अच्छी बात यह है कि चुनावों का कोई नुकसान नहीं होता। नहीं‚ नहीं यूं तो नुकसान होता ही है। लोगों का धंधा बंद हो जाता है‚ धंधा–पानी बंद हो जाता है। महंगाई बढ जाती है। तेल की कीमतें तो निश्चित ही बढ जाती हैं‚ जो जलकुकडों की सारी भविष्यवाणियों और घोषणाओं के बावजूद अभी तक पता नहीं क्यों नहीं बढी हैं। इससे जनता की धडकन और बढ गई है। कहीं तूफान से पहले का सन्नाटा तो नहीं है। लेकिन ये सब भौतिक नुकसान हैं‚ दुनियादारी से जुडे हुए। रूहानी‚ दार्शनिक तथा सैद्धांतिक तौर पर चुनाव का कोई नुकसान नहीं होता। बल्कि जिन्हें नुकसान होता है‚ वो भी अपने नुकसान का हिसाब लगाने से गुरेज करते हैं‚ और जनादेश का सम्मान करने के लिए अपना सिर झुका देते हैं। कौन हिसाब–किताब लगाए यार‚ कौन बही खाते में दर्ज करे। हालांकि धरती वीरों से खाली नहीं हुई है‚ और शशि थरूर जैसे उद्यमी अभी भी बचे हुए हैं‚ जिन्होंने बाकायदा हिसाब लगाकर बताया है कि कांग्रेस अभी उतनी घाटे में नहीं है‚ जितना कहा जा रहा है। देश में विधायकों के मामले में वह अभी भी दूसरे नंबर की पार्टी है। कोई भुलेखे में न रहे। जनता के जनादेश को सिर माथे लेने से हमेशा सम्मान से वंचित रहने वाली जनता को महसूस होने लगता है कि देखो‚ उसका कितना सम्मान किया जा रहा है। वह अगले चुनाव तक सम्मानित होती रहती है।
खैर‚ चुनाव का फायदा यह होता है कि इससे ईवीएम में तमाम तरह की गडबडियों का इल्जाम लगाने के बावजूद लोकतंत्र और मजबूत हो जाता है‚ फिर भले ही मन ही मन यही डर क्यों न सता रहा हो कि यार इससे तो इनकी तानाशाही और मजबूत हो गई। एक और फायदा होता है कि भाजपा अगले चुनाव की तैयारी में लग जाती है‚ जिससे चुनाव से जुडे धंधों में मंदी नहीं आ पाती‚ फिर चाहे अर्थव्यवस्था में कितनी ही मंदी क्यों न रहे। एक फायदा यह भी होता है कि कांग्रेस हताश नहीं होती और उसमें लडने का नया जज्बा पैदा हो जाता है। कांग्रेस में जो मार–काट देखने में आती है‚ वह इसी जज्बे का परिणाम है। एक और फायदा यह होता है कि कांग्रेस छोडने वालों की नई सूची तैयार हो जाती है। चुनाव होते ही चाहे आप हो या तृणमूल कांग्रेस‚ अपने पैर और पसारने लगती हैं। उन्हें तलाश रहती है कि देखें‚ कांग्रेस के पैर कहां–कहां सिकुड रहे हैं। कांग्रेस के अलावा सभी फैल ही रहे हैं। हां‚ फायदा यह भी है कि कुछ वरिष्ठ पत्रकारों और चुनाव विश्लेषकों को कांग्रेस को सीख देने का मौका मिल जाता है। फिर भी कोई उन्हें गुरू का दर्जा देता नहीं। चुनाव के बाद उन लोगों की पहचान होनी भी शुरू हो जाती है‚ जो आप में या तृणमूल में जाने वाले हैं।
सेंसेक्स में 300 अंक से ज्यादा की गिरावट……
हफ्ते के पहले कारोबारी दिन आज यानी 17 फरवरी को सेंसेक्स 300 अंक से ज्यादा की गिरावट के साथ 75,600...