यूक्रेन पर रूस का हमला शुरू हुए एक महीना हो गया है। 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला शुरू किया था। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यह यूरोप का सबसे बड़ा युद्ध है। इसके परमाणु युद्ध में बदल जाने का खतरा अब भी बना हुआ है। उधर, यूक्रेन में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को हटाने की रूस की कोशिश नाकाम होती दिख रही है। यह सच है कि एक महीना में रूस यूक्रेन को जीत नहीं पाया है।
रूस की इकोनॉमी पर पड़ रहा युद्ध का असर
रूस यूक्रेन में ऐसी लड़ाई लड़ रहा है, जो थकाऊ और महंगी है। इसका कोई अंत नहीं दिख रहा। सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। रूस की इकोनॉमी पर इसका खराब असर पड़ रहा है। दूसरे देश से भी इस युद्ध के असर से मुश्किल महसूस कर रहे हैं। इसने ग्लोबल ट्रेड को प्रभावित किया है। ऑयल और कमोडिटी की कीमतें आसमान छू रही हैं। देशों के आपसी रिश्ते डगमगाते दिख रहे हैं।
सरेंडर करने को तैयार नहीं यूक्रेनी सेना
यूक्रेन की सेना ने ‘हिट एंड रन’ की स्ट्रेटेजी अपनाई है। पिश्चमी देशों से मिल रही हथियारों ने उनका हौंसला बढ़ाया है। इस वजह से रूस की सेना दूर से निशाना साधने को मजबूर हुई है। रूस का मुख्य मकसद अब तक पूरा नहीं हुआ है। यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा करने में रूस नाकाम रहा है। दक्षिण स्थित पोर्ट सिटी मारियूपोल को रूस ने नेस्तानबूद कर दिया है। लेकिन यूक्रेन की सेना ने अब तक इसे रूसी सैनिकों के हाथों में नहीं जाने दिया है।
मारियूपोल पर कब्जा नही कर सका रूस
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्वोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि अब भी मारियूपोल में 1,00,000 लोग रह रहे हैं। युद्ध से पहले इस शहर की आबादी 4,30,000 थी। आसमान, जमीन और समुद्र के रास्ते हमलों ने शहरों की तस्वीर खराब कर दी है। लोगों तक जरूरी सामान पहुंचाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
10 फीसदी सामरिक क्षमता गंवा चुका है रूस
अब तक ठीक तरह से पता नहीं चला है कि इस लड़ाई में रूस और यूक्रेन के कितने सैनिक मारे गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक, अभी यह संख्या कुछ हजार हो सकती है। अमेरिका का अनुमान है कि रूस अपनी 10 फीसदी सामरिक क्षमता गंवा चुका है। उसे ट्रूप्स, टैंक्स और दूसरे उपकरणों के मामले में नुकसान उठाना पड़ा है।
15000 रूसी सैनिकों की मौत का अनुमान
यूक्रेन ने रूस के 15,000 ट्रूप्स को नुकसान पहुंचने का दावा किया है। नाटो का अनुमान है कि अब तक 7,000 से 15,000 रूसी सैनिक अपनी जान गंवा चुके हैं। ध्यान रखना होगा कि 10 साल से ज्यादा चले अफगानिस्तान क्राइसिस में रूस के करीब 15,000 सैनिक मारे गए थे। यूक्रेन सरकार का दावा है कि 23 मार्च तक उसके 3,600 से ज्यादा नागरिकों की मौत हुई है। लेकिन, संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि यह आंकड़ा 950 से थोड़ा ज्यादा हो सकता है।