पटना में एक महिला सड़क पर बने मेनहोल में गिर गई। जो लगभग १२ फुट गहरा है‚ इस हादसे का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है। महिला एक ऑटो के पीछे-पीछे फोन पर बात करते हुए जा रही थी। अचानक से सड़क के बीचों-बीच मेनहोल का ढक्कन खुला था। जैसे ही ऑटो हटा महिला सीधे उस मेनहोल में जा गिरी। महिला के गिरते ही आसपास मौजूद लोग तुरंत वहां जुट गए। महिला को 18 सेकेंड के अंदर ही बाहर निकाल लिया गया, लेकिन राजधानी पटना से आए इस वीडियो ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
यहां पर इसका जिक्र करना इसलिए जरूरी हो गया है‚ क्योंकि देश के किसी भी शहर में चले जाओ‚ इस तरह के गड्ढे कितने ही लोगों की मौत का कारण बन रहे हैं। लोगों की असामयिक मौतों का कारण बन रहे हैं। दिल्ली को ही लीजिए‚ देश की राजधानी होने का इसे गर्व प्राप्त है‚ पर हाईटैक सिटी होने के बाद भी आप गड़्ढों से मुक्त नहीं हो पाएंगे। सडकों की यह दुर्दशा लगातार हो रही है। माना कि बीच–बीच में सडक के गड्ढे भरे जाते हों‚ लेकिन जैसे ही कुछ दिन बीतते हैं–वैसे ही कुछ दिनों के बाद सडक पर गड़्ढों की भरमार हो जाती है‚ और सडक पर चलने वाले पैदल से लेकर गाडी में बैठों को परेशानियों से गुजरना पडता है। गड्ढे खुदवाने वाले‚ शहर के कितने ही विभाग हैं‚ उनमें निजी कंपनियां भी ऐसे काम कर जाती हैं‚ जिससे सडक वह सडक ऐसी नहीं रह जाती‚ जिस पर यातायात सही ढंग से चल सके। कहना न होगा कि कभी सडक खुदाई में बिजली विभाग का हाथ होता है‚ तो कभी जल विभाग पाइपलाइन बिछा तो देता है‚ पर उस स्थान की सुध लेना छोड देता है‚ और महीनों तक वह खुदी हुई सडक ठीक नहीं हो पाती। इसी तरह केबिल डालने के लिए संचार विभाग आए दिन खुदाई तो करवाता है‚ पर उसे मरमत करने के लिए लापरवाही इतनी कर देता है कि हजारों हादसे दिन पर दिन होते हैं। कहना यह कि सडक दुर्घटनाएं लगातार शहर में बढती ही जा रही हैं। दिल्ली में अब तक स्थानीय निकाय से लेकर राज्य सरकार तक को मरमत का काम करने में तत्पर रहना चाहिए पर ऐसा नहीं हो रहा है। अभी तक दिल्ली में तीन नगर निगम हुआ करते थे लेकिन पिछले दिनों केंद्र सरकार ने तीनों नगर निगमों का एकीकरण करने का ऐलान कर दिया। अब तो इस ऐलान पर बाकायदा मंजूरी भी मिल गई है। यानी तय है कि आने वाले दिनों में दिल्ली में एक नगर निगम होगा। निगम का दायित्व है कि दिल्ली शहर को चमकता दे। जनता को परेशानियां न हों‚ पर ऐसा अभी तक नहीं हो पाया। अब देखा है कि एकीकृत दिल्ली नगर निगम‚ जिसके लिए चुनाव संभवतः अगले साल होंगे‚ इस दायित्व को कितना अच्छे से निभाता है। बात एनसीआर से शुरू हुई है। सडक और पैदल पथों पर विकलांगों को चलने की बात करें तो हम सही ढंग से सोच ही नहीं सकते हैं। विकलांगों के लिए कोई सडक नहीं है‚ जो देश की राजधानी में तो कम से कम दिखनी ही चाहिए थी। हम भारत की राजधानी में ये कमियां लगातार देख रहे हैं‚ जिनमें सडक दुर्घटना आम बात है। इसके अलावा शहर मानसून की पहली वर्षा में ही स्थिति चरमरा जाती है। पहली बारिश ही कहर ढा देती है। जगह–जगह तालाब बन जाते हैं‚ जिसके कारण यातायात घंटों रुका रहता है। आपातकालीन स्थिति में व्यक्ति या मरीज रुका रहता है। कहा गया है कि भारत में युद्धों में जितने सैनिक शहीद हुए हैं‚ उससे ज्यादा लोग सडकों पर दुर्घटना में मारे जाते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी एक बार टिप्पणी की थी कि देश में इतने लोग सीमा पर या आतंकी हमले में नहीं मारे गए‚ जितने सडकों पर गड्ढों की वजह से मर जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर‚ न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने ७ दिसम्बर‚ २०१८ को राजशेखर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि देश में इतने लोग सीमा पर या आतंकी हमले में नहीं मरते‚ जितने सडकों पर गड्ढों की वजह से मर जाते हैं। गौरतलब है कि पिछले एक दशक में ही भारत में लगभग १४ लाख लोग सडक दुर्घटनाओं में मारे गए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अपने अनुमानों के अनुसार ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट में बताया गया है कि सडक दुर्घटना में भारत में मरने वालों की दर एक लाख में छह है। इसी तरह ‘सेव लाइफ फाउंडेशान’ के आंकडों के अनुसार भारत में सडक दुर्घटना में पिछले दस वर्षों में १३ लाख ८१ हजार ३१४ लोगों की मौत और ५० लाख ३० हजार ७०७ लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। देश में हर साढे तीन मिनट में एक व्यक्ति की मौत सडक दुर्घटना से हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार राज्यों के संदर्भ में सबसे अधिक सडक दुर्घटनाएं तमिलनाडु में हुई हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। २०१८ में १८–४५ की आयु वर्ग के लोग सडक दुर्घटनाओं के सबसे अधिक शिकार हुए हैं। कुल दुर्घटनाओं में लगभग ८५ फीसदी मौतें १८ से ६० के बीच की हुई हैं। अब मुद्दा यह बनता है कि देश में एक ऐसा कानून बनना चाहिए जो सडकों के रख–रखाव पर निश्चित जिम्मेदारी डाले ताकि सडकों में गड्ढे जो खुला छोड़ें‚ उन्हें दंडित किया जा सके। जिम्मेदारी निश्चित करना आवश्यक है।
मेनहोल खुला होना आम बात
मामला पटना सिटी के वार्ड नंबर 56 का है। महिला बाजार से लौट रही थी, तभी सड़क के बीचो-बीच खुले मेनहोल में गिर गई। महिला को नाले में गिरता देख आसपास मौजूद लोग जुट गए और बहादुरी दिखाते हुए महज 18 सेकेंड में ही महिला को नाले से निकालकर उसकी जान बचाई।
ऐसे हुआ हादसा
घटना उस समय हुई, जब एक महिला एक हाथ में सामान लेकर और दूसरे हाथ से फोन पर बात करते हुए सिटी की तरफ जा रही थी। इस दौरान ओवरब्रिज के पास बीच सड़क पर ही एक मेनहोल खुला था। महिला मेनहाेल से पहले ही इधर-उधर देखने लगी और अचानक से चेंबर में गिर गई। मौके पर मौजूद लोगों ने महिला को मेनहोल में गिरता देख दौड़ पड़े।
महिला काफी देर तक इस घटना से सदमें में रही। उसे पास के एक अस्पताल में ले जाकर इलाज कराया गया। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है। घटना के बाद लोगों में प्रशासन की मनमानी से काफी आक्रोश है। आरोप है कि सिटी क्षेत्र में ऐसे मेनहोल ज्यादा हैं जो मौत का खतरा बन गए हैं। महिला के साथ रात में घटना हुई होती या फिर किसी की नजर नहीं पड़ती तो उसकी जान चली जाती।
पटना में मेनहोल खुला होना आम बात
लोगों का कहना है कि राजधानी है, लेकिन यहां सड़कों पर खुले मेनहोल शहर की पहचान बने हुए हैं। अगर निगम के कर्मचारी गंभीर रहते और खुले मेन ्होल को लेकर गंभीर होते तो ऐसी घटना नहीं होती। महिला 7 से 8 फिट गहरे नाले में गिरी और गनीमत रही कि लोगों की नजर उस पर पड़ गई। आसपास के लोगों ने उसे बाहर निकाला और जान बचा ली। लोगों का कहना है कि NMCH से लेकर मलिया महादेव जल्ला रोड में नमामि गांगे का काम चल रहा है। इस कारण ऑटो और चार पहिया वाहन नाले के पास से आते जाते हैं।
इससे पैदल चलने वालों को बहुत कठिनाई होती है। जबकि दूसरा रास्ता एनएमसीएच के IDH क्वार्टर से है या शेरशाह रोड से है, लेकिन ऑटो चालक मनमानी करते हैं। ऑटो और रिक्शे के साथ अन्य वाहन शॉर्टकट के कारण खुद को और दूसरों की जान को खतरे में डालते हैं l
पटना में जगह-जगह सड़क की खुदाई
शहर में नमामि गंगे के साथ अन्य काम के कारण जगह-जगह सड़क को खोद दिया गया है। इस कारण से लोगों को काफी परेशानी हो रही है। पाटलिपुत्रा, केसरी नगर, नाला रोड, राजीवनगर, आशियाना, राजा बाजार के साथ पटना सिटी में कोई ऐसा मोहल्ला नहीं है जहां मेनहोल खुला न हो। इस कारण से लाेगाें को परेशानी हो रही है।
पटना की हर गली और सड़क पर नमामि गंगे का काम लोगों की जान पर मुश्किल बन रहा है। मनमानी के काम के कारण सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं, तो कहीं सड़क धंस गई है और कहीं मेनहोल खुला है। इसके वजह से रोज हादसे हो रहे हैं।