वर्षो से केंद्र की सत्ता से दूर और कई राज्यों में अपना जनाधार खो रही देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को ‘जिंदा’ करने की कवायद बेहद संजीदगी से की जा रही है। इसका बीड़़ा उठाया है चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) ने। पिछले कुछ वक्त से पीके ने ऐसे संकेत भी दिए हैं। कहा जा रहा है कि वो बिना किसी शर्त के पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं। हालांकि इस बारे में न तो आधिकारिक रूप से पीके ने कुछ कहा है और न कांग्रेस आलाकमान ने। अलबत्ता पीके ने कांग्रेस नेतृत्व को ८५ पेज का प्रजेंटेशन दिखाया और पार्टी कैसे भाजपा का मुकाबला करेगी‚ इस बारे में चर्चा की। इसके बाद पार्टी ने पीके के सुझाव को लेकर अंदरूनी तौर पर गहन मंत्रणा की है। इस सिलसिले में राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी से भी चर्चा की। यह इस बात का साफ संकेत है कि आलाकमान पार्टी में युवा नेतृत्व को अग्रिम पांत में शामिल करने का मन चुका है और देर–सबेर इस बारे में आधिकारिक रूप से करेगा। कई और बातों को लेकर कांग्रेस नेतृत्व की मंत्रणा पीके के साथ हुई है और बहुत जल्द ‘कांग्रेस को पूरी तरह से बदल ड़ालने’ का दावा करने वाले पीके को पार्टी में शामिल करने के बारे में फैसला लेगी। जो जानकारी छन–छन कर आ रही है उसके मुताबिक पांच रणनीतिक निर्णयों पर कांग्रेस आलाकमान को काम करने की जरूरत है। पहला; कांग्रेस की बागड़ोर किसके हाथों में हो‚ यह साफ तौर पर बताया जाए; दूसरा; सहयोगी दलों की पहचान और उनके साथ स्वाभाविक संबंध की पहचान; तीसरा; पार्टी के खोये जनाधार को वापस लाना; चौथा; जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं और नेताओं की फौज खड़़ी करना और पांचवां; मीडि़या और डि़जिटल प्लेटफार्म से अच्छे संबंध। इन पांच रणनीति को आधार बनाकर पार्टी का आधार बढ़ाया जा सकता है। एक चर्चा यह भी सुनने में आ रही है कि पार्टी का अगर सियासी कायाकल्प करना है तो कांग्रेस की कमान किसी गैर गांधी यानी गांधी परिवार से अलग शख्सियत को सौंपी जाए। इन सब किंतु–परंतु पर बहुत जल्द पार्टी और पीके का रुख साफ हो जाएगा। हां‚ अच्छी बात जरूर है कि पार्टी में ज्यादातर लोगों ने पीके की रणनीति और पीके के पार्टी में शामिल होने पर सकारात्मक रुख दिखाया है। कुल मिलाकर कांग्रेस का पुनरुत्थान क्या पीके के हाथों होगा‚ यह देखना दिलचस्प होगा।
ईरान में परमाणु बम बनाने के अबतक कोई सबूत नहीं, फिर क्यों किया हुआ हमला…..
5 फरवरी 2003 को अमेरिका के विदेश मंत्री कोलिन पॉवेल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक शीशी लहराने लगे। दावा...