युद्ध का आज 17वां दिन है। रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव और उसके पास के इलाकों में हमले तेज कर दिए हैं। पश्चिमी देशों रूस पर नकेल कसने के लिए लगातार प्रतिबंधों का ऐलान कर रहे हैं। इसके पलटवार में रूस भी कड़े एक्शन ले रहा है। रूस ने धमकी देते हुए कहा है कि पश्चिमी देशों की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन क्रैश हो सकता है।
अमेरिका और रूस पिछले 24 साल से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के रखरखाव के लिए एक साथ काम कर रहे हैं। यहां दोनों के तालमेल से 21वीं सदी की कई महत्वपूर्ण खोजों भी हई है, लेकिन यूक्रेन युद्ध ने हालात को बिल्कुल बदल दिया है। रूस की धमकी के बाद अमेरिकी एस्ट्रोनॉट मार्क वंदे हेई दो अन्य रूसी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ कजाकिस्तान में उतरने का प्लान कर रहे हैं।
यूक्रेन ने रूस के इस आरोप को बेबुनियाद बताया
दरअसल, रूस की सेना पिछले 16 दिनों से यूक्रेन में भारी बमबारी कर रही है. डोनबास समेत कई क्षेत्रों पर रूस का कब्जा हो गया है, जबकि खारकीव और मारियुपोल जैसे शहरों को भारी नुकसान पहुंचाया गया है. हालांकि रूसी सेना अभी तक राजधानी कीव पर अपना कब्जा नहीं जमा पाया है. इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की लगातार आरोप लगा रहे हैं कि रूस अब बुजुर्ग और बच्चों को भी नहीं छोड़ रहा है. रूस के सैनिक आम नागरिकों को भी निशाना बना रहे हैं. वहीं, रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कल यानी शुक्रवार को आपात बैठक बुलाई. 193 देशों वाली इस परिषद में रूस ने अपना पक्ष रखते हुए आरोप लगाया कि यूक्रेन अमेरिका की सहायता से जैविक और रासायनिक हथियारों का निर्माण कर रहा है, जो क्षेत्र के लिए काफी खतरनाक है. हालांकि यूक्रेन ने रूस के इस आरोप को बेबुनियाद बताया है.
युद्ध में इन हथियारों के इस्तेमाल पर रोक
संयुक्त राष्ट्र में रूस के स्थाई प्रतिनिधि ने कहा कि यूक्रेन की लैब में खतरनाक प्रयोग किए जा रहे हैं. जिनसे जैविक और रासायनिक हमलों का खतरा बढ़ गया है. रूसी प्रतिनिधि ने कहा कि हमारे रक्षा मंत्रालय के पास ऐसे सबूत हैं, जिनसे यह पुष्टि होती है कि यूक्रेन में लगभग 30 जैविक प्रयोगशालाओं का नेटवर्क था. आपको बता दें कि रासायनिक और जैविक हमले बेहद खतरनाक होते हैं. हालांकि युद्ध में इन हथियारों के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है, क्योंकि इनसे सबसे ज्यादा नुकसान आम लोगों को होता है. जबकि सामान्य युद्ध का मतलब केवल एक देश की सेना की दूसरे देश की सेना से लड़ाई है. रासायनिक युद्ध में अम्लीय बारिश और जैविक हमलों में वायरस आदि से टारगेट देश को नुकसान पहुंचाया जाता है. कोरोना वायरस को लेकर भी ऐसी चर्चा सामने आई थी कि चीन ने अपने मुनाफे और दूसरे देशों के नुकसान के लिए यह जैविक हमला किया था. बताया जा रहा था कि कोरोना वायरस चीन की प्रयोगशाला से लीक हुआ है. हालांकि इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिल पाया था.