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यूक्रेन पर हमले का 29वां दिन :भारत का रूस को भी समर्थन नहीं, UNSC में यूक्रेन पर रूस के प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा

UB India News by UB India News
June 4, 2022
in Lokshbha2024, अन्तर्राष्ट्रीय
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यूक्रेन पर हमले का 29वां दिन :भारत का रूस को भी समर्थन नहीं, UNSC में यूक्रेन पर रूस के प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा
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रूस-यूक्रेन जंग का आज 29वां दिन है। रूस ने यूक्रेन की मानवीय स्थिति को लेकर आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में ड्राफ्ट पेश किया था। भारत ने एक बार फिर तटस्थता की नीति को कायम रखते हुए वोटिंग से परहेज किया। भारत समेत 13 देशों ने इस ड्राफ्ट पर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। जबकि चीन और रूस ने इसका सपोर्ट किया।

दूसरी तरफ ने इजराइल रूस की नाराजगी के डर से यूक्रेन को जासूसी साफ्टवेयर पेगासस स्पाइवेयर देने से इनकार कर दिया है। वहीं, NATO ने यूक्रेन को न्यूक्लियर, केमिकल, बायोलॉजिकल और रेडियोलॉजिकल हमले से बचने के लिए जरूरी इक्विपमेंट भेजने की बात कही है।

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पुतिन की Nuclear Attack की धमकी में कितना दम?

यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia Ukraine War) के एक महीने होने को आए और कीव पर रूसी कब्जा नहीं हो पाया है. इस वजह से रूस की बौखलाहट बढ़ती जा रही है. रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन (Vladimir Putin) कई बार यूक्रेन पर परमाणु हमले की धमकी भी दे चुके हैं. विश्व खासकर अमेरिका और यूरोप के कई देशों ने भी आशंका जताई है कि युद्ध के हालात के हाथों से निकलता दिखने पर पुतिन अपनी परमाणु ताकत का इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि रूस इस बारे में खुद असमंजस में फंसा पड़ा है.

मौजूदा दौर में रूस के पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं. रूस के पास ऐसे परमाणु बम भी हैं जो पूरे के पूरे शहर का नामो-निशान तक मिटा सकते हैं. यूक्रेन पर हमले के तुरंत बाद रूस ने अपने देश के परमाणु हथियार तैनात करने का आदेश भी दे दिया था. पश्चिमी देशों के अनुमानों के मुताबिक रूस के पास करीब दो हजार टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन हैं. उन्हें एयरक्राफ्ट से गिराया जा सकता है. पारंपरिक मिसाइलों पर लोड किया जा सकता है. रूस के पास ऐसे मिसाइल सिस्टम भी हैं जो पनडुब्बी या समुद्री जहाज से लॉन्च किए जा सकते हैं. इन पर भी ये टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन फिट बैठते हैं.

पहली बार इस्तेमाल हुए रूसी एडवांस मिसाइल

रूस का कैलिबर मिसाइल सिस्टम एसएन-30 समंदर में पनडुब्बी या जहाज से लॉन्च किया जा सकता है और ये 1500-2500 किलोमीटर दूर तक निशाने को भेद सकता है. इसके अलावा इस्कंदर मिसाइल सिस्टम पर ये न्यूक्लियर वेपन तैनात किए जा सकते हैं. इस्कंदर मिसाइलें जमीन से लॉन्च की जाती हैं. रूस बिना न्यूक्लियर वॉर हेड वाली हाइपरसोनिक मिसाइलें पहले से ही यूक्रेन पर लॉन्च कर चुका है. पहली बार युद्ध में रूस ने इन बेहद उन्नत मिसाइलों का इस्तेमाल किया है. दुनिया में आशंका गहरा रही है कि 76 साल बाद पुतिन इस मिथक को तोड़ सकते हैं कि युद्ध में परमाणु बमों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.

टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन से हो सकती है शुरुआत

द न्यू यॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक जनकारों का मानना है कि युद्ध के मैदान में भारी नुकसान के बाद रूस की सेना परमाणु हमला भी कर सकती है. शायद इसीलिए पुतिन की सेना पारंपरिक युद्ध से परमाणु युद्ध के ट्रांजिशन का अभ्यास कर चुकी है. जानकारी के मुताबिक रूस के पास एक किलोटन से लेकर 100 किलोटन क्षमता के लगभग 2000 छोटे न्यूक्लियर बम और मिसाइलें हैं. इन बमों को टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन भी कहा जाता है. इसका मतलब है कि ये सीमित दायरे में तबाही मचाते हैं.

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने संसद को दिया इनपुट

अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी ने दावा किया है कि अगले कुछ दिनों में रूस कुछ एटॉमिक कदम उठा सकता है. एजेंसी के निदेशक स्कॉट डी बैरियर ने अमेरिकी संसद की सैन्य समिति को बताया था कि रूस पश्चिमी देशों को संकेत देने और अपनी ताकत के प्रदर्शन के लिए अपने परमाणु हथियारों पर अधिक निर्भर हो सकता है. यूक्रेन से युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन कई बार अपने परमाणु हथियारों का जिक्र कर चुके हैं. अमेरिकी खुफिया अधिकारियों के मुताबिक रूस को लगता है कि परमाणु हथियारों को लेकर तनाव बनाए रखने से नाटो को पीछे हटने का संकेत दिया जा सकता है.

सैनिकों के बजाय बंजर जमीन पर न्यूक्लियर हमला

रूस के हिसाब से यूक्रेन के साथ युद्ध ठीक नहीं चल रहा है. पश्चिमी देशों का रूस पर दबाव भी बढ़ रहा है. इन दलीलों के आदार पर कार्गेनी एंडाउमेंट फॉर इंटरनेशल पीस और यूनिवर्सिटी ऑफ हैमबर्ग से जुड़े एकस्पर्ट उलरिच कुन कहते हैं कि परमाणु हमले की आशंका फिलहाल कम है, लेकिन यह बढ़ सकती है. एक इंटरव्यू में डॉ. कुन ने कहा कि हो सकता है पुतिन यूक्रेन के सैनिकों के बजाय वहां किसी बंजर इलाके पर ऐसा बम गिरा दें. इस बारे में बात करना ही डरावना है, लेकिन हमें ये मानना होगा कि आशंका बढ़ रही है. दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय संबंधों और युद्ध के कई जानकारों ने परमाणु हमले की इस आशंका पर शक जाहिर है.

ध्वस्त हो चुके हैं यूक्रेन के बंकर और कमांड सेंटर्स

अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फॉरेन सर्विस में अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर पॉल डी मिलर ने सवाल उठाया है कि इस तरह के परमाणु हथियारों का इस्तेमाल युद्ध में क्या फर्क पैदा करेगा. उन्होंने कहा कि टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन को बड़े सैन्य फॉर्मेशन जैसे टैंक, आर्टिलरी, एयरक्राफ्ट कैरियर बैटल ग्रुप के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन किया जाता है. इसके अलावा इन्हें अंडरग्राउंड बंकरों, किलेबंद सैन्य ठिकानों, या कमांड एंड कंट्रोल ठिकानों के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए विकसित किया जाता है. यूक्रेन के पास पहली दो चीजें तो हैं नहीं और बंकरों और कमांड सेंटरों को युद्ध के शुरुआती दिनों में ही रूस पारंपरिक बमों से निशाना बना चुका है.

कमजोर होगी पुतिन की दलीलें, सिर्फ सर्वनाश

प्रोफेसर मिलर ने साफ कहा कि अगर पुतिन परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेंगे तो उन्हें हासिल क्या होगा. इस युद्ध में अब रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल सिर्फ शहर के सर्वनाश के लिए कर सकता है. ऐसा किया तो खास सैन्य कामयाबी हासिल नहीं होगी. युद्ध को लेकर पुतिन की दलीलें भी कमजोर होंगी. ऐसा करके पुतिन उन लोगों और सांस्कृतिक स्थलों को नष्ट कर देंगे जिन्हें रूस के लिए सुरक्षित करने का दावा करते आ रहे हैं.

रूस के परमाणु हमले की धमकी पर नहीं भरोसा

रक्षा विश्लेषक फरान जैफरी का कहना है कि रूस टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन के इस्तेमाल का कोई कारण नजर नहीं आते. उन्होंने रूस के टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन इस्तेमाल करने की थ्योरी पर शक जताया और कहा कि मुझे नहीं लगता कि यूक्रेन के खिलाफ पुतिन टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन इस्तेमाल करने की भीषण गलती करेंगे. नाटो और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भारी प्रतिक्रिया के साथ ही पुतिन को रूस के अपने नागरिकों का भी भारी गुस्सा झेलना होगा. रूस के लोगों के बहुत से रिश्तेदार यूक्रेन में रहते हैं. जैफरी ने कहा कि ऐसी हालत में लोग इसे रूस के युद्ध के रूप में नहीं बल्कि पुतिन के युद्ध के रूप में देख रहे हैं. ऐसे में युद्ध के खिलाफ रूस में ताकतवर लोगों का सामूहिक विरोध पुतिन के खिलाफ तख्तापलट तक पहुंच सकता है.

परमाणु हथियारों के बारे में जानें

आमतौर पर परमाणु हथियार दो तरह के होते हैं. पहला स्ट्रेटेजिक परमाणु हथियार और दूसरा टैक्टिकल परमाणु हथियार. शीत युद्ध के दौरान रूस और अमेरिका दोनों ने ही बड़े पैमाने पर स्ट्रेटैजिक परमाणु हथियारों का विकास किया था. उदाहरण के तौर पर रूस ने अब तक जिस सबसे बड़े परमाणु हथियार का परीक्षण किया है वो हिरोशिमा पर दागे गए अमेरिकी परमाणु बम से तीन हजार गुना ताकतवर है. वहीं अमेरिका का परीक्षण किया गया सबसे ताकतवर परमाणु हथियार हिरोशिमा पर दागे गए बम से एक हजार गुना ताकतवर है.

रूस के पास सबसे ज्यादा न्यूक्लियर बम

रूस के पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं. माना जाता है कि इस समय रूस के पास जो सबसे विनाशक परमाणु हथियार है वो 800 किलोटन क्षमता का हो सकता है. यूक्रेन युद्ध में ऐसे स्ट्रैटेजिक बमों के इस्तेमाल की संभावना बेहद कम है. क्योंकि इनसे सर्वनाश तय है. इन भारी परमाणु बमों का इस्तेमाल असंभव माना जाता है. क्योंकि अगर युद्ध में इनका इस्तेमाल शुरू हुआ तो धरती से जीवन ही समाप्त हो सकता है.

दूसरा पक्ष ये है कि आज अमेरिका और रूस दोनों के पास ही ऐसे छोटे परमाणु हथियार हैं. इनसे सीमित विनाश होगा और जिनके इस्तेमाल के बारे में सोचा जा सकता है. इसी वजह से पश्चिमी विश्लेषक मान रहे हैं कि रूस असाधारण हालात में टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन (Tactical Nuclear Weapon ) का इस्तेमाल कर सकता है.

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