वेश्विक महामारी कोरोना के दौरान मौतों को लेकर सरकारी तंत्र की लापरवाही से तो हर आम और खास परेशान था‚ मगर मुआवजे को लेकर जिस तरह का भ्रष्ट आचरण देखा गया‚ वह वाकई तकलीफदेह है। सर्वोच्च अदालत का कोरोना मुआवजे के फर्जी दावों पर नाराजगी जताना निश्चित तौर पर तंत्र की विफलता को पलिक्षित करता है। शीर्ष अदालत का यह कहना कि ‘नैतिकता का इतना पतन होगा‚ सोचा न था’‚ लालच और भ्रष्ट तंत्र की पोल खोलता है। अदालत ने वैसे तो अभी इस मामले में कोई आदेश पारित नहीं किया है‚ मगर इतना जरूर कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) से इस मसले की जांच कराई जा सकती है। दरअसल‚ पूरा खेल ड़ॉक्टरों और मुआवजा पाने वालों के लालच का है। अदालत ने बिना लाग–लपेट के कहा भी कि ड़ॉक्टरों की ओर से फर्जी प्रमाण पत्र जारी करना चिंताजनक है। ड़ॉक्टर को लोग भगवान की तरह मानते हैं‚ अगर वे लोग इस तरह से सिस्टम के साथ खिलवाड़़ करेंगे तो निश्चित तौर पर शासन का पूरा ढांचा ढह जाएगा। कोरोना की दूसरी और तीसरी लहर में ड़ॉक्टरों की दो तरह की तस्वीर सामने आई थीं। एक तरफ जहां ड़ॉक्टरों ने अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़़ी थी‚ वहीं कुछ ड़ॉक्टरों और अस्पतालों का अमानवीय और संवेदनहीन चेहरा भी देश के सामने नमूदार हुआ था। अलबत्ता‚ ड़ॉक्टर बिरादरी से यही उम्मीद हमेशा की जाती है कि वह न तो किसी से पक्षपात करती है न संवेदना के स्तर पर उनमें कोई कमी झलकती है। इस लिहाज से शीर्ष अदालत की ड़ॉक्टरों को लेकर की गई बेहद सख्त टिप्पणी को संजीदगी से समझने की दरकार है। फिलहाल अदालत कोई आदेश जारी करे‚ इससे पहले खुद उन अस्पतालों को आगे आना चाहिए जहां के ड़ॉक्टरों ने इस तरह का नाजायज काम किया है। अस्पतालों और ड़ॉक्टरों को अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए यह काम अति शीघ्र करना चाहिए। अगर समाज से उनका भरोसा कमजोर होगा तो चीजें और ज्यादा जटिल होती चली जाएगी। मुआवजे को लेकर कई राज्य सरकारें सवालों के घेरे में है‚ जिन्होंने आधिकारिक तौर पर मारे गए लोगों की संख्या से कहीं ज्यादा मुआवजा बांटा। यह वाकई भ्रष्टाचार का जीता–जागता नमूना है।
भारतीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट , सेंसेक्स 1235 अंक टूटा
भारतीय शेयर बाजार का बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स में आज 1,200 से अधिक अंकों की गिरावट दर्ज की गई, जबकि निफ्टी...