भारत व ब्रिटेन अपने संबंधों और रणनीतिक साझीदारी को और मजबूत करते हुए रक्षा उत्पादन एवं ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढाएंगे और इसके साथ ही मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को वर्ष के अंत तक मुकाम पर पहुंचाएंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आए ब्रिटेन के उनके समकक्ष बोरिस जॉनसन में हुई शिखर वार्ता में यह सहमति बनी। दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा और नवोन्वेषण के क्षेत्र में दो समझौतों पर भी हस्ताक्षर हुए। वार्ता के बाद जारी प्रेस वक्तव्य दोनों देशों के बीच घनिष्ठ मित्रता का सबब बना। मोदी ने कहा कि कि प्रधानमंत्री के रूप में जॉनसन की भले ही यह पहली भारत यात्रा है‚पर भारत को वह बहुत अच्छे से जानते हैं। भारत और ब्रिटेन संबंधों को मजबूत बनाने में उनकी खास भूमिका है। मुक्त व्यापार समझौते पर दोनों देशों की टीमें काम कर रही हैं। रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी है। ब्रिटेन में रहने वाले १६ लाख भारतीय मूल के लोग समाज और अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में सकारात्मक योगदान कर रहे हैं। ग्लासगो सम्मेलन में लिये गए संकल्पों को पूर्ण करने के लिए भी प्रतिबद्धता जताई गईर्। वैश्विक नवोन्वेषण साझीदारी के तहत तीसरे देशों में ‘मेड इन इंडिया’ नवोन्वेषण के हस्तातंरण एवं विस्तारीकरण के लिए भारत और ब्रिटेन दस करोड़ डॉलर तक बराबर वित्तपोषण करेंगे। इससे सतत लक्ष्यों की प्राप्ति और जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों में भी मदद मिलेगी। भारत ने यूक्रेन में तुरंत युद्धविराम और समस्या के समाधान के लिए संवाद एवं कूटनीति पर बल देने के साथ ही सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान का महत्व भी दोहराया। जॉनसन ने मोदी को अपना ‘खास दोस्त’ बताया औरअपने गुजरात प्रवास को यादगार बताया। दोनों देश वायु‚ अंतरिक्ष और समुद्री खतरों से निपटने में सहयोग करेंगे। जॉनसन ने बताया कि उन्होंने भी भारत निर्मित टीका लगवाया है। कुल मिलाकर जॉनसन अपनी भारत यात्रा से अभिभूत दिखे। अब भारत में ब्रिटेन की कंपनियों का निवेश बढ़ेगा। जॉनसन अपने देश में राजनीतिक दिक्कतों का सामना भी कर रहे हैं। उम्मीद है भारत यात्रा उन्हें राहत देगी।
दुनिया में मंडराए विश्व युद्ध के खतरे के बीच भारत की क्या है तैयारी
दुनिया में कहां-कहां तनाव है या युद्ध चल रहा है. रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है. इस युद्ध की...