चीन ऐसा पड़ोसी है, जिसे छात्रों के भविष्य तक से खिलवाड़ से भी परहेज नहीं है। इसका जवाब उसे भारत यात्रा की इच्छा रखने वाले अपने नागरिकों को होने वाली परेशानी से चुकाना पड़ा है। इसी कड़ी में भारत ने चीन के नागरिकों को जारी सारे टूरिस्ट वीजा निलंबित कर दिए हैं। अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (आईएटीए) ने सभी विमानन कंपनियों को इस बार में जानकारी दे दी है। निलंबित वीजा में दस साल की अवधि वाले टूरिस्ट वीजा भी शामिल हैं। यद्यपि भारत का कहना है कि बिजनेस, नौकरी, राजनयिक श्रेणी की यात्राओं के लिए वीजा दिए जाते रहेंगे। भारत का यह फैसला भारतीय छात्रों को लेकर चीन द्वारा बरती जा रही सख्ती के विरोध में लिया गया है।
चीन में पढ़ने वाले भारत के 20 हजार से ज्यादा छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है क्योंकि वे वापस अपने कालेजों में नहीं जा पा रहे हैं। चीन ने थाईलैंड, पाकिस्तान और श्रीलंका के छात्रों को तो लौटने की इजाजत दे दी है, लेकिन भारतीय छात्र उसकी बेरुखी का शिकार हो रहे हैं। चीन वीजा निलंबन के भारत के कदम को लेकर भी यही जताने की कोशिश कर रहा है कि उसे कोई फर्क नहीं पड़ा है। चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि आजकल बहुत कम चीनी टूरिस्ट भारत जा रहे हैं। कोविड के बाद भारत ने अनेक देशों के खिलाफ वीजा पाबंदियां पूरी तरह नहीं हटाई हैं।
ब्रिटेन और कनाडा के लोगों को अब भी ई-वीजा जारी नहीं किए जा रहे हैं।जापान और अमेरिका को छोड़कर बाकी देशों के नागरिकों को जारी किए गए दस साल की वैधता वाले टूरिस्ट वीजा भी अब निलंबित हैं। कोविड के कारण दो साल तक बंद रहने के बाद 27 मार्च को भारत ने व्यावसायिक विमानों को भारत आने की अनुमति दी थी। जिन देशों के नागरिकों को भारत में प्रवेश की इजाजत है, उनमें भूटान, मालदीव, नेपाल, भारत के रेजिडेंट परमिट धारक, ओसीआई कार्ड धारक, पीआईओ कार्ड धारक और डिप्लोमैटिक पासपोर्ट धारक शामिल हैं। भारत चीन संबंधों में पिछले काफी समय से कुछ भी ठीक नहीं चल रहा। विदेश मंत्री एस जयशंकर क्वॉड जैसे मंच पर भी यह स्वीकार कर चुके हैं। चीन की विस्तारवादी नीतियां इसके लिए सीधे जिम्मेदार हैं।