भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली भारत सरकार एवं अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन एस. एम. डी. कॉलेज, पुनपुन एवं इतिहास संकलन समिति, बिहार के संयुक्त तत्वधान में एस. एम. डी. कॉलेज पुनपुन के प्रांगण में किया गया।
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय – ‘‘पटना परिक्षेत्र में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कुछ अनछुए पहलु‘‘ था। इस संगोष्ठी की अध्यक्षता पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति प्रो. आर. के. सिंह ने किया। मुख्य अतिथि डॉ. बालमुकुन्द पाण्डेय, राष्ट्रीय संगठन मंत्री, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना ने कहा कि भारतीय इतिहास अंग्रेजों द्वारा निर्मित है और उसकी वैकल्पिक परिकल्पना की जरूरत है। एैसे लोगों का इतिहास लेखन जरूरी है जिन्हे इतिहास के पन्नों में स्थान नहीं मिला। उन्होंनें समाज की नैतिक कर्तव्य का भी परिचर्चा किया।
प्रो. वैधनाथ लाभ, कुलपति नालंदा नव विहार, बौद्ध ज्ञान की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए नवीन भारत में इतिहास के प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। प्रो. आर. के. सिंह ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा वंशावली संकलित कर अगर हम अपने ही कुल परिवार के संस्कार तथा पारिवारिक इतिहास को संकलित कर अगर समझा जाए तो यह राष्ट्र निर्माण का यह बड़ा कार्य हो सकता है। प्रो. राजीव रंजन ने विषय की प्रसांगिता पर प्रकाश डाला।
महाविद्यालय के प्रधानाचार्य सह संगोष्ठी अयोजन अध्यक्ष प्रो. राम किशोर सिंह ने कहा कि देश के स्वाभिमान को जागृत करने के लिए यह अतिआवश्यक है कि इतिहासकार एवं शोधार्थी इतिहास का अवलोकन सही डेटा के साथ करें।
इस संगोष्ठी का मंच संचालन महाविद्यालय के इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. आनवारूल हक अंसारी ने किया। आर. के. डी. कॉलेज, पटना के इतिहास विभाग के सहायक प्रधयापक सह संगोष्ठी संयोजक डॉ. रामा कान्त शार्मा ने इतिहास के उस सामर्थ कि चर्चा कि जिस से समाज को नई दिशा मिल सके।
इस संगोष्ठी के सह आयोजन सचिव डॉ. राकेश कुमार, डॉ. मुकेश कुमार झा एवं डॉ. आवेन्द्र पासवान अर्चना रॉय भट्ट थे। इस कार्याक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय के सभी शिक्षक एवं शिकेत्तरकर्मचारियों ने अपना अमुल्य योगदान दिया।