दिल्ली के अपराध-बहुल जहांगीरपुरी इलाके में शनिवार को हनुमान जयंती की शोभायात्रा के दौरान हुईं हिंसक झड़पों के मामले में नए खुलासे सामने आए हैं। इन खुलासों से साफ है कि जहांगीरपुरी में हुईं ये झड़पें अचानक शुरू नहीं हुई थीं बल्कि एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा थीं।
दिल्ली पुलिस ने गृह मंत्रालय को अपनी शुरुआती रिपोर्ट भेजी है जिसमें उसने दंगे को ‘पूर्व नियोजित आपराधिक साजिश’ करार दिया है। इसमें बताया गया है कि कैसे साजिशकर्ताओं ने ईंट, पत्थर और खाली बोतलों से भरे कई बैग छतों पर जमा किए गए थे। जुलूस पर हमला करने वाले उपद्रवियों के बारे में दिल्ली पुलिस ने जो तथ्य जुटाए हैं, वे हैरान करने वाले हैं। अब तक मास्टरमाइंड अंसार सहित 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 15 अन्य से पूछताछ की जा रही है।
पुलिस ने दंगाइयों और बगैर इजाजत जुलूस निकालने वालों, दोनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। विश्व हिंदू परिषद के जिला सेवा प्रमुख प्रेम शर्मा से पुलिस ने सोमवार को पूछताछ की। जहां हिंदू नेताओं का आरोप है कि जुलूस पर पूर्व नियोजित साजिश के तहत पथराव किया गया था, वहीं मुस्लिम नेताओं का आरोप है कि जुलूस में शामिल कुछ लोगों ने तलवारें और तमंचे लहराए थे।
मुस्लिम नेताओं का आरोप है कि मस्जिद के सामने भड़काऊ नारे लगाए गए जिसके बाद मुसलमानों ने जवाबी कार्रवाई की। दोनों पक्षों ने अपने आरोपों को सही ठहराने के लिए सोशल मीडिया पर वीडियो डालना शुरू कर दिया है।
मुस्लिम नेताओं ने आरोप लगाया कि मस्जिद पर भगवा झंडा फहराया गया, जबकि हिंदू नेताओं का कहना है कि न तो भगवा झंडा फहराया गया और न ही जुलूस में से कोई जबरन मस्जिद में घुसा।
मुस्लिम नेताओं का आरोप है कि दिल्ली पुलिस ने केवल मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई की, जबकि दिल्ली पुलिस चीफ राकेश अस्थाना ने कहा कि दोनों समुदायों के लोगों को हिरासत में लिया गया। अस्थाना ने कहा कि पुलिस कभी भी धर्म के आधार पर नहीं बल्कि सबूतों के आधार पर कार्रवाई करती है।
फिलहाल पुलिस टीम मास्टरमाइंड अंसार और उसके अन्य साथियों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड खंगाल रही है। साजिश की जांच के लिए जहांगीरपुरी और इसके आसपास के थाना इलाकों के अपराधियों की लिस्ट भी खंगाली जा रही है। अब तक दिल्ली पुलिस को दंगों से जुड़े लगभग 150 वीडियो फुटेज मिली हैं। FRS (Facial Recognition System या चेहरा पहचानने वाली प्रणाली) सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल दंगों में भाग लेने वालों के चेहरों से मिलान करने के लिए किया जा रहा है।
दिल्ली पुलिस की टीमें अब तक करीब 100 संदिग्धों से पूछताछ कर चुकी हैं। संदिग्धों के मोबाइल फोन खंगाले जा रहे हैं और उनके WhatsApp, टेलीग्राम ग्रुप्स के बारे में पता लगाने की कोशिश की जा रही है। पुलिस इस बात की भी जांच कर रही हैं कि संदिग्ध लोग किन सोशल मीडिया अकाउंट्स को फॉलो कर रहे थे।
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की टीमों ने सोमवार को जहांगीरपुरी के कुशल चौक, सी ब्लॉक और अन्य ब्लॉक्स से 8 संदिग्धों को हिरासत में लिया। पुलिस ने सोमवार शाम को दंगों के दौरान अपनी पिस्तौल से फायरिंग कर रहे सोनू शेख को भी गिरफ्तार कर लिया जो कि 2 दिन से फरार चल रहा था। फायरिंग में एक गोली पुलिस सब-इंस्पेक्टर को लगी थी, जिसका अभी इलाज चल रहा है।
इंडिया टीवी के रिपोर्टर अभय पाराशर सोनू शेख के घर गए, जहां उसकी मां आसफिया ने बताया कि वे लोग पश्चिम बंगाल के हल्दिया के रहने वाले हैं और सोनू पार्किंग में पर्ची काटने का काम करता है। सोनू की मां ने माना कि वीडियो में पिस्तौल से फायरिंग करता दिख रहा शख्स उसका बेटा ही है, लेकिन यह भी कहा कि सोनू के पास कभी ऐसा कोई हथियार नहीं था। उसकी मां ने कहा कि सोनू ने पिस्तौल किसी और से ली होगी। उसने कहा, सोनू ‘रोजा’ खोलने के लिए घर आया था, लेकिन इलाके में शोरगुल सुनकर जल्द ही बाहर चला गया।
पुलिस अभी तक सोनू के पास से पिस्तौल बरामद नहीं कर पाई है। दंगे के तुरंत बाद उनके भाई सलीम शेख को गिरफ्तार कर लिया गया था। सलीम की चिकन की दुकान है और पुलिस ने उस पर पथराव करने, शांति भंग करने, पुलिसकर्मियों पर हमला करने और अवैध हथियार रखने का आरोप लगाया है।
जहांगीरपुरी की हिंसा का मास्टरमाइंड अंसार एक दिलचस्प शख्स है। जब पुलिस उसे कोर्ट ले जा रही थी तो उस वक्त वह मुस्कुरा रहा था और फिल्म ‘पुष्पा: द राइज’ के हीरो की तरह पोज दे रहा था। कबाड़ का धंधा करने वाले अंसार की कई तस्वीरें सामने आई हैं जिनमें वह सोने की भारी-भरकम ज्वैलरी पहने दिख रहा है। वह इलाके में लोगों से वसूली भी करता है और कुछ पैसा जरूरतमंदों और गरीबों में बांटता है। इस जाने-माने हिस्ट्रीशीटर के खिलाफ पहले से ही 7 मामले दर्ज हैं।
एक अन्य तस्वीर में अंसार महंगी इंपोर्टेड शराब की बोतलों के साथ दिख रहा है। बी ब्लॉक के रहने वाले 35 वर्षीय अंसार को पहले भी 2 बार गिरफ्तार किया जा चुका है और वह जेल भी जा चुका है। उसने 2 साल पहले CAA के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों में भी हिस्सा लिया था। हमारे रिपोर्टर को पता चला कि मोहम्मद अंसार ने जहांगीरपुरी में मेन रोड के कई हिस्सों पर कब्जा कर रखा है। इसके साथ ही उसने एमसीडी पार्क की सैकड़ों करोड़ रुपये की जमीन पर भी कब्जा किया हुआ है। वह MCD की जमीन छोटे-मोटे काम करने वालों को किराए पर देता है और इलाके के लोगों से प्रोटेक्शन मनी भी वसूलता है।
अंसार की एक और तस्वीर सामने आई जिसमें वह आम आदमी पार्टी की टोपी पहने दिख रहा था, लेकिन हमारे रिपोर्टर ने बताया कि तस्वीर के साथ छेड़छाड़ की गई थी। दिल्ली पुलिस चीफ ने कहा कि दंगों के मास्टरमाइंड अंसार के खिलाफ सबूत हैं, लेकिन AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया कि वह कई सालों से स्थानीय निवासियों की मदद कर रहा था। ओवैसी ने आरोप लगाया कि पुलिस सिर्फ मुसलमानों को गिरफ्तार कर रही है, जबकि जुलूस के दौरान तलवार लहराने वाले हिंदुओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
ओवैसी ने दावा किया कि अंसार भीड़ को शांत करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। ओवैसी भले ही आरोप लगा रहे हैं कि सिर्फ 14 मुसलमानों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन सच तो यह है कि दंगे के बाद 7 हिंदुओं को भी गिरफ्तार किया गया है। इनमें सूरज, नीरज, सुकेन, सुरेश और सुजीत सरकार शामिल हैं। 2 नाबालिग हिंदू लड़कों को भी गिरफ्तार किया गया है। उनके नाम कानून के तहत गोपनीय रखे गए हैं।
दिल्ली पुलिस चीफ राकेश अस्थाना ने ओवैसी के इस आरोप को खारिज किया है कि जुलूस में शामिल लोगों ने मस्जिद पर जबरन भगवा झंडा फहराया था। इंडिया टीवी के रिपोर्टर ने एक चश्मदीद मोहम्मद इब्राहिम से बात की, जिनका घर मस्जिद के पास ही है। इब्राहिम ने हमारे रिपोर्टर को बताया कि स्थानीय लोगों द्वारा समझाने-बुझाने के बाद जुलूस शांतिपूर्वक मस्जिद से आगे बढ़ गया था, और विवाद शोभायात्रा के चौराहे पर पहुंचने के बाद शुरू हुआ।
सोनू की मां मानती है कि उसके बेटे ने गुस्से में गोली चलाई। मस्जिद के बगल वाले घर में रहने वाले मोहम्मद इब्राहिम कहते हैं कि मस्जिद में भगवा लहराने जैसी कोई बात नहीं हुई। कबाड़ी मोहम्मद अंसार इलाके का रॉबिनहुड है, वह ‘पुष्पा’ फिल्म का बागी हीरो बना हुआ है। मैंने वह वीडियो भी देखा है जिसमें शोभायात्रा निकालने वालों के हाथ में तमंचे और तलवारें हैं।
ये सारी बातें चिंता में डालने वाली हैं, परेशान करने वाली हैं। दोनों पक्ष सच्चाई जानते हैं, लेकिन स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। कोई एक-दूसरे की बात मानने को तैयार नहीं है। सब अपनी नाक ऊंची रखना चाहते हैं, एक-दूसरे पर दंगा फैलाने, नफरत फैलाने का इल्जाम लगा रहे हैं।
सच का पता लगाने के लिए दिल्ली पुलिस को निष्पक्षता से और सख्त होकर जांच करनी होगी। जब तक जांच पूरी न हो, ये सुनिश्चित करना होगा कि लोग झूठ न फैलाएं, अफवाहें फैलाकर टकराव और बढ़ाने की कोशिश न करें।
नफरत फैलाने का काम तो गिने-चुने लोग करते हैं, जबकि समाज में दोनों समुदायों के ज्यादातर लोग प्यार-मोहोब्बत से रहना चाहते हैं। दिल्ली में जगतपुरी और सीलमपुर जैसे इलाके भी हैं, जहां रोजा रखने वाले मुसलमानों ने हनुमान जयंती के जुलूसों पर फूल बरसाए। हमें उनसे कुछ सीखना चाहिए।