प्रदेश में बालिका शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार हुआ है। राज्य की एक भी बेटी विद्यालय से बाहर नहीं हैं। ६ से १८ वर्ष तक की उम्र की सभी लड़़कियां किसी न किसी विद्यालय या महाविद्यालय में पढ़ाई कर रही हैं। वहीं ३ से ६ वर्ष की बच्चियों को आंगनबाड़़ी केंद्रों पर स्कूली पूर्व शिक्षा दी जा रही है। सरकार बेटियों को विद्यालय भेजने वाले सभी माता–पिता को धन्यवाद पत्र देगी।
सभी किशोरियों का विद्यालयों में नामांकन हो जाने के कारण समाज कल्याण विभाग को केंद्र सरकार द्वारा ११ से १४ वर्ष की कोशोरियों के लिए चलायी जा रही ‘किशोरी बालिका योजना'(सैग) की लाभार्थी नहीं मिल रही है। समाज कल्याण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार‚ पूरे देश में सात मार्च को ‘कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव’ मनाया जाना है। इसको लेकर जिलों से लाभार्थियों की सूची मांगी गयी है। राज्य के सभी ३८ जिलों के कार्यक्रम पदाधिकारियों(ड़ीपीओ) ने समाज कल्याण विभाग को रिपोर्ट भेजी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ११–१४ आयु वर्ग की सभी किशोरियों का नामांकन विद्यालय में हो गया है और वे लागातार विद्यालय भी जा रही हैं। मालूम हो कि किशोरियों के सर्वांगीण विकास के लिए राज्य अंतर्गत स्कूल नहीं जाने वाली ११–१४ वर्ष की आयु की लड़़कियों के लिए ‘किशोरी बालिका योजना’ आंगनबाड़़ी केंद्रों के माध्यम से चलायी जाती है। इस योजना के माध्यम से लड़़कियों के स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार के लिए पोषाहार के साथ–साथ विद्यालय नहीं जाने वाली ११–१४ वर्ष की बालिकाओं का नामांकन कराकर उन्हें विद्यालय भेजने हेतु उसके माता–पिता को प्रेरित करना‚ जीवन कौशल संबंधी प्रशिक्षण आदि सेवा देने का प्रावधान है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार‚ अब इस योजना का बिहार में कोई औचित्य नहीं रह गया है। राज्य सरकार ने सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों और बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों को पत्र लिखकर आंगनबाड़़ी सेविका द्वारा किशोरी बालिका के अभिभावकों को धन्यवाद पत्र देने का फैसला लिया है। साथ ही आंगनबाड़़ी केंद्र के पोषक क्षेत्र में प्रचार–प्रसार भी किया जायेगा। इस अभियान की शुरुआत सात मार्च को होगी।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्ता में आने के बाद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की बच्चियों के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाओं मुख्यमंत्री पोशाक योजना‚ मुख्यमंत्री साइकिल योजना‚ मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन योजना‚ मुख्यमंत्री विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना‚ कन्या उत्थान योजना‚ निशुल्क पाठ्य पुस्तक योजना आदि की शुरुआत की थी‚ जिसका असर बालिका शिक्षा पर पड़़ा है। समाज के कमजोर वर्ग की बालिकाओं को प्रारंभिक शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़़ने के लिए कक्षा छह से आठ तक के लिए राज्य में ५३५ कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संचालित हैं। इन विद्यालय में ५०‚९६३ बालिकाएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। वहीं समग्रह शिक्षा अभियान के तहत राज्य में २१‚२८५ नये प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की गयी है। साथ ही १९‚६३३ प्राथमिक विद्यालय को मध्य विद्यालय में उत्क्रमित किया गया है। राज्य के ९८.६३ फीसद टोले में प्राथमिक विद्यालय और ९९.१९ फीसद टोले मध्य विद्यालय से अच्छादित हो गये हैं। जबकि राज्य के सभी पंचायतों में एक–एक उच्च माध्यमिक विद्यालय की स्थापना की गयी है। इसका असर बालिका शिक्षा पर पड़़ा है।