इमरान खान जब सत्ता में आए तो उन्हें पाकिस्तान को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली उम्मीद के तौर पर देखा गया लेकिन 44 महीने बाद जब अविश्वास प्रस्ताव की वजह से इमरान को सत्ता से बाहर किया गया, तो ये सारी उम्मीदें उल्टी साबित हुईं। आलम ये है कि पाकिस्तान में महंगाई चरम पर है और उसकी जीडीपी और रुपए दोनों की हालत खस्ता है।
पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता का दौर इमरान खान को सत्ता से बेदखल करने के साथ फिलहाल खत्म हो गया है। विपक्ष ने इसके लिए कुछ दिनों या महीनों की नहीं बल्कि करीब चार वर्ष से जंग लड़ी है। इन चार वर्षों के दौरान विपक्ष ने इमरान खान की गलत नीतियों और इससे देश पर पड़ने वाले असर की भी जानकारी लोगों तक पहुंचाई। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष का साथ कहीं न कहीं किस्मत ने भी दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि इमरान खान के सत्ता पर बैठने के साथ ही देश के सामने मुश्किलों का दौर शुरू हो गया था।
आम मुद्दों की बदौलत इमरान लोगों से हुए दूर
इमरान खान के पीएम बनने के साथ ही महंगाई हर रोज अपने नए स्तर पर जाने लगी। देश पर विदेशी कर्ज बढ़ता ही चला गया। रोजगार और आमदनी के साधन भी कम होने लगे। उस पर देश के अंदर आतंकी गतिविधियों में भी जबरदस्त इजाफा देखा गया। विपक्ष देश के मौजूदा हालातों का फायदा उठाते हुए जनता को इमरान खान के खिलाफ करने में भी कामयाब रहा। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि हाल ही में पाकिस्तान के अंदर जो सर्वे हुआ उसमें करीब 64 फीसद लोगों ने इमरान खान को सत्ता से बेदखल करने को सही बताया। उन्होंने इसकी वजह देश के मौजूदा हालातों को ही बतया था। लेकिन ये भी सच है कि विपक्ष को यहां तक पहुंचने के लिए करीब-चार वर्षों का इंतजार करना पड़ा है।
2018 से ही शुरू हो गई थी इमरान को हटाने की मुहिम
इमरान खान ने वर्ष 2018 में देश की सत्ता नया पाकिस्तान के नारे के साथ संभाली थी। उन्होंने जनता को जो सपने दिखाए उनमें वो खुद ही विफल हुए। इसका जिक्र खुद उन्होंने ही किया था। शनिवार, 9 अप्रेल 2022 को नेशनल असेंबली में जो कुछ घटा उसकी पटकथा उनके सत्ता में बैठने के कुछ समय बाद ही लिखनी शुरू हो गई थी। इस कहानी मे किरदारों को लाने का काम जमात उलेमा ए इस्लाम अध्यक्ष मौलाना फजलुर रहमान ने किया था। इमरान के सत्ता में बैठने के छह माह के बाद ही उन्होंने इसकी कवायद शुरू कर दी थी।
पीडीएम की अहम भूमिका
उन्होंने ही पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के नाम से पार्टियों को एकजुट किया और खुद अध्यक्ष बने। इसके महासचिव के तौर पर शाहिद खक्कान अब्बासी को चुना गया, जो देश के पूर्व पीएम थे। पीडीएम ने शुरू से ही कहा कि वर्ष 2018 के आम चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली हुई थी। एक-एक कर उन्होंने पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टियों को जोड़ना शुरू किया और वो सभी विरोधी पार्टियों को एक मंच पर लाने में पूरी तरह से कामयाब रहे।
नया पाकिस्तान बनाने की उम्मीद के साथ आए इमरान को किन 5 गलतियों ने डुबो दिया?
1. सेना के खास से आंखों का कांटा बनने की गलती
2018 में पाकिस्तान में चुनावी जीत के साथ पीएम बनने वाले इमरान को शुरू से ही सेना का समर्थन हासिल था। उन आम चुनावों में धांधली के आरोप लगे और माना जाता है कि सेना की मदद से इमरान सत्ता पर कब्जा करने में सफल रहे। लेकिन सत्ता संभालने के कुछ ही महीनों बाद इमरान और सेना में दूरियां बनने लगी।
जानकारों का मानना है कि इसकी वजह काफी हद तक इमरान की खुद को पूर्व प्रधानमंत्रियों जुल्फिकार भुट्टो और नवाज शरीफ की तरह खुद को सेना के चंगुल से आजाद पीएम बनने की चाह थी। इसके बाद उन्होंने ऐसे कई कदम उठाए, जिससे उनके और सेना के बीच खाई चौड़ी होती गई।
- 2019 में इमरान ने पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को कार्यकाल विस्तार को टालने की बहुत कोशिश, हालांकि इसमें सफल नहीं हुए।
- इसी तरह पिछले साल इमरान ने बाजवा के चहेते माने जाने वाले जनरल नदीम अंजुम को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के मुखिया पद पर नियुक्ति में टालमटोल करते रहे और जानबूझकर इसे लटकाने की कोशिश की।
- पिछले साल ही इमरान ने ISI प्रमुख फैज हमीद को कोर कमांडर बनाकर पेशावर भेज दिया, जिससे बाजवा के रिटायर होते ही वह उनकी जगह सेना प्रमुख बन सकें।
- इमरान और सेना के संबंधों में आई दरार धीरे-धीरे इतनी चौड़ी हो गई कि वे दोनों एकदूसरे से लगभग हर मुद्दे पर अलग खड़े नजर आने लगे।
- उदाहरण के लिए हाल ही में इमरान रूस की यात्रा पर पहुंचे और उन्होंने यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर कुछ भी नहीं कहा।
- ये अमेरिका परस्त मानी जाने वाली पाक सेना के लिए झटका था, इसी वजह से अगले ही दिन जनरल कमर जावेद बाजवा ने यूक्रेन पर रूस के हमले को गलत बताने वाला बयान जारी कर दिया।
- इमरान यहीं नहीं रुके और उन्होंने विपक्ष के अविश्वास प्रस्वाव के जरिए उन्हें हटाने की कोशिशों को विदेशी साजिश करार दिया और खुलकर इसके पीछे अमेरिका का हाथ होने का नाम लिया। ये अमेरिका समर्थक माने जाने वाली पाक सेना से एकदम उलट रुख है।
- इमरान ने जहां भारत की विदेश नीति की तारीफ की तो वहीं जनरल बाजवा ने ने कश्मीर-विवाद को बातचीत से हल करने की पेशकश की।
- जानकारों का मानना है कि वर्तमान संकट में भले ही सेना सीधे तौर पर शामिल नजर न आए लेकिन उसने सुप्रीम कोर्ट के जरिए इमरान को बाहर करने की राह बनाते हुए इमरान को झटका दे दिया है।
2. पाकिस्तान की बेहाल अर्थव्यवस्था ने बिगाड़ा इमरान का खेल
इमरान पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के वादे के साथ सत्ता में आए थे, लेकिन अब जब वह जा रहे हैं, तो पाकिस्तान सबसे बदहाल स्थिति में है।
- इमरान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान की जीडीपी 315 अरब डॉलर से गिरकर 264 अरब डॉलर की रह गई है। महंगाई ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इस साल फरवरी में रिटेल महंगाई 12.2% और होलसेल महंगाई 23.6% तक पहुंच गई।
- पाकिस्तानी रुपया लगातार कमजोर हो रहा है, इमरान के सत्ता संभालने के समय 1 अमेरिका डॉलर के मुकाबले 109 पाकिस्तानी रुपए की कीमत अब गिरकर 1 डॉलर के मुकाबले 186 पाकिस्तानी रुपए हो गई है।
- वहीं इस साल जनवरी में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स 13% तक पहुंच गया, जो 2 सालों में उच्चतम है। यानी इमरान के राज में पाकिस्तान में अर्थव्यवस्था सुधरने के बजाय और रसातल में पहुंच गई।
- विपक्षी दलों ने भी इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए देश की खराब माली हालत को भी प्रमुख वजह करार दिया था।
3. इमरान के राज में पाकिस्तान में खूब फला-फूला भ्रष्टाचार
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, इमरान खान के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान में भ्रष्टाचार और बढ़ा है।
- इस रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान को सबसे भ्रष्ट 180 देशों की सूची में 2021 में 140वां स्थान मिला था, इसमें 180वां स्थान दुनिया में सबसे भ्रष्ट देश का होता है। पाक की रैंकिंग 2018 में 117, 2019 में 120 और 2020 में 124 थी।
- वहीं पाकिस्तान मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इमरान के शासन में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में बढ़तरी हुई थी।
- 2022 में लीक हुए स्विस बैंक के एक डेटा से 1400 पाकिस्तानी नागरिकों से जुड़े 600 खातों का पता चला था, जिनमें कई ताकतवर राजनेता और जनरल शामिल हैं।
- वहीं विपक्षी दल पाकिस्तान की तीसरी पत्नी बुशरा बीबी की खास सहेली माने जाने वाली फराह खान उर्फ फराह गुज्जर उर्फ फराह शहजादी पर अरबों रुपए का भ्रष्टाचार करने का आरोप है।
- नवाज शरीफ की बेटी मरियम ने हाल ही में फराह और बुशरा पर ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर 6 अरब रुपए की रिश्वत लेने का आरोप लगाया था।
- विपक्ष का कहना है कि उस्मान बुजदार के पंजाब का सीएम बनाए जाने के बाद इमरान के करीबी माने जाने वाले उस्मान की शह पर फराह ने ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर जमकर पैसे लूटे।
- फराह के इमरान की पत्नी बुशरा के खास होने की वजह से विपक्ष लगातार इमरान पर भी निशाना साधता रहा है। फराह और उनके पति के पाकिस्तान छोड़कर दुबई भागने की खबरे हैं।
4. विपक्ष को प्रताड़ित करते रहे, उसे कमतर आंका
इमरान की सबसे बड़ी गलती इस साल जनवरी के बाद विपक्ष के मंसूबों में आए बदलाव को न भांप पाने की रही। विपक्ष ने इमरान और सेना के बीच चौड़ी होती खाई को मौके की तरह इस्तेमाल किया और एकजुट होकर इमरान पर हमला बोला।
- इमरान ने विपक्षी एकता को कमतर आंका और उन्हें पूरी उम्मीद थी कि वह अपनी सत्ता बचाने में सफल रहेंगे। लेकिन खुद उनकी पार्टी और सरकार के सहयोगी उनका साथ छोड़कर चले गए और आखिर में खुद इमरान को ही जाना पड़ा।
- सत्ता में आने के बाद से ही इमरान ने विपक्षी नेताओं को अपने निशाने पर रखा। जानकारों का मानना है कि अगर वह विपक्षी पार्टियों के साथ संबंध बेहतर रखते तो अपनी सरकार के एजेंडे को लागू करने पर ज्यादा ध्यान दे पाते।
- इसके उलट उन्होंने पाकिस्तान की दो मुख्य विपक्षी पार्टियों पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी यानी PPP और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) यानी PML (N) दोनों के ही नेताओं को अपने निशाने पर रखा, उन्हें अपमानित किया और उनके नेताओं को जेल भेजने से भी नहीं चूके।
- इमरान और विपक्षी दलों के बीच खाई उनके 44 महीने के कार्यकाल के दौरान हमेशा चौड़ी ही नजर आई। हाल ही में अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बाद देश के नाम अपने संबोधन में इमरान ने विपक्षी नेताओं को ‘चोरों का गैंग’ कहा था।
- साथ ही उन्होंने PPP के आसिफ अली जरदारी और PML (N) के नवाज शरीफ के परिवार पर निशाना साधते हुए कहा कि तीन चूहे 30 साल से पाकिस्तान को लूटते रहे हैं।
5. उस्मान बुजदार की पंजाब सीएम पद पर नियुक्ति
इमरान ने सत्ता में आने के बाद 2018 में ही उस्मान बुजदार को पंजाब का सीएम नियुक्त किया था। लेकिन बुजदार इस पद के लिए अयोग्य साबित हुए।
- उस्मान बुजदार को पंजाब का सीएम बनाने के इमरान के फैसले को उनके पूरे राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी भूल माना जा रहा है।
- पाकिस्तान में सबसे प्रभावशाली माने जाने वाले पंजाब प्रांत के सीएम को वहां पीएम के बाद दूसरा सबसे ताकतवर पद माना जाता है।
- उस्मान बुजदार की पंजाब प्रांत को संभालने की असफलता से ही इमरान की पार्टी PTI में गुटबाजी को बढ़ावा मिला और कई नाराज सदस्यों ने उनकी शिकायतों का समाधान न होने की बात कहते हुए पार्टी से किनारा कर लिया।
- आखिर में इस साल मार्च में उस्मान बुजदार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया और उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया।
- माना जा रहा है कि बुजदार के सीएम बनने से पंजाब प्रांत में इमरान की पार्टी की स्थिति कमजोर हुई।
- विपक्ष का आरोप है कि इमरान ने उस उस्मान बुजदार को पंजाब का सीएम बनाया, जिसे वह कभी सबसे बड़ा चोर कहते थे।
- साथ ही उस्मान बुजदार पर भ्रष्टाचार में शामिल होने और ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल के जरिए करोड़े रुपए की रिश्वत लेने के भी आरोप लगे।