शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव थे। 31 अगस्त 2020 को वह रिटायर हो गए। उसी दिन सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने अधिसूचना जारी कर उनको 1 सितंबर 2020 से चेयरमैन बना दिया। उनका कार्यकाल पद संभालने की तिथि से 6 साल या 62 वर्ष की उम्र सीमा (इन दोनों में जो पहले हो) तक है।
एक साल में टीचरों को नहीं मिली नौकरी, लेकिन इन्हें मिल गया रिटायरमेंट प्लान
महाजन जब शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव थे तब ही आंदोलन और काफी हंगामे के बाद शिक्षा विभाग ने छठे चरण की शिक्षक बहाली की प्रक्रिया शुरू की। जून 2019 में शुरू हुई 1.20 लाख टीचरों (प्राइमरी+ हाईस्कूल) की बहाली तय समय पर भी पूरी नहीं हुई, लेकिन उनको रिटायरमेंट का प्लान चेयरमैन बनाकर दे दिया गया। शिक्षक बहाली प्रक्रिया अब मार्च 2022 में करीब-करीब जाकर पूरी हुई है।
तेज प्रताप के मंत्री रहते स्वास्थ्य विभाग के बने थे प्रधान सचिव
2015 में लालू यादव की RJD के सत्ता में वापस लौटते ही कुछ अधिकारियों का ट्रांसफर हुआ था। तब चर्चा थी कि लालू के इशारे पर उनके बेटों के विभाग में उनके विश्वस्त अफसरों को तैनात किया गया है। उसमें नाम आरके महाजन का भी था। तब उनको शिक्षा विभाग से हटाकर स्वास्थ्य विभाग का प्रधान सचिव बनाया गया था। उस वक्त लालू के बड़े लाल तेज प्रताप स्वास्थ्य मंत्री हुआ करते थे।
केंद्र में UPA के पहले शासनकाल के दौरान महाजन रेल भवन में जन शिकायत कोषांग के कार्यकारी निदेशक थे। उस वक्त के रेल मंत्री लालू प्रसाद थे।
जानिए, हुआ क्या है
802 पदों के लिए रविवार दोपहर 12 बजे से 2 बजे BPSC की प्रारंभिक परीक्षा हुई। 38 जिलों के 1083 केंद्रों पर परीक्षा ली गई। पहली बार सभी 38 जिलों में केंद्र बनाए गए थे। इससे पहले अधिकतम 35 जिलों में केंद्र बनाए गए थे। एग्जाम के पहले ही सोशल मीडिया पर सी सैट का पेपर वायरल हो गया। इसके बाद एग्जाम को कैंसिल करना पड़ा।
सचिव जिऊत सिंह के अनुसार, सुबह 11.55 बजे व्यक्तिगत रूप से उन्हें जानकारी मिली कि सी सेट के प्रश्न पत्र वायरल हुए हैं। जांच से पता चला कि वही प्रश्न पत्र वायरल हुए हैं, जो परीक्षार्थियों को दिए जाने थे।’ पेपर लीक की सूचना के बाद अध्यक्ष आरके महाजन ने 3 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई। कमेटी ने 3 घंटे के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंप दी। इसके बाद 6 लाख दो हजार अभ्यर्थियों वाली परीक्षा को रद्द कर दिया गया।
तीन चेयरमैन जा चुके हैं जेल
आयोग पर सवाल खड़े करने के साथ-साथ सरकार का बचाव करते हुए BJP नेता सुशील मोदी ने कहा, ‘पिछले 15 वर्षों में BPSC ने अपनी साख पहले से जरूर बढ़ाई है, क्योंकि लालू राज में इसके तीन-तीन चेयरमैन जेल जा चुके हैं।’ लगातार 6 ट्वीट कर उन्होंने लिखा है, ‘लालू-राबड़ी राज में भ्रष्टाचार के कारण BPSC के तीन पूर्व अध्यक्षों- प्रो. राम सिंहासन सिंह, डॉ. रजिया तबस्सुम और डॉ. लक्ष्मी राय को जेल जाना पड़ा था।’
तेजस्वी-चिराग ने बोला हमला
पेपर लीक होने के बाद छात्र संगठनों, तेजस्वी यादव और चिराग पासवान ने सरकार पर हमला बोला है। तेजस्वी ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘बिहार के करोड़ों युवाओं का जीवन बर्बाद करने वाले बिहार लोक सेवा आयोग का नाम बदलकर अब ‘बिहार लोक पेपर लीक आयोग’ कर देना चाहिए।’
चिराग पासवान ने लिखा, ‘प्रदेश में इतना बड़ा पेपर लीक होना सरकार की नाकामी को दर्शाता है। आखिर कब तक बिहार के युवाओं के भविष्य के साथ ऐसे ही खिलवाड़ होता रहेगा। आज इस घटना ने पूरे देश में बिहार प्रदेश को शर्मसार कर दिया है।’
5 साल पहले BSSC इंटर स्तरीय परीक्षा का पेपर हुआ था लीक
BSSC (बिहार कर्मचारी चयन आयोग) इंटर स्तरीय परीक्षा का पेपर पांच साल पहले लीक हुआ था। इस मामले में तब के BSSC अध्यक्ष सुधीर कुमार, सचिव परमेश्वर राम, पेपर छापने वाले, प्रश्न पत्र सेट करने वाले से लेकर अध्यक्ष के कई परिजनों, IT मैनेजर समेत करीब तीन दर्जन को गिरफ्तार किया गया था। सुधीर करीब साढ़े तीन साल तक इस मामले में जेल में रहे थे। सुप्रीम कोर्ट से उन्हें 6 अक्टूबर 2020 को जमानत मिली थी।
67वीं बीपीएससी-सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. पेपर लीक होने के कारण पीटी को रद्द कर दिया गया था. सूत्रों की मानें तो अब यह परीक्षा 15 जून के बाद आयोजित की जा सकती है. पुलिस जांच रिपोर्ट आने के बाद परीक्षा तिथि पर मंथन किया जाएगा. बताया जाता है कि 67वीं बीपीएससी-सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा के बाद इसे ऑनलाइन मोड में कराने पर आयोग विचार कर सकता है. फिलहाल यह परीक्षा ऑफलाइन मोड में ही होगी.
सूत्रों ने बताया कि बीपीएससी सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा फिलहाल ऑफलाइन मोड में ही लिया जाएगा. इसके बाद आयोग इसे ऑनलाइन मोड में कराने पर विचार कर सकता है. बता दें कि प्रारंभिक परीक्षा का पर्चा लीक होने के बाद इसे रद्द करने का फैसला किया गया था. इसके बाद से ही हजारों की तादाद में अभ्यर्थी परीक्षा की संशोधित तिथि को लेकर आयोग के नोटिफिकेशन का इंतजार कर रहे हैं. अब सूत्रों के हवाले से यह खबर सामने आ रही है कि यह रद्द की गई प्रारंभिक परीक्षा 15 जून के बाद ली जाएगी. पर्चा लीक मामले में जांच एजेंसियों ने कई गिरफ्तारियां भी की हैं. फिलहाल मामले की जांच चल रही है और सबको जांच रिपोर्ट का इंतजार है.
परीक्षा केंद्र को लेकर पुनर्विचार संभव
इस बीच एक और बड़ी खबर सामने आ रही है. बिहार लोकसेवा आयोग परीक्षा केंद्र को लेकर पुनिर्वचार कर सकता है. बताया जाता है कि आयोग अनुमंडल स्तर पर बनाए गए परीक्षा केंद्रों को हटा सकता है, ताकि दोबारा से किसी तरह की धांधली की आशंकाओं को दूर किया जा सके. 67वीं बीपीएससी सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा के लिए अनुमंडल स्तर पर भी केंद्र बनाए गए थे. विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे में पेपर लीक होने की आशंका बनी रहती है, ऐसे में इस बार अनुमंडल स्तर पर बनाए गए परीक्षा केंद्रों को हटाया जा सकता है.