संयुक्त राष्ट्र में रूस-यूक्रेन जंग के मसले पर वोटिंग से भारत के अलग रहने की वजह से यूक्रेन भारतीय छात्रों पर बदले की कार्रवाई कर रहा है. रूस में राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी से डेप्यूतात (विधायक) भारतीय मूल के अभय सिंह ने दो टूक कहा कि यूक्रेन को जीतना रूस जैसे देश के लिए केवल एक दिन का काम है. सारी दुनिया भले ही इसे युद्ध कहे मगर यह यूक्रेन पर रूस की ओर से महज सर्जिकल स्ट्राइक है. जैसे भारत ने उरी आतंकी हमले के बाद बालाकोट में स्ट्राइक की थी. सिंह ने साफ कहा कि यूक्रेन में मारे गए भारतीय छात्र एक तरह से बदले की कार्रवाई है.
रूस के चर्चित स्टेट कुर्स्क की सरकार में डेप्यूतात पटना के रहने वाले अभय कुमार सिंह ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच कोई जंग नहीं है. ये एक तरह से रूस की सेना का ऑपरेशन है. इसके तहत यूक्रेन की जनता या जान-माल को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जा रहा है. रूस की सेना धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है. हालात तीसरे विश्व युद्ध तक नहीं जाएंगे. अगले एक सप्ताह में सब कुछ ठीक हो जाएगा. रूस में डेप्यूतात का वही मतलब है जो किसी भारतीय राज्य में विधायक का है. साल 1991 में मेडिकल की पढ़ाई करने रूस गए अभय दवा, रियल एस्टेट और निर्माण क्षेत्र समेत कई तरह के कारोबार से जुड़े हैं.
दोनों देशों के बीच आज पोलैंड में दूसरी वार्ता
डॉ. सिंह ने यूक्रेन पर रूसी हमले को जायज ठहराया है. उनका कहना है कि यह सैन्य कार्रवाई उचित है, क्योंकि यूक्रेन को पर्याप्त वक्त दिया जा चुका था.
यूक्रेन और रूस के बीच सात दिनों से सैन्य संघर्ष जारी है. इस बीच बुधवार को दोनों के बीच पोलैंड में दूसरे दौर की वार्ता होने वाली है. डॉ. अभय कुमार सिंह ने भारतीय मीडिया से बातचीत में कई अहम मसलों पर अपनी राय दी. उन्होंने पूछा कि अगर चीन बांग्लादेश में अपना सैन्य अड्डा स्थापित करता है तो भारत कैसी प्रतिक्रिया देगा? स्पष्ट है कि भारत इसे किसी हाल में पसंद नहीं करेगा. भारतीय छात्रों के साथ यूक्रेन का रवैया भी सही नहीं है.
नाटो में शामिल होने की कोशिश समझौते का उल्लंघन
उन्होंने बताया कि नाटो रूस के खिलाफ बनाया गया था और सोवियत संघ के टूटने के बावजूद यह विघटित नहीं हुआ. यह धीरे-धीरे रूस के करीब आ गया. अगर रूस का पड़ोसी मुल्क यूक्रेन नाटो में शामिल हो जाता है तो यह नाटो फोर्स को हमारे करीब लाएगा. यह समझौते का उल्लंघन होगा. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और रूसी संसद के पास कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. डॉ. सिंह ने यूक्रेन पर परमाणु हमले की अटकलों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि परमाणु हथियारों के अभ्यास का मकसद किसी दूसरे देश के रूस पर हमला करने पर जवाब देना था.