कोरोना मौतों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जो रिपोर्ट जारी की है, उस पर विवाद खड़ा हो गया है. एक आपत्ति तो भारत ने ही दर्ज करवा दी है. साफ कर दिया गया है कि WHO द्वारा जारी किए गए आंकड़ों पर विश्वास नहीं किया जा सकता है. अब AIIMS डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी इस ओर इशारा कर दिया है. उनकी तरफ से तीन बड़े कारण बता दिए गए हैं जिस वजह से WHO की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. वे कहते हैं कि भारत में जन्म-मृत्यु के आंकड़े दर्ज करने का व्यवस्थित तरीका है जिसमें कोविड के अलावा हर तरह की मौत के आंकड़े दर्ज होते हैं…जबकि इस आंकड़े इस्तेमाल ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नहीं किया है.
दूसरे कारण को लेकर डॉक्टर गुलेरिया ने कहा है कि WHO ने जो आंकड़े जमा किये हैं जो विश्वसनीय नहीं हैं…वो कहीं से भी उठा लिये गये हैं…अपुष्ट स्रोतों से, मीडिया रिपोर्ट्स से या किसी और स्रोत से जो अवैज्ञानिक तरीके से जमा किये गये…विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वहां से आंकड़े ले लिये जिन पर भरोसा नहीं किया जा सकता.
इसके अलावा डॉक्टर गुलेरिया ने कोरोना मौत के बाद परिवारों को दिए मुआवजे का मुद्दा भी उठाया है. उनकी नजरों में अगर इतने लोगों की मौत हुई होती तो उनके परिवार सरकार से आर्थिक सहायता जरूर मांगते. इस बारे में वे बताते हैं कि भारत ने कोविड से जान गंवाने वालों के परिवारों को सरकार ने मुआवजे का प्रावधान किया है…अगर इतनी मौतें हुई होतीं तो वो रिकॉर्ड होता…जान गंवाने वाले परिवार के लोग मुआवजे के लिए आगे आते…इसलिए इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता. इससे पहले नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने भी WHO के आंकड़ों को सही नहीं माना था. उन्होंने कहा था कि जब पहले से ही भारत के पास कोरोना से हुईं मौतों का आंकड़ा मौजूद है, ऐसी स्थिति में उस मॉडल को तवज्जो नहीं दी जा सकती जहां पर सिर्फ अनुमान के मुताबिक आंकड़े जारी किए गए हों.
क्या कहती है भारत में कोविड-19 मौतों के बारे में WHO की रिपोर्ट?
WHO ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत में वर्ष 2020-21 में 4.7 मिलियन ‘अतिरिक्त’ कोविड-19 मौतें हुई हैं। यह आंकड़ा आधिकारिक मरने वालों की संख्या से 10 गुना अधिक है और भारत को कोविड-19 से दुनिया का तीसरा सबसे अधिक प्रभावित देश बनाता है।
भारत सरकार ने रिपोर्ट का तुरंत खंडन किया और कहा कि WHO के मॉडल और अनुमानों की पद्धति के लिए भारत सरकार द्वारा कड़ी आपत्ति के बावजूद, एजेंसी ने कोविड-19 मौतों के संबंध में ‘संदिग्ध’ डेटा प्रकाशित किया है। भारत ने अनुमानों पर पहुंचने के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली गणितीय मॉडलिंग पद्धति पर आपत्ति जताई है।
भार्गव कहते हैं, एक्सट्रपलेशन करने की कोई जरूरत नहीं है, हमने व्यवस्थित रूप से सभी कोविड-19 डेटा एकत्र किए हैं।
भार्गव ने जोर देकर कहा कि एक बार हमारे पास यह व्यवस्थित डेटा होने के बाद, हमें मॉडलिंग, एक्सट्रपलेशन और प्रेस रिपोर्ट लेने व मॉडलिंग अभ्यास में उनका उपयोग करने पर भरोसा करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार ने व्यवस्थित रूप से कोविड-19 महामारी से संबंधित सभी डेटा एकत्र किए हैं, जिसमें टीकाकरण करने वाले व्यक्तियों की संख्या भी शामिल है।
समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि भार्गव ने कहा, “हमारे पास 1.3 बिलियन में से 97-98% से अधिक का डेटा है, जिन्हें पहली खुराक का टीका लगाया गया है और लगभग 190 करोड़ वैक्सीन खुराक का उपयोग किया गया है। इसलिए, वह सब व्यवस्थित रूप से एकत्र किया जाता है।”