प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा अपनी पत्नी आरजू देउबा के साथ एक अप्रैल को तीन दिवसीय भारत यात्रा पर आ रहे हैं। उनकी इस यात्रा से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में नये आयाम जुड़ेंगे। हिमालयी राष्ट्र नेपाल और भारत के बीच सदियों पुराने धार्मिक‚ सांस्कृतिक‚ व्यापारिक और राजनीतिक रिश्ते विशेष संबंधों पर आधारित हैं। हालांकि नेपाल में जब कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता में आती है तब दोनों देशों के रिश्तों में गतिरोध भी पैदा होता है। कम्युनिस्ट नेता भारत विरोधी भावनाएं भड़काने का काम बढ़–चढ़कर करते हैं। कम्युनिस्ट नेता केपी शर्मा ओली के कार्यकाल में दोनों देशों के रिश्तों में दरारें आई थीं। लेकिन अब यह अतीत की बात हो गई है। नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही रिश्ते सामान्य हो गए हैं। जुलाई‚ २०२१ में देउबा ने प्रधानमंत्री का पद संभाला था। उनकी यह यात्रा चीन के विदेश मंत्री वांग यी की नेपाल यात्रा के बाद हो रही है। इसलिए देउबा की भारत यात्रा को कूटनीतिक क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वास्तव में कम्युनिस्ट प्रधानमंत्री ओली के कार्यकाल में नेपाल का झुकाव चीन की ओर हो गया था। नेपाल की भू–राजनीतिक स्थिति ऐसी है कि यहां चीन के साथ अमेरिका की भी विशेष दिलचस्पी रहती है। हाल ही में अमेरिका ने मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन कॉम्पेक्ट के तहत नेपाल को ५०० मिलियन अमेरिकी ड़ॉलर की विकास सहायता दी है। माना जा रहा है कि नेपाल में चीन की सक्रियता को कम करने के लिए अमेरिका ने यह मदद की है। नेपाल भारत के लिए भी विशिष्ट महत्व रखता है‚ दोनों देशों की उपासना और पूजा पद्धति समान हैं और रोटी–बेटी के रिश्ते हैं। भारत के स्वतंत्रता संग्राम से प्रभावित होकर नेपाली कांग्रेस के नेताओं ने नेपाल को राणाशाही की निरंकुश सत्ता से मुक्ति दिलाई थी। इसलिए नेपाली कांग्रेस के नेता भारत के प्रति विशेष सम्मान का भाव रखते हैं। उम्मीद है कि देउबा की भारत यात्रा से दोनों देशों के बीच व्यापार‚ संपर्क‚ निवेश‚ बिजली और स्वास्थ्य के क्षेत्रमें विशेष तौर पर प्रगति होगी। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी और देउबा के बीच होने जा रही मुलाकात में चीन और अमेरिका के साथ संबंधों को लेकर आपसी चर्चा हो सकती है।
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