अर्थव्यवस्था आंकड़ों में कितनी ही तेजी से प्रगति कर रही हो, इसका सही असर तो जनजीवन पर पड़ने वाले असर से परिलक्षित होता है।
लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाले एक फैसले के तहत भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सहित सभी प्रमुख बैकों ने अपनी प्रमुख ऋण दरों में 0.1 प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी है। इससे आवास, वाहन और व्यक्तिगत ऋण की मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ना तय है। इन बैंकों ने करीब तीन साल बाद बेंचमार्क ऋण दरों में वृद्धि की है। अन्य बैंक भी इसी तरह का कदम उठा सकते हैं। एसबीआई ने सीमांत लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) में 0.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। एक साल की अवधि के लिए ऋण दर को सात प्रतिशत से बढ़ाकर 7.10 प्रतिशत कर दिया है। बैंक के अनुसार संशोधित एमसीएलआर दर 15 अप्रैल से प्रभावी है।
एक दिन, एक माह और तीन महीने की एमसीएलआर 0.10 प्रतिशत बढ़कर 6.75 फीसदी हो गई जबकि छह महीने की एमसीएलआर बढ़कर 7.05 फीसदी हो गई। ज्यादातर कर्ज एक साल की एमसीएलआर दर से जुड़े होते हैं। दो साल की एमसीएलआर 0.1 प्रतिशत बढ़कर 7.30 प्रतिशत और तीन साल की एमसीएलआर 0.1 प्रतिशत बढ़कर 7.40 प्रतिशत हो गई है। बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी), एक्सिस बैंक और कोटक म¨हद्रा बैंक ने भी एक-वर्षीय एमसीएलआर में वृद्धि की है। बीओबी ने एक साल के लिए एमसीएलआर बढ़ाकर 7.35 प्रतिशत कर दी है, जो 12 अप्रैल से प्रभावी है।
एक्सिस बैंक और कोटक म¨हद्रा बैंक ने एक साल की अवधि के लिए एमसीएलआर 7.40 प्रतिशत कर दी है, जो क्रमश: 18 अप्रैल और 16 अप्रैल से प्रभावी हैं। इस फैसले के बाद जिन लोगों ने एमसीएलआर पर कर्ज लिया है, उनकी ईएमआई थोड़ी बढ़ जाएगी। मुश्किल तो यह है कि बढ़ते बाहरी झटकों और घरेलू जोखिमों के चलते पूंजी निकासी बढ़ने की आशंका से अगले महीनों के दौरान घरेलू वित्तीय हालात सुधरने की बजाय सख्त बने रहेंगे।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार उसका वित्तीय स्थिति सूचकांक (एफसीआई) मार्च में शून्य अंक से नीचे चला गया। इससे घरेलू वित्तीय स्थितियों में गिरावट का संकेत मिलता है। अभी तमाम अर्थव्यवस्थाएं दबावों का सामना कर रही हैं। इसका असर भारत पर भी पड़ रहा है।