आज का दिन प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ पाकिस्तान की सियासत के लिए भी बेहद अहम है। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में यह तय होगा कि इमरान आगे पीएम पद पर रहेंगे या नहीं। उनको विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव की अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इमरान विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव से बचने में कामयाब हो पाएंगे? क्या इस सियासी संकट से बचने के लिए क्या इमरान खान अपनी पार्टी को सत्ता में बने रहने के लिए किसी अन्य नेता को प्रधानमंत्री का पद देने पर राजी होंगे। यदि इमरान खान की सरकार अविश्वास प्रस्ताव से बचने में नाकाम रही तो पाकिस्तान की राजनीति क्या नाटकीय मोड़ लेगी? क्या पाकिस्तान में आम चुनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। संवैधानिक संकट में पाकिस्तान की सेना का क्या रोल होगा। ये ऐसे सवाल हैं जो आपके के मन में उठ रहे होंगे।
पाकिस्तान के अब तक के इतिहास में ये पहली बार नहीं है जब किसी प्रधानमंत्री की कुर्सी खतरे में है. पाकिस्तान का इतिहास बताता है कि वहां अब तक जितने भी प्रधानमंत्री बने हैं, उनमें से एक भी अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. अब इतिहास एक बार फिर दोहराता हुआ दिख रहा है. इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) में भी बगावत हो गई है और दो दर्जन सांसद अपने ही नेता के खिलाफ हो गए हैं.
शाम 4 बजे शुरू होगी इमरान की अग्निपरीक्षा
1- पाकिस्तान में आज शाम चार बजे नेशनल असेंबली की कार्यवाही शुरू होगी। चूंकि इमरान की पार्टी के 24 सांसद बागी हो गए हैं, ऐसे में माना जा रहा है इमरान खान आज इस्तीफा दे सकते हैं। इससे पहले पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल बाजवा ने उनसे मुलाकात कर उन्हें कुर्सी छोड़ देने की सलाह दी थी। पाकिस्तानी संसद में बहुमत के लिए 172 सांसदों की जरूरत होती है, लेकिन इमरान की पार्टी के अलावा अन्य साथी पार्टियों के मिलाकर कुल 39 सांसद इमरान का साथ छोड़ चुके हैं।
2- चौंकाने वाली बात यह है कि इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के पहले ही शाहजैन बुगती ने इस्तीफा दे दिया है। बुगती बलूचिस्तान में सुलह और सद्भाव पर इमरान खान के विशेष सहायक के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी के साथ बैठक के बाद इस्तीफा दे दिया। बुगती ने साफ कहा है कि वह इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में विपक्ष का समर्थन करेंगे।
विपक्ष इस्लामाबाद में करेगा शक्ति प्रदर्शन
उधर, इमरान ने 27 मार्च को लोगों से अपने समर्थन में जुटने की अपील की थी। इमरान की पार्टी का दावा था कि इस समर्थन रैली में 10 लाख से ज्यादा लोग आएंगे, लेकिन हकीकत में एक लाख लोग भी नहीं जुट पाने की बात सामने आई है। अब विपक्ष आज अपनी ताकत दिखाने जा रहा है। पाकिस्तानी विपक्षी दलों ने संगठन पाकिस्तान डेमाक्रेटिक मूवमेंट (PDM) ने सोमवार को इस्लामाबाद में शक्ति प्रदर्शन का ऐलान किया है। यानी विपक्ष अब इमरान को किसी भी सूरत में टिकने नहीं देना चाह रहा है।
लेकिन ऐसे हालात क्यों?
2018 में जब पाकिस्तान में आम चुनाव हो रहे थे, तब क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान ‘नया पाकिस्तान’ बनाने का वादा लेकर आए. उन्होंने युवाओं को एकजुट किया और वादा किया कि वो एक ऐसा पाकिस्तान बनाना चाहते हैं जिसके साथ कमजोर से कमजोर देश भी खड़ा हो सके. लेकिन बदलाव लाने की बात करने वाले इमरान खान पाकिस्तान को विकास के रास्ते पर नहीं ले जा सके. इमरान के रहते पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह बिगड़ती गई. यहां के लोगों ने वो दिन भी देखे हैं जब महंगाई चरम पर थी और लोगों के लिए बुनियादी जरूरतों की चीजें खरीदना भी मुश्किल हो रहा था.
इतना ही नहीं, इमरान के कार्यकाल में पाकिस्तान दुनियाभर में अलग-थलग भी पड़ गया. इमरान अपने अब तक के कार्यकाल में कश्मीर, कर्ज और चीन में ही फंसे रहे. इमरान कश्मीर का मुद्दा उठाते रहे, लेकिन हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी. आर्थिक संकट से निकालने के लिए कर्ज लिया लेकिन उसने और हालात बिगाड़ दिए. चीन से मजबूत रिश्तों ने पाकिस्तान को अलग-थलग सा कर दिया.
इसके अलावा सबसे बड़ी बात ये है कि इमरान अब सेना के चहेते भी नहीं रहे. पाकिस्तान में सत्ता चलाने के लिए सेना का समर्थन जरूरी है, जो इमरान खो चुके हैं. दरअसल, इमरान अपने करीबी लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद को सेना की कमान सौंपना चाहते हैं, लेकिन पाकिस्तान के मौजूदा सैन्य अधिकारी इससे नाराज थे.