रुसी लोग यूक्रेन के गोपाक डांस के दीवाने है। इस डांस की कोई निश्चित स्टेप नहीं होती और जो जैसा चाहे वैसा नाच सकता है। रूस के तानाशाह स्टालिन अपने प्रतिद्वंद्वियों को गोपाक पर डांस करवाना पसंद करते थे और उन्हें देखकर खूब हंसते थे‚ फिर वह ख्रुश्चेव ही क्यों न हो। १९५३ में स्टालिन की मौत के कई दशकों बाद रूस की कमान पुतिन के हाथों में है। यूक्रेन को लेकर पुतिन के राजनीतिक और रणनीतिक स्टेप बिल्कुल गोपाक की तरह ही अप्रत्याशित रही है‚ जिसने पूरी दुनिया को संकट में डाल दिया है।
इतिहास के क्रूरतम तानाशाहों में शुमार रूस के स्टालिन और पुतिन में कई समानताएं हैं। स्टालिन अपने दुश्मनों और विरोधियों को कभी नहीं छोड़ते थे‚ पुतिन भी ऐसे ही हैं। यही कारण है कि पुतिन को स्टालिन के अक्स में दिखना अच्छा लगता है और ऐसे कई पोस्टर पिछले सालों में रूस में देखे गए हैं। पुतिन‚ स्टालिन के बाद रूस के सबसे शक्तिशाली नेता बनने में कामयाब रहे है‚ लेकिन उन्हें स्टालिन के दौर का अविभाजित सोवियत संघ नहीं मिला है। इन सबके बीच परिस्थितियों को नकार कर समय से आगे निकलने की पुतिन की जिद रूस के लिए अब जानलेवा बन गई है‚ खासकर यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद जो विरोध सामने आ रहा है। ऐसा लगता है कि दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में शुमार रूस की सेना को यूक्रेन में धकेल कर राष्ट्रपति पुतिन जेंलेसकी को अपदस्थ करने और अपने पसंद की सत्ता स्थापित करने को लेकर बेफिक्र ही थे। अब लगता है कि यूक्रेन को लेकर पुतिन की रणनीति और योजना कामयाब नहीं हो सकी। इसी कारण उनका देश और वे गहरे राजनीतिक और वैश्विक संकट में फंस गए हैं।
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया बेहद कड़ी रही है और इसकी उम्मीद पुतिन ने कभी नहीं होगी। पुतिन सैन्य टकराव का डर दिखाकर नाटो को रोकने में तो सफल रहे‚ लेकिन वे अपने देश का व्यापक हित बचाने में असफल हो गए। पुतिन के बड़े सहयोगी चीन ने अपने आर्थिक हितों को देखते हुए खुद को इस हमले से अलग कर लिया है। इस युद्ध से रूस की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। लाखों रूसी अब पश्चिमी देशों के लगाए आर्थिक प्रतिबंधों की मार झेल रहे हैं‚ इन प्रतिबंधों का उद्देश्य रूस को यूक्रेन पर हमला करने की सजा देना है। अमेरिका ने रूस के अरबपतियों पर नये प्रतिबंधों की घोषणा की है। अमेरिका ने रूस के कई अरबपतियों को अमेरिका के वित्तीय संस्थानों से अलग करने और उनकी संपत्तियों को जब्त करने के लिए कमर कस ली है। रूस के कई प्रभावी अरबपतियों और उनके परिवार के लोगों की अमेरिका यात्रा पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा रूस की कई कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अमेरिका ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी कारोबारियों पर और भी सख्त प्रतिबंध लगाए हैं। पश्चिमी देशों ने रूस के कई अरबपति कारोबारियों को आर्थिक चोट पहुंचाने के लिए सख्त प्रतिबंध लगाए हैं‚ इनमें उनकी संपत्तियां जब्त किया जाना और उन्हें यूक्रेन के लोगों की सहायता में उपयोग किए जाने पर व्यापक सहमति बन गई है। रूस की फुटबॉल टीम पर फीफा और यूएफा की तरफ से प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। यूरोप‚ यूक्रेन के लोगों का दिल जीतने का भरसक प्रयास कर रहा है। युद्ध की वजह से देश छोड़कर भाग रहे यूक्रेनी शरणाथयों को तीन साल तक का अस्थायी निवास परमिट देने के लिए यूरोपीय संघ में सर्वसम्मति से सहमति बन गई है। युद्ध से भाग रहे यूक्रेन के लोगों को तीन साल तक यूरोपीय संघ के देशों में रहने की अनुमति के अलावा रोजगार के अवसर और शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी।
यूक्रेनी नागरिकों पर रूस की बमबारी के बीच अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के प्रमुख अभियोजक ने रूस के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। रूस पर लगाए गए इन प्रतिबंधों को अब आर्थिक युद्ध कहा जा रहा है। यूरोप और अमेरिका का मानना है कि इन प्रतिबंधों से रूस अलग–थलग पड़ जाएगा और उसे भयानक आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ेगा। पुतिन ने हाल ही में कहा कि यूक्रेन में जो कुछ हो रहा है‚ वह उनकी योजनाओं के अनुसार ही है‚ लेकिन यूक्रेन के लोगों के प्रतिकार से सैकड़ों रूसी सैनिकों के मारे जाने से रूसी लोगों में भी गुस्सा बढ़ता जा रहा है। पुतिन के धुर विरोधी नवेलिनी के आह्वान पर आम जनता पुतिन का विरोध सड़कों पर कर रही है। कुछ रूसी बैंकों के खिलाफ पाबंदियों का अर्थ ये है कि इनके जो ग्राहक वीजा और मास्टरकार्ड का प्रयोग करते थे‚ अब नहीं कर पा रहे हैं। इसी वजह से एपल पे और गूगल पे जैसी सेवाएं भी इन बैंकों के ग्राहकों को उपलब्ध नहीं हैं। आर्थिक प्रतिबंध और महंगाई की मार झेलने के लिए रूस की जनता तैयार नहीं है और यह विरोध व्यापक रूप से बढ़ता जा रहा है।
राष्ट्रपति पुतिन को लेकर ब्रितानी रक्षा मंत्री बेन वालास का कहना है कि‚ वो एक ऐसे व्यक्ति हैं जो अपनी वजहों से ही प्रतिबंधों में घिरे हैं। उन्होंने हर अंतरराष्ट्रीय कानून को तोड़ दिया है। वो एक ऐसे व्यक्ति हैं‚ जो अलग–थलग पड़ते जा रहे हैं। वास्तव में‚ पुतिन के यूक्रेन पर हमले का विरोध उनके अपने देश में इस कदर बढ़ गया है कि रूस की दूसरी सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी लूकॉइल यूक्रेन में संघर्ष समाप्त करने की अपील कर रही है। कंपनी ने सैन्य संघर्ष तुरंत रोकने और कूटनीतिक प्रक्रिया से संकट के समाधान की बात कही है। २००० में जब पुतिन रूस की राष्ट्रपति बने थे‚ तब उनका देश आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हो चुका था और सामरिक तौर पर रूस की स्वीकार्यता भी घट चुकी थी। यह वह दौर था जब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रूस को क्षेत्रीय शक्ति कहकर उसका मजाक उड़ाया था‚ लेकिन पुतिन ने देश में आर्थिक और राजनीतिक सुधारों के साथ वैश्विक स्तर पर रूस के पुराने गौरव को लौटाने के लिए साहसिक प्रयास किए। पुतिन रूस के कुलीन वर्ग को व्यावसायिक मामलों में तो छूट दे दी‚ लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित कर दिया की सियासी मामलों में अब वे दखल नहीं दे सकेंगे।
जार्जिया‚ चेचन्या‚ क्रीमिया और नाटो के विरुद्ध पुतिन का राजनीतिक और सामरिक कौशल जनता के द्वारा पसंद किया गया और वे एक ऐसे नेता के रूप में पहचान बनाने में सफल रहे जो रूस की जनता की सुरक्षा और बेहतरी के लिए कोई भी कदम उठा सकते हैं। इस समय यूक्रेन पर हमला करने के बाद स्थितियां पूरी तरह से बदल गई है‚ पुतिन खुद के देश में और वैश्विक स्तर पर बुरी तरह घिर गए हैं। उनके मित्र अरबपतियों के सामने अपनी संपत्ति बचाने का संकट है और जनता भी वैश्विक प्रतिबंधों को झेलने को तैयार नहीं है। यूक्रेन पर रूस का पूर्ण कब्जा हो जाए‚ इसकी संभावनाएं भी बहुत कम है। यही नहीं यूक्रेन की आम जनता को नाटो से हथियार मिलने के बाद रूस की चुनौतियों बढ़ गई है। सत्ता में बने रहने के लिए पुतिन को जनता‚ अरबपतियों और केजीबी के साथ व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन चाहिए।