वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव के मौके पर जगदीशपुर के दुलौर मैदान में प्रखर राष्ट्रवादी राजनेता और देश के गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में एक नया इतिहास रचा जायेगा। इस दौरान ७५ हजार से ज्यादा तिरंगा हाथ में लिए‚ राष्ट्रवादियों का हुजूम उन सभी राष्ट्रनायकों का सम्मान और उनका यशोगान करेगा।
आजादी के ७५वें वर्ष में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है‚ इसका उद्ेश्य उन महान विभूतियों को याद करना तथा उनके यशोगान के जरिए नई पीढिÃयों को इससे अवगत कराना है जिन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिए अपनी कुर्बानी दी है तथा सर्वस्व न्योछावर कर दिया है। इस अमृत महोत्सव में उन महान व्यक्तियों को भी याद किया जा रहा है जो भारत के नव निर्माण में अपना योगदान दे रहे हैं।
इस अमृत महोत्सव के तहत वीरभूमि जगदीशपुर में आयोजित हो रहे बाबू वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव में लाखों लोग पहुंचेंगे और उस धरती को नमन करेंगे। वीर योद्धा कुंवर सिंह की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के महानायकों के लिए धर्म और जाति मायने नहीं रखती‚ यही कारण है कि १८५७ की क्रांति में वे महानायक के रूप में उभरे। १८५७ का स्वतंत्रता संग्राम पहला मौका प्रतीत होता है जहां हिन्दू व मुसलमान कंधा से कंधा मिलाकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते नजर आए। वीर कुंवर सिंह की वीरता जगजाहिर है लेकिन दुर्भाग्य है कि इनकी वीरता को हम वह सम्मान आज तक नहीं दे सके‚ जोवीर कुंवर सिंह की वीरता जगजाहिर है लेकिन दुर्भाग्य है कि इनकी वीरता को हम वह सम्मान आज तक नहीं दे सके‚ जो कई स्वतंत्रता सेनानियों को मिला। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों को यह सम्मान देने में जुटी है।
BJP के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह शनिवार को बिहार दौरे पर हैं। वो आजादी का अमृत महोत्सव के तहत वीर कुंवर सिंह की जयंती पर आयोजित विजयोत्सव समारोह में शामिल होंगे। औपचारिक रूप से भले इसे आजादी का अमृत महोत्सव कहा जा रहा है लेकिन सियासी गलियारों में इसे BJP का कुंवर सिंह महोत्सव का दर्जा दिया जा रहा है।
सियासी पंडित इसे बिहार में BJP की 2025 की तैयारी का आरंभ बता रहे हैं। अमित शाह आरा के जगदीशपुर से शाहाबाद और मगध की सियासत साधने की शुरुआत करेंगे। पॉलिटिकल एनालिस्ट अशोक मिश्रा कहते हैं कि बिहार में मगध और शाहबाद दो ऐसा किला है जहां BJP के पारंपरिक वोटर्स माने जाने वाले सवर्ण मतदाताओं में बीते चुनाव में सेंधमारी हुई है।
आलम ये है कि बिहार का चित्तौड़गढ़ माने जाने वाले औरंगाबाद में पिछले चुनाव में BJP का खाता भी नहीं खुला था। इस इलाके में BJP की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि 2020 के विधानसभा चुनाव में शाहबाद इलाके के 22 विधानसभा सीटों में BJP को मात्र दो सीटें मिली थी। जबकि मगध की 65 सीटों में मात्र 6 सीटें मिली थी। यही वो इलाके हैं जहां BJP RJD से पिछड़ रही है।
BJP का चुनावी सूत्र, मुद्दों के साथ चेहरों से बढ़ाती है स्वीकार्यता
अशोक मिश्रा कहते हैं वीर कुंवर सिंह एक ऐसा नाम हैं जिनकी स्वीकार्यता शाहबाद के साथ पूरे राज्य में है। उनके बहाने वो राजपूत में अपनी स्वीकार्यता को वापस लाना चाहते हैं। वे कहते हैं कि हालिया कुछ चुनावों से ये BJP के लिए एक चुनावी सूत्र बन गया है। UP चुनाव में हनुमान जयंती भी उसी फॉर्मूले का हिस्सा था। इससे पहले गुजरात में सरदार पटेल के चेहरे पर BJP ने दांव खेला था।
RJD के A टू Z फॉर्मूले को काटने की कोशिश
RJD अब अपने MY समीकरण से बाहर निकल कर तेजी से अपनी छवि A टू Z पार्टी की बनाने में लगी हुई है। विधान परिषद के चुनाव में भूमिहारों पर RJD का सफल दांव और बोचहां उपचुनाव में मिली जीत ने तेजस्वी के इस फॉर्मूले को बल भी दिया है। BJP इसका काट निकालने की तैयारी में भी अभी से ही जुट गई है। इस कार्यक्रम को भी उस लिहाज से देखा जा रहा है।
राजपूतों को साधने की कोशिश
सवर्णों की पार्टी कही जाने वाली BJP से राजपूत दूरी बना रहे हैं। आनंद मोहन, जगदानंद सिंह, प्रभूनाथ सिंह जैसे बड़े नेताओं में से अधिकांश राजपूत के बड़े नेता RJD के ही हैं। ऐसे में BJP आरके सिंह, सुशील सिंह, अमरेंद्र प्रताप सिंह इस क्षेत्र में सेंधमारी की कोशिश कर रही है। BJP की यह रणनीति कितनी सफल होगी ये अलगे चुनाव में पता चलेगा।