अपराधियों की पहचान के तरीकों में काफी बदलाव आने वाला है। अब इसमें तकनीक का इस्तेमाल सिर्फ विकसित देशों की ही विशेषता नहीं रहेगी बल्कि भारतीय पुलिस को भी इसमें महारत हासिल होगी। हालांकि तकनीक के इस्तेमाल पर आपत्तियां भी हैं। इन आपत्तियों को विपक्ष ने लोक सभा में संबंधित विधेयक रखे जाते समय पुरजोर तरीके से जाहिर भी किया। लोकसभा में सोमवार को केंद्र सरकार ने दंड प्रक्रिया पहचान विधेयक २०२२ पेश किया‚ विधेयक पारित होने के बाद किसी मामले में गिरफ्तार और दोषसिद्ध अपराधियों का रिकॉर्ड रखने के लिए तकनीक का इस्तेमाल संभव हो सकेगा। विधेयक पेश करते वक्त सरकार ने कहा कि मौजूदा अधिनियम १०२ साल पुराना है। उसमें सिर्फ उंगलियों के निशान और पांव के निशान लेने की अनुमति थी। नई प्रौद्योगिकी आने के बाद इसमें संशोधन की जरूरत महसूस की जा रही थी। संशोधन से जांच एजेंसियों को जरूरी सूचनाएं हासिल होंगी और दोषसिद्धि भी बढ़ेगी। विपक्ष के भारी विरोध के चलते विधेयक पेश करने के लिए मतविभाजन कराना पड़़ा। ५८ के मुकाबले १२० मतों से विधेयक पेश हुआ। विपक्ष का आरोप था कि विधेयक अनुच्छेद २० और २१ का उल्लंघन है। यह निजता के अधिकार का भी उल्लंघन करता है। विधेयक पारित हो गया तो पुलिस के पास आरोपित या सजायाफ्ता लोगों के शारीरिक और जैविक नमूने लेने का अधिकार आ जाएगा। पुलिस आंखों की पुतलियों की पहचान‚ हथेली–पैरों की छाप‚ फोटो और लिखावट के नमूने भी ले सकेगी। सरकार का कहना है कि ज्यादा रिकॉर्ड होने से अपराधियों को पकड़ने और उन्हें सजा दिलाने के काम में तेजी आएगी। यह रिकार्ड़ ७५ वर्षों तक रखा जा सकेगा। विधेयक पारित होने के बाद अपराधियों की पहचान अधिनियम १९२० खत्म हो जाएगा और नया कानून उसकी जगह ले लेगा। माना जा सकता है कि विकसित देशों में प्रयोग की जा रही नई तकनीक विश्वसनीय एवं भरोसेमंद परिणाम दे रही है और इसे सम्पूर्ण विश्व में मान्यता प्राप्त है‚ लेकिन सरकार को राजनीतिक दलों और आंदोलनकारियों की इस आशंका को भी दूर करना होगा कि थाना प्रभारियों और हेड़ कांस्टेबलों के जरिए कानून का दुरूपयोग नहीं होगा और कोई मामला दर्ज होते ही पुतलियों की छाप और ड़ीएनए की जांच कर उन्हें हमेशा के लिए आशंकित नहीं रखा जाएगा।
भाजपा नेताओं के साथ BJP के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने सुनी ‘मन की बात’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात की। इस दौरान साल 1975 में देश में इंदिरा सरकार द्वारा...