योग, आयुर्वेद, यूनानी, ईरानी और एक्यूपंक्चर जैसी चिकित्सा पद्धतियां अब प्रामाणिक दर्जा हासिल करने वाली हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का भारत में स्थापित होने वाला ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन इन पद्धतियों को सम्मान दिलाने का काम करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के जामनगर में मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ और डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस की उपस्थिति में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (जीसीटीएम) की आधारशिला रखी है। इसका उद्देश्य आधुनिक विज्ञान के साथ प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों को मिलाकर इसकी क्षमता का इस्तेमाल करना है।
जीसीटीएम दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा का पहला और एकमात्र वैश्विक केंद्र होगा। यह वैश्विक कल्याण के अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में उभरेगा। आधारशिला रखने के मौके पर बांग्लादेश, भूटान, नेपाल के प्रधानमंत्रियों और मालदीव के राष्ट्रपति के वीडियो संदेश चलाए गए। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर कहा कि इससे दुनिया में पारंपरिक चिकित्सा के युग की फिर से अहमियत बढ़ेगी और यह केंद्र अगले 25 सालों में दुनिया में पारंपरिक चिकित्सा के युग को लौटाने में महत्त्वपूर्ण साबित होगा, इससे पुरानी चिकित्सा पद्धति और आधुनिक विज्ञान को साथ आने का मौका मिलेगा।
केंद्र के पांच मुख्य क्षेत्रों में अनुसंधान और नेतृत्व, साक्ष्य एवं शिक्षा, डेटा एवं विश्लेषण, स्थायित्व एवं समानता और नवाचार एवं प्रौद्योगिकी शामिल होंगे। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशकगेब्रयेसुस ने कहा, ‘ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर कोई संयोग नहीं है, मेरे भारतीय शिक्षकों ने मुझे पारंपरिक दवाओं के बारे में अच्छी तरह से सिखाया है। केंद्र में दुनिया भर की पारंपरिक औषधियों को वैज्ञानिक तरीके से बेहतर बनाने का काम होगा।
केंद्र पारंपरिक दवाओं पर शोध और अनुसंधान के अलावा इनके सर्टिफिकेशन के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक बनाएगा। इसके अतिरिक्त जीसीटीएम विशिष्ट रोगों के समग्र उपचार के लिए प्रोटोकॉल विकसित करेगा ताकि रोगियों को पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा दोनों से लाभ मिल सके। अभावों में जी रही और इलाज से वंचित दुनिया की लगभग 80 फीसद आबादी इस पहल से लाभान्वित होगी।