यूक्रेन (Ukraine) के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बीते दिन ब्रिटिश संसद को संबोधित करते हुए नाटो का आड़े हाथो लिया. जेलेंस्की की टीस साफ समझी जा सकती है. अमेरिका (America) और ब्रिटेन (Britain) ने उन्हें रूस के खिलाफ खूब उकसाया और जब युद्ध शुरू हुआ, तो अपने कदम पीछे खींच लिया. वजह साफ है कि रूस (Russia) ने दो टूक चेतावनी दी है कि जो भी बीच में आएगा उसे रूस के खिलाफ माना जाएगा. संभवतः इसी डर से अमेरिका ने यूक्रेन को बड़ा झटका देते हुए पोलैंड (Polland) के 28 मिग-29 फाइटर जेट देने के ऑफर को ठुकरा दिया है. बताते हैं कि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने पोलैंड के मिग-29 फाइटर जेट को जर्मनी में अमेरिकी वायुसेना के ठिकाने पर दिए जाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया.
अमेरिका ने फिर यूक्रेन को दिखाई पीठ
गौरतलब है कि अमेरिका ने यह अहम प्रस्ताव ऐसे समय खारिज किया है जब यूक्रेन और रूस के बीच भीषण जंग के दो हफ्ते पूरे होने वाले हैं. रूसी सेना ने यूक्रेन की राजधानी कीव को तीन ओर से घेर लिया है और राजधानी से मात्र कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है. इसके पहले जेलेंस्की ने कीव छोड़ने के प्रस्ताव को खारिज कर रूस से निपटने के लिए पश्चिमी देशों से लड़ाकू विमान समेत अन्य सैन्य उपकरणों की मांग की थी. इस कड़ी में पोलैंड ने फाइटर जेट देने का प्रस्ताव दिया था.
नाटो देश यूक्रेन की मदद को नहीं आ रहे आगे
यह अलग बात है कि पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने एक बयान जारी कर कहा कि पोलैंड का प्रस्ताव स्वीकार करने में असमर्थ हैं. पोलैंड ने प्रस्ताव दिया था कि इन फाइटर जेट को अमेरिका के रामस्टेन एयरबेस को ट्रांसफर कर दिया जाए. इसके बाद वहां से उसे रूस के खिलाफ यूक्रेन की मदद के लिए भेजा जाए. किर्बी ने कहा कि अगर इन विमानों को जर्मनी से यूक्रेन के संघर्षग्रस्त इलाके से भेजा जाएगा तो यह पूरे नाटो गठबंधन के लिए गंभीर चिंता का विषय बन जाएगा. रूसी फाइटर जेट इस समय यूक्रेन के आकाश में गश्त लगा रहे हैं और बमबारी कर रहे हैं.
जब से रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तब से करीब 250 कंपनियों ने देश से कारोबार समेटना शुरू कर दिया है या परिचालन में कटौती की है। येल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट (Yale School of Management) के अनुसार, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला करने के बाद से अमेरिका और यूरोप की कंपनियां मॉस्को से जा रही हैं।
हाल में Netflix, टिकटॉक, सैमसंग ने भी रूस छोड़ने का ऐलान किया है। रूस छोड़ने वाली कपंनियों की लंबी सूची है, जो रूस के साथ संबंध तोड़ रहे हैं या देश में उनके संचालन की समीक्षा कर रहे हैं। वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि लड़ाई जारी रहने के साथ वित्तीय जोखिम बढ़ रहे हैं। रूस पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध, युद्ध के कारण हवाई क्षेत्र और परिवहन लिंक को बंद करना और स्विफ्ट से बाहर होना बिजनेस चलाने में आड़े आ रहा है।
तेल और गैस पर आफत
तेल और गैस सेक्टर की बात करें तो रूस की सबसे बड़े विदेशी निवेशक BP Plc ने 27 फरवरी को ऐलान किया कि वह सरकारी रोजनेफ्ट में अपनी 20% हिस्सेदारी खत्म कर रही है। इसके बाद Shell Plc भी बिजनेस से निकल गई। नॉर्वे की इक्विनोर एएसए ने कहा कि वह रूस में अपने संयुक्त उद्यमों से हटना शुरू कर देगी, जिसकी कीमत लगभग 1.2 बिलियन डॉलर है।
फाइनेंस सेक्टर की बात करें तो Visa और मास्टरकार्ड ने कहा है कि वे रूस में बिजनेस सस्पेंड कर रहे हैं। इसके पीछे यूक्रेन के राष्ट्रपति की वह अपील भी कारण है, जिसमें उन्होंने अमेरिकी सांसदों के साथ एक वीडियो कॉल में कंपनियों से रूस में सभी व्यवसाय बंद करने को कहा था। हरेक कंपनी को अपने शुद्ध राजस्व का लगभग 4% रूस से जुड़े व्यवसाय से मिलता है। अमेरिकन एक्सप्रेस ने भी यही बात कही है।
ऑटो सेक्टर भी अछूता नहीं
जनरल मोटर्स कंपनी, फोर्ड मोटर कंपनी, फॉक्सवैगन और टोयोटा मोटर कॉर्प सहित दुनिया की अधिकांश बड़ी कार निर्माता कंपनियों ने घोषणा की है कि वे रूस में अपना शिपमेंट रोक देंगे। ट्रक निर्माता वॉल्वो और डेमलर ने भी वहां कारोबारी गतिविधियां ठप कर दी हैं।
कंज्यूमर गुड्स
लेवी स्ट्रॉस एंड कंपनी भी रूस में वाणिज्यिक संचालन को निलंबित कर रही है, जहां उसे अपनी बिक्री का लगभग 2% मिलता है। कंपनी ने कहा कि हमले के कारण कारोबार अस्थिर हो गया है। सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी ने अपने सभी उत्पादों के निर्यात को निलंबित कर दिया है। सैमसंग ने कहा कि वह 6 मिलियन डॉलर का दान करेगी, जिसमें उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों में 1 मिलियन डॉलर शामिल हैं।