बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन सोमवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही गरिमा के मुद्े पर विपक्ष ने हंगामा किया। हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी। बाद में कार्यमंत्रणा समिति की बैठक के बाद सदन की कार्यवाही प्रारंभ हुई। सदन की कार्यवाही स्थगित होने के कारण प्रश्नकाल बाधित रहा।
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष बिहार विधानसभा अध्यक्ष के साथ लखीसराय में पुलिस उपाधीक्षक समेत तीन पुलिसकर्मियों के दुर्व्यवहार पर मुख्य विपक्षी राजद के मुख्य सचेतक ललित यादव ने इस मुद्े पर चर्चा कराये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सभाध्यक्ष सदन के संरक्षक होते हैं और जब उनकी गरिमा को बनाए नहीं रखा जा सकता तो सदन के अन्य सदस्यों की गरिमा भी खतरे में है। उन्होंनेे इस मुद्े पर सरकार से जवाब देने की मांग की। इस पर भाजपा के संजय सरावगी ने भी अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विशेषाधिकार नोटिस पर अपना पक्ष रखने के लिए बुलाई गई बैठक में शामिल होने के बाद मीडिया में मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक का आचरण बेहद आपत्तिजनक रहा। उन्होंने कहा कि किसी भी सदस्य की भावना आहत होने के बाद उन्हें विशेषाधिकर नोटिस भेजने का अधिकार है। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सदस्यों से मुद्ों के तार्किक समाधान के लिए सदन में शांति–व्यवस्था बनाए रखने का अनुरोध किया और कहा कि सभी की गरिमा की रक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने सदस्यों से इस मुद्े पर सरकार के जवाब को शांति से सुनने का भी अनुरोध किया। राजद सदस्य ललित यादव ने इस मुद्े पर संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी के जवाब के दौरान हस्तक्षेप करते हुए सरकार के जवाब से पहले सदन की कार्यमंत्रणा समिति की तत्काल बैठक बुलाने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह मामला सदन और संपूर्ण राष्ट्र की प्रतिष्ठा से जुड़ा है। इस बीच श्री चौधरी ने कहा कि मामला विधानसभा अध्यक्ष और उनके जिले लखीसराय का है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इस मामले को अध्यक्ष स्वयं देख रहे हैं और वह स्वयं इसकी निगरानी भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सदस्यों को सभाध्यक्ष पर भरोसा करना चाहिए लेकिन हम इसे प्रदर्शित नहीं कर रहे हैं। इस पर पूरे विपक्ष ने कहा कि अधिकारी सभाध्यक्ष और आसन का अपमान कर रहे हैं। संसदीय कार्य मंत्री ने दोहराया कि सदस्य अध्यक्ष की प्रतिष्ठा के बारे में मुद्े उठा रहे हैं‚ लेकिन आसन में अपना विश्वास नहीं दिखा रहे। मंत्री के वक्तव्य से नाराज सभाध्यक्ष ने सदस्यों से कहा कि सदस्य आसन के प्रति भरोसा रखते हैं और जो संसदीय कार्यवाही में इतिहास रचना चाहते हैं वे अपनी सीट पर खड़े हो जाएं। इस पर सदन के सभी सदस्य सभाध्यक्ष और आसन के प्रति अपना विश्वास दिखाने के लिए अपने अपने स्थानों पर खड़े हो गए। राजद के अवध बिहारी चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सदन की कार्यमंत्रणा समिति में इस पर चर्चा करने की मांग की। संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने इस मुद्े पर सहयोग करने का आश्वासन दिया और सदस्यों को सभाध्यक्ष से संबंधित मामलों में विश्वास रखने का सुझाव दिया। वहीं‚ पूरे विपक्ष ने इस मुद्े पर तीखी नाराजगी जताते हुए कहा कि जब सभाध्यक्ष की मर्यादा दांव पर है तो अन्य सदस्यों की स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। सरकार के वक्तव्य से नाराज होकर अध्यक्ष ने ११ः३० बजे कार्यमंत्रणा समिति में इस मामले पर चर्चा करने के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।इससे पहले जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई‚ भाकपा–माले के सदस्य मुस्लिमों के मताधिकार को स्थगित किए जाने संबंधी एक विधायक के बयान सहित विभिन्न मुद्ों का विरोध करते हुए सदन के बीच में आकर नारेबाजी करने लगे। इसके बाद राजद के सदस्यों ने भी प्रश्नकाल की कार्यवाही के दौरान सभाध्यक्ष की गरिमा के मुद्े पर जमकर हंगामा किया।
इस बीच सभाध्यक्ष ने नारेबाजी करने वाले सदस्यों से अनुरोध किया कि वे अपनी सीट फिर बैठ जाएं
सदन को व्यवस्थित करने में सहयोग करें। बाद में अध्यक्ष ने सदस्यों को उनके द्वारा उठाए जा रहे विभिन्न मुद्ों पर अपने विचार साझा करने की अनुमति दी। राजद के ललित यादव ने सदन के एक सदस्य द्वारा अल्पसंख्यकों के खिलाफ दिए गए विवादास्पद बयान और सभाध्यक्ष की गरिमा को आहत किए जाने का मुद्ा उठाया। इस पर सभाध्यक्ष ने कहा कि मान–प्रतिष्ठा को लेकर जो भी भ्रम है उसका समाधान चर्चा से ही होगा। कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने कहा कि भाजपा के एक सदस्य का मुसलमानों के वोटिंग अधिकार को जब्त करने का बयान बेहद आपत्तिजनक है। उन्होंने कहा कि हिंदू‚ मुस्लिम‚ सिख और ईसाई सहित हर धर्म के लोग समान हैं लेकिन वर्तमान शासन में मुसलमानों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। इस पर संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने सदन को आश्वस्त किया कि मौजूदा सरकार में मतदान के अधिकार और नागरिकता को लेकर कोई खतरा नहीं है।