पड़ोसी देश चीन ने शनिवार को पेश अपने बजट में सुरक्षा के लिए बढ़ते खतरों को वास्ता देकर रक्षा खर्च (Defence Budget) में बड़ी बढ़ोतरी का फैसला लिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन ने वित्त वर्ष 2022 के लिए रक्षा बजट में 7.1 प्रतिशत की बढ़त कर इसे 1.45 खरब (ट्रिलियन) युआन यानी 230 अरब डॉलर ( लगभग 17.57 लाख करोड़) करने का प्रस्ताव किया है. चीन अपने रक्षा खर्च को 7.1 फीसदी बढ़ाकर भारत, अमेरिका समेत अन्य देशों को चुनौती दे सकता है. चाइना डेली ने प्रधानमंत्री ली केकियांग के पेश किए मसौदा बजट प्रस्तावों के हवाले से इसकी जानकारी दी है.
पिछले साल चीन का रक्षा बजट 200 अरब डॉलर (15 हजार अरब रुपये) के पार गया था. चीन ने वित्त वर्ष 2021 में अपने रक्षा बजट में 6.8 प्रतिशत की वृद्धि की थी. इससे उसका कुल रक्षा बजट 209 अरब डॉलर हो गया था. इसके मुकाबले नया बजट 21 अरब डॉलर अधिक है.
चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में पेश अपनी कार्य रिपोर्ट में चीनी प्रधानमंत्री ली ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) से व्यापक युद्ध तैयारी को तेज करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि पीएलए को देश की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा के लिए दृढ़ और लचीले तरीके से सैन्य संघर्ष करने की जरूरत है. ली ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध और अमेरिका के साथ उसके बढ़ते राजनीतिक और सैन्य तनाव के बीच चीन ने इस साल के रक्षा बजट बढ़ाने का प्रस्ताव किया है.
भारत के मुकाबले 3 गुना ज्यादा रक्षा खर्च
वित्त वर्ष 2022 के लिए भारत के 5.25 लाख करोड़ (लगभग 70 बिलियन अमरीकी डॉलर) के रक्षा बजट से चीन का रक्षा पर खर्च तीन गुना अधिक हो जाएगा. चीन के रक्षा खर्च में बढ़ोतरी के बाद आशंका जताई जा रही है कि यह भारत के लिए खतरा बन सकता है. दरअसल, चीन हर साल रक्षा बजट में बढ़ोतरी करता जा रहा है. आशंका जताई जा रही है कि रक्षा बजट बढ़ाने के बाद चीन एलएसी पर सैन्यकर्मियों की संख्या भी बढ़ा सकता है. इसके अलावा पड़ोसी देशों में अवैध घुसपैठ को भी अंजाम देने की हरकत कर सकता है. एक अन्य सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन 2022 में सैन्य शिक्षा और युद्ध प्रशिक्षण को बढ़ावा देगा.
अमेरिका और रूस के बीच में चीन का नंबर
चीन के पास अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच 768.2 अरब के रक्षा बजट को मंजूरी दी थी. इसमें हिंद प्रशांत क्षेत्र में अभियान के लिये 7.1 अरब डॉलर का प्रावधान किया गया था. बजट में अत्याधुनिक तकनीकों जैसे हाइपर सोनिक हथियार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 5जी, क्वांटम कंप्युटिंग जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये महत्वपूर्ण तकनीकों पर जोर दिया गया था.
वहीं रूस के वैश्विक हथियारों के व्यापार पर नजर रखने वाली संस्था स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक साल 2020 में रूस का रक्षा बजट 61.7 अरब अमेरिकी डॉलर था जोकि चीन और अमेरिका के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट था.
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच चीन ने बढ़ाई चिंता
रूस और यूक्रेन में जारी युद्ध के 10वें दिन चीन ने रक्षा बजट बढ़ाने का फैसला लिया है. इस टाइमिंग को लेकर दुनिया के कई देशों में चीन की मंशा पर संदेह जताया जा रहा है. अमेरिका सहित तमाम देशों के सुरक्षा विशेषज्ञों ने चीन के फैसले पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि दुनिया में अशांति की संदेह गहरा हो गया है. हांगकांग के बाद अब चीन के निशाने पर अगला नंबर ताइवान का हो सकता है. चीन कभी भी इस देश पर हमला कर यहां कब्जा कर सकता है. यहां उसने बीते साल से ही घुसपैठ बढ़ा दी हैं.
भारत ने 10 प्रतिशत बढ़ाया है रक्षा बजट
पड़ोसी देश चीन की सीमा पर उकसाने वाली हरकतों को देखते हुए भारत उसके संकेतों को भली-भांति समझ रहा है. बीते साल से चीन और भारत के बीच लद्दाख में हुई सैनिकों की झड़प के बाद से तनाव चल रहा है. तमाम राउंड की बैठकों के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है. भारत ने भी इस साल रक्षा बजट में 2021-22 के मुकाबले करीब 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. इस साल यानी वित्त वर्ष 2022-23 का कुल रक्षा बजट करीब 5.25 लाख करोड़ है. पिछले साल यानी 2021-22 का कुल रक्षा बजट 4.78 लाख करोड़ था. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) में प्राइवेट इंटस्ट्री को बढ़ावा देने के इरादे से पहली बार रक्षा बजट में आरएंडडी का 25 फीसदी हिस्सा स्टार्ट-अप, स्वदेशी इंडस्ट्री और शैक्षिक संस्थानों को आवंटित किया जाएगा.