यूक्रेन में पढ़नेवाले 40 बिहारी छात्र-छात्राएं मंगलवार को तीन फ्लाइट से पटना पहुंचे. इसके साथ ही युद्ध में फंसे यूक्रेन से अब तक 96 बिहार के विद्यार्थी अपने घर पहुंच गये हैं. हालांकि, अब भी वहां बड़ी संख्या में बिहारी फंसे हुए हैं. राज्य सरकार उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए केंद्र सरकार के साथ मिलकर प्रयास कर रही है. मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने सभी डीएम से अपने-अपने जिले के वैसे छात्रों की सूची और ब्योरा तैयार करने को कहा है, जो यूकेन में फंसे हुए हैं. उन्होंने अधिकारियों से इस मामले में संवेदनशील होने को भी कहा है. आपदा प्रबंधन सचिव संजय अग्रवाल ने बताया कि अब तक यूक्रेन में रह रहे बिहार के 480 लोगों से संपर्क किया गया है.
यूक्रेन के बॉर्डर एरिया में बड़ी संख्या में फंसे हैं छात्र
उधर, यूक्रेन से लौटेवाले छात्रों ने कहा कि राजधानी कीव और उसके आसपास के क्षेत्रों के साथ साथ यूक्रेन के बॉर्डर एरिया में भी बड़ी संख्या में छात्र फंसे हैं, जिन्हें वहां से एयरपोर्ट तक ले जाने के लिए बसें नहीं मिल रही हैं. रोमानिया बॉर्डर पर ही इन छात्रों को डेढ़ से दो हजार ऐसे भारतीय छात्र दिखें जो वहां से एयरपोर्ट जाने के लिए बस के इंतजार में खड़े थे. दो तीन घंटे पर एक-दो बसें आती थीं और उनमें केवल 50-100 छात्र निकल पाते थे. कई तो चार-पांच दिनों से वहां हैं और प्रयास के बावजूद आगे निकल नहीं पा रहे हैं.
92 पटना और तीन बागडोगरा एयरपोर्ट होकर पहुंचे घर
अब तक यूक्रेन से लौटे 96 बिहारी छात्रों में 92 पटना एयरपोर्ट होकर घर पहुंचे. वहीं, किशनगंज के तीन छात्रों को सोमवार को दिल्ली पहुंचने के बाद सीधे बागडोगरा होकर उनके घर भेज दिया गया, जबकि रविवार को पहली फ्लाइट से आने वाला एक बिहारी छात्र व्यक्तिगत वजहों से दिल्ली में ही रुक गया.
यूक्रेन में भारतीय छात्र की मौत
यूक्रेन पर रूस के हमले के छठे दिन मंगलवार को हालात और बिगड़ गये. रूसी सेना ने यूक्रेन की राजधानी कीव व दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में हमला अचानक तेज कर दिया. सड़कों पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच भीषण जंग छिड़ी है. रूसी टैंक व बख्तरबंद वाहनों से दोनों शहर थर्रा उठा है. इस बीच, कीव में एक टीवी टावर पर रूसी सेना ने हमला किया कर दिया है, जिससे देश के अधिकांश हिस्सों में टीवी चैनलों का प्रसारण बंद हो गया. उधर, खारकीव में मंगलवार की सुबह गोलाबारी में एक भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर की मौत हो गयी. एमबीबीएस के चौथे वर्ष में पढ़ाई करनेवाले नवीन कर्नाटक के हावेरी जिले के चलगेरी के रहनेवाले थे.
खगडिय़ा जिले के मानसी प्रखंड के तीन मेडिकल छात्र यूक्रेन में फंसे हुए थे, जो किसी तरह से रोमानिया पहुंच गए हैं। दो- तीन दिनों से तीनों छात्र रोमानिया में ही रुके हुए हैं।
पूर्व मुखिया संजीव कुमार के पुत्र रवि कृष्ण ने बताया कि यूक्रेन बार्डर की स्थित अच्छी नहीं है। छात्रों को रात-रात भर भीषण ठंड में बाहर रहना पड़ रहा है। किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं है। सभी सुरक्षित स्थान की ओर जा रहे हैं। सैदपुर निवासी मेडिकल छात्र अब्दुल हाशिम के पिता मु. अब्दुल हादी ने बताया कि उनका पुत्र और रोहित कुमार(खुटिया) दोनों एक साथ रोमानिया पहुंच चुके हैं। इस दौरान दोनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। 20 घंटे यूक्रेन बार्डर पर बाहर में खड़ा रखा गया। किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं दी गई। भूखे रहकर दोनों किसी तरह रोमानिया पहुंचे। मु. अब्दुल हादी के अनुसार उन्हें उनके पुत्र अब्दुल हाशिम ने बताया कि यूक्रेन बार्डर पर भारतीय छात्रों के साथ बदसलूकी की जा रही है। बदसलूकी यूक्रेनी लोग कर रहे हैं।
रोहित कुमार के भाई संजय कुमार ने बताया कि मंगलवार की दोपहर दो बजे भाई से बात हुई। उन्होंने बताया कि सैकड़ों की संख्या में यूक्रेन बार्डर पर छात्र फंसे हुए हैं। किसी प्रकार की सुविधा यूक्रेनी सरकार द्वारा नहीं दी जा रही है। छात्रों के साथ सौतेला व्यवहार करते हैं। संजय ने कहा कि उनका भाई रोमानिया पहुंच गया है। रोमानिया के लोगों द्वारा भारतीयों की काफी मदद की जा रही है।
नीतीश यूक्रेन बार्डर पार कर स्लोबाकिया पहुंचे
संवाद सूत्र, चौथम (खगडिय़ा)। जिले के चौथम प्रखंड अंतर्गत चौथम पंचायत के नवादा गांव निवासी अखिलेश कुमार के पुत्र नीतीश कुमार भी यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करते हैं। जिला प्रशासन को जैसे ही यह जानकारी मिली तो डीएम आलोक रंजन घोष के निर्देश पर एडीएम शत्रुंजय मिश्रा, सीओ भरत भूषण सिंह आदि नवादा गांव पहुंचकर छात्र के स्वजन से मिले। इस दौरान अधिकारियों ने छात्र के बारे में पूरी जानकारी ली। साथ ही छात्र का मोबाइल नंबर भी लिया। इस मौके पर छात्र की मां मध्य विद्यालय कैथी की शिक्षिका सुशीला कुमारी ने बताया कि उनके पुत्र नीतीश कुमार मेडिकल के थर्ड ईयर के छात्र हैं। जो यूक्रेन के विनकिया यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी बेटे से हुई है। वह यूक्रेन का बार्डर पार कर स्लोबाकिया में है।इधर एडीएम ने बताया कि जल्द ही छात्र को सकुशल वापस भारत लाया जाएगा। इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इस मौके पर शिक्षक बाल कृष्ण कुमार, राजीव रंजन, स्वर्ण कुमार आदि भी मौजूद थे।
शुभम मंगलवार सुबह पोलैंड पहुंच गया। जैसे ही इंडियन एंबेसी पहुंचा उसने वॉट्सऐप पर मैसेज छोड़ा। शुभम ने यूक्रेन और पोलैंड बॉर्डर की आपबीती सुनाई। बताया कि मुझे नहीं लग रहा था मैं पोलैंड पहुंच पाऊंगा। घर पहुंचने की उम्मीद भी टूटने लगी थी। वहां पर 3 दिनों से बिना सोए लाइन में लगा हुआ था। ताकि जल्दी पोलैंड पहुंच जाऊं। पर मुझे पोलैंड पहुंचने में 78 घंटे से ज्यादा का समय लग गया। इस दौरान कुछ भी खाने को नसीब नहीं था।
माइनस 5 डिग्री तापमान में स्नोफॉल के बीच बिना सोए लाइन में लगा था
शुभम ने बताया कि यूक्रेन और पोलैंड बॉर्डर पर हड्डी गलाने वाली ठंड थी। इस दौरान इतनी लंबी लाइन थी कि बता नहीं सकता हूं। मुझे पोलैंड पहुंचने में 78 घंटे से ज्यादा का समय लग गया। शुभम ने बताया कि यूक्रेन की पुलिस ऐसे ट्रीट कर रही थी जैसे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। पूरी रात सड़क पर लंबी लाइन में ऐसे ही खड़ा रहा। तीन दिनों से लगातार लाइन में लगवाए हुए थे।
यूक्रेन के चार चेक प्वाइंट्स को पार करने में लगे 3 दिन
शुभम ने बताया कि यूक्रेन और पोलैंड बॉर्डर पर चार चेक पाॅइंट को पार किया। यह यात्रा काफी ही दुखद थी। मंगलवार सुबह ही मैंने पोलैंड में इंटर किया है।
मंगलवार को परिवार वालों से हुई बात
शुभम ने बताया कि लंबी लाइन में लगने के कारण मोबाइल डिस्चार्ज हो गया था। किसी से कोई बात नहीं हो पा रही थी। घर के लोग भी काफी घबराए हुए थे। शुभम ने बताया कि मंगलवार को परिवार वालों से बात हुई है। सभी लोग काफी डरे हुए थे।
इंडियन एंबेसी में पहुंचकर खाया खाना
शुभम ने पोलैंड स्थित इंडियन एंबेसी पहुंच एक 8 सेकेंड का वीडियो भेजा। इसमें वह खाना और पीने को दिखा रहा था। शुभम ने कहा कि 72 घंटे बाद खाना और पानी नसीब हुआ है। यहां पर अच्छी व्यवस्था है।
शुभम सम्राट भागलपुर के सुल्तानगंज के कटहरा का रहने वाली है, उनके पिता का नाम मनोज कुमार सिंह और मां का नाम सरिता कुमारी है। वो टेरनोपिल नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी यूक्रेन में रहकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। मार्च 2021 से वह यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। शुभम की मां मुंगेर के खडकपुर में शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं। ये शुभम का आखिरी वीडियो है जब वह यूक्रेन से पोलैंड की और जा रहा था।