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विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद केंद्र की राजनीति में क्या दिखेगा बदलाव?

UB India News by UB India News
June 4, 2022
in संपादकीय
0
पीएम मोदी का अहमदाबाद में रोड शो, दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे गुजरात
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देश भर में पांच राज्यों के चुनाव परिणाम (Assembly Elections Result 2022) गुरुवार को सामने आए गए. यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनावों में बीजेपी और पंजाब में आम आदमी पार्टी ने नया रिकॉर्ड बना दिया है. केंद्र की राजनीति पर भी इन पांच राज्यों के चुनाव परिणाम का भरपूर असर दिखेगा. कई नए सियासी बदलाव सामने आएंगे. केंद्र सरकार के फैसले, राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति के चयन, आगामी राज्यों के चुनाव और लोकसभा चुनाव 2024 समेत कई मुद्दों पर देश भर में इन चुनावी नतीजों की गूंज साफ महसूस की जाएगी.

उत्तर प्रदेश में 37 साल बाद किसी दल की सरकार वापस लौटी है. आजादी के बाद ये पहली बार होगा कि अपनी पार्टी को सत्ता में वापसी कराने वाले योगी आदित्यनाथ लगातार दूसरी बार सीएम बनेंगे. उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार किसी पार्टी की सरकार बनेगी. पूर्वोत्तर में मणिपुर और पश्चिमी तटीय राज्य गोवा में भी बीजेपी की सरकार में वापसी हुई है. दूसरी ओर सीमावर्ती और संवेदनशील राज्य पंजाब में आम आदमी पार्टी की पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार आई है. आप पहली ऐसी क्षेत्रीय पार्टी बन गई है, जो एक राज्य दिल्ली से आगे बढ़कर दूसरे राज्य पंजाब में भी सरकार बनाएगी.

आइए, जानने की कोशिश करते हैं कि इन पांच राज्यों में आए चुनाव परिणाम के देश की राजनीति पर क्या दूरगामी असर देखने को मिल सकते हैं.

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राज्यसभा में BJP का नुकसान कम, AAP को बड़ा फायदा

इस साल अप्रैल से एक अगस्त के बीच ऊपरी सदन यानी राज्यसभा की 70 सीटों के लिए चुनाव होने वाले हैं. पहले इसमें बीजेपी को पांच सीटों का नुकसान होता दिख रहा था, लेकिन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में सरकार बनने से इस नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो सकती है. इसमें से यूपी की 11, पंजाब की सात और उत्तराखंड की एक सीट पर चुनाव होने वाले हैं. यूपी और उत्तराखंड से बीजेपी दो से तीन सीटें बढ़ सकती हैं. वहीं पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने से राज्यसभा में 6 सीटों का फायदा हो सकता है. फिलहाल राज्यसभा में AAP के पास 3 सीटें हैं.

कांग्रेस से पंजाब छीना, अब स्टेटस एक्सचेंज की ओर AAP

कांग्रेस से पंजाब छीनने के बाद आम आदमी पार्टी पहली ऐसी क्षेत्रीय पार्टी बन गई है, जो एक राज्य से निकलकर दूसरे राज्य में सरकार बनाएगी. इससे एक और बात साफ हुई है कि कांग्रेस जहां-जहां नीचे की ओर जा रही है, वहां आम आदमी पार्टी आगे बढ़ रही है. पंजाब चुनाव में बड़ी जीत के बाद AAP को कांग्रेस के विकल्प के तौर पर देखाने लगा है. पंजाब में जीतने की संभावना के बीच कांग्रेस की आपसी गुटबाजी के कारण आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के बाद उसके हाथों से दूसरा राज्य छीन लिया. आम आदमी पार्टी पंजाब में लंबे समय से काम कर रही है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में AAP की सरकार बनने की उम्मीद थी, लेकिन कांग्रेस की जीत हुई थी. अब जहां AAP राष्ट्रीय पार्टी बनने की ओर कदम बढ़ा रही है. वहीं कांग्रेस पर राष्ट्रीय पार्टी से क्षेत्रीय पार्टी बनने की ओर खिसकने को लेकर सियासी तंज कसा जाने लगा है.

कांग्रेस को बड़ा झटका, अहमियत का संकट गहराया

इन पांच राज्यों में हुए चुनाव में सबसे अधिक झटका देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को लगा है. पांच साल की सत्ता विरोधी लहर (एंटी इनकंबेंसी) के बाद भी कांग्रेस उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में सरकार नहीं बना पाई. इन राज्यों में पार्टी दूसरी सबसे पड़ी पार्टी थी. वहीं उत्तर प्रदेश में अपने तुरुप के इक्के (ट्रंप कार्ड) प्रियंका गांधी वाड्रा को उतारकर भी बेहद शर्मनाक प्रदर्शन का गवाह बनी. कांग्रेस महासचिव की कड़ी मेहनत रंग नहीं ला पाई. वहीं पंजाब में उनकी सत्ता गुटबाजी और कलहों के बीच हाथ से शर्मनाक तरीके से फिसल गई. वहीं वोट पर्सेंटेज में भी गिरावट आई.

इन चुनावी नतीजों के साथ ही कांग्रेस के सामने अस्तित्व का संकट गहरा हो गया. पार्टी के कई बड़े नेता जी-23 बनाकर पहले ही हाईकमान पर हमलावर थे. गांधी-नेहरू परिवार को फिर से अपने ही लोगों के ताने झेलने होंगे. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को कई सवालों का सामना करना पड़ेगा. क्षेत्रीय क्षत्रपों खासकर छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र में सिर उठाएंगे. वहीं गठबंधन में भी पहले की तरह अहमियत नहीं मिल पाएगी.

बंगाल की चोट कम होगी, बीजेपी के सहयोगी दल होंगे शांत

चार राज्यों में सरकार बरकरार रहने से बीजेपी को पश्चिम बंगाल में उम्मीदों के उलट मिली हार की चोट से निजात मिली है. इस राजनीतिक धारणा को फिर बल मिलेगा कि बीजेपी मजबूत है और उसको हराना मुश्किल है. इसके अलावा बिहार जैसे राज्यों में जहां बीजेपी गठबंधन की सरकार में है वहां सहयोगी दलों में उथल पुथल कम होगी और शांति बढ़ेगी. वहीं कई राज्यों में उसको नए सहयोगी दल मिलने में भी आसानी होगी. खासकर तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे दक्षिणी राज्यों में क्षेत्रीय दल बीजेपी के करीब आने में नहीं झिझकेंगे. महाराष्ट्र की राजनीति में प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ज्यादा आक्रामक हो सकती है.

आगामी विधानसभा चुनावों के लिए रणनीतिक मदद

इस साल के आखिर में होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में बीजेपी को इसका तुरंत और बड़ा फायदा मिलेगा. वहीं साल 2023 में अन्य राज्यों के चुनाव में भी बीजेपी नेताओं-कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा रहेगा. इस साल हिमाचल प्रदेश की 68 और गुजरात की 182 सीटों पर चुनाव होंगे. यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव में जीत से बीजेपी को इन राज्यों में आक्रामक प्रचार का मौका मिलेगा. 2023 में कर्नाटक की 225, राजस्थान की 200, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मेघालय, त्रिपुरा, नगालैंड और तेलंगाना में चुनाव होंगे. बीजेपी को यहां भी फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. बीजेपी के रणनीतिकारों को पता है कि लोगों के बीच कई मुद्दों पर नाराजगी है, लेकिन उनके पास मजबूत विकल्प बनने के लिए बीजेपी जैसी पार्टी सामने नहीं है.

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए ताकतवर होगी बीजेपी

चार राज्यों में मिली जीत से बीजेपी को लोकसभा चुनाव के लिए भी ताकत मिली है. उत्तर प्रदेश चुनाव को आम चुनाव का सेमीफाइनल माना जाता है. साल 2017 में यूपी विजय से 2019 में बीजेपी को काफी फायदा मिला था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए इस बात की चर्चा भी की. उन्होंने कहा कि 2022 विजय से 2024 की राह में मदद मिलेगी. पीएम मोदी बनारस से सांसद होने का जिक्र करते हुए कहा कि विकास के कार्यों को और तेजी मिलेगी.

कई चर्चित विधेयकों समेत बड़े फैसले ले सकेगा केंद्र

चुनावों की संवेदनशीलता के चलते अभी कई मुद्दों पर केंद्र सरकार कड़े फैसले नहीं ले पा रही है. विधानसभा चुनावों में मिली जीत से विनिवेश की रफ्तार तेज हो सकती है. बीजेपी को ये नैरेटिव बनाने में भी सफलता मिली है कि विपक्ष नेशनल मुद़्दों पर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश में लगा रहता है. वहीं कई चर्चित विधेयकों को लेकर केंद्र सरकार आत्मविश्वास के साथ कदम आगे बढ़ाएगी. इनमें समान नागरिक संहिता, सीएए-एनआरसी पर अमल, जनसंख्या नियंत्रण कानून, इतिहास के पुनर्लेखन जैसे मसले पर सरकार कड़े फैसले ले सकती है.

बढ़ा योगी आदित्यनाथ का कद, भगवा ब्रांड स्थापित

उत्तर प्रदेश में तमाम मिथकों को तोड़ते और नए रिकॉर्ड बनाते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीजेपी में पूरी तरह से स्थापित हो जाएंगे. पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद उनका नंबर आने लगा है. पार्टी के सबसे बड़े नेताओं में वह शुमार हो जाएंगे. दूसरी बार योगी के सीएम बनने का मौका मिलने के साथ ही गुजरात मॉडल की तरह बीजेपी यूपी मॉडल का भी देशभर में प्रचार कर सकती है. खासतौर पर उन राज्यों में जहां बीजेपी कमजोर है. बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए ब्रांड योगी भी मार्केंटिंग किए जाने की रफ्तार बढ़ेगी.

निर्विरोध हो सकता है राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव 

आगामी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से अभी बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के पास विधायकों की संख्या सबसे ज्यादा है. ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव पर भी बीजेपी का असर रहेगा. बीजेपी जिसे प्रत्याशी बनाएगी, उसकी जीत तय मानी जा रही है. राजनीतिक चर्चाओं के बीच हो सकता है कि दोनों ही चुनाव निर्विरोध संपन्न हो जाए. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल इस साल ही पूरा होने वाला है.

और मजबूत होगा हिंदुत्व, एजेंडे को मिलेगी तेज धार 

सबसे अंत में और बेहद अहम बात यह कि उत्तर प्रदेश समेत चार चुनावी राज्यों में बीजेपी की वापसी से केंद्रीय राजनीति में हिंदुत्व का एजेंडा और मजबूत होगा. दिल्ली के बाद पंजाब में जीतने वाली आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के भी चुनाव नतीजे वाले दिन दिल्ली में हनुमान मंदिरों में जाने की व्यापक मीडिया कवरेज से साफ है कि आगामी चुनावों में हिंदुत्व के कई नरम-गरम एजेंडे सामने आएंगे. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इसका स्वरूप देखने को मिल सकता है. नवंबर और दिसंबर में संभावित हिमाचल और गुजरात में भी हिंदुत्व का एजेंडा सुर्खियों में रह सकता है.

अयोध्या में जन्मभूमि पर भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण साल 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है. काशी में श्रीविश्वनाथ कॉरिडोर का अनावरण हो चुका है. वहीं बीजेपी और समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश चुनाव में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान मथुरा की चर्चा तेज कर दी है. यह मुद्दा अब दिनोंदिन रंग पकड़ सकता है. मथुरा में सीएम योगी सरकारी तौर पर होली मनाने की शुरुआत कर चुके हैं.

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