रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव पर वीटो कर दिया है जिसमें मॉस्को से यूक्रेन पर हमला रोकने और सभी सैनिकों को वापस बुलाने की मांग की गई है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शुक्रवार को इस प्रस्ताव के पक्ष में 11 और विपक्ष में एक मत पड़ा। चीन, भारत और संयुक्त अरब अमीरात मतदान से दूर रहे। अमेरिका और सहयोगी देश जानते थे कि यह प्रस्ताव पारित नहीं होगा लेकिन उन्होंने दलील दी कि इससे रूस अंतरराष्ट्रीय रूप से अलग-थलग पड़ेगा। इस प्रस्ताव के विफल होने से समर्थकों के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में ऐसे ही प्रस्ताव पर शीघ्र मतदान कराने की मांग का मार्ग प्रशस्त हो गया है। उल्लेखनीय है कि 193 सदस्यीय महासभा में वीटो का प्रावधान नहीं है। अभी यह तय नहीं है कि कब मतदान होगा।
गौरतलब है कि भारत के साथ ही चीन और यूएई ने भी वोटिंग से दूरी बनाए रखी। भारत ने रूस के ‘आक्रामक बर्ताव’ की निंदा करने वाले और यूक्रेन से ‘तत्काल एवं बिना शर्त के’ बलों को वापस बुलाने की मांग करने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
UNSC: चीन और यूएई ने भी बनाई दूरी
संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि, झांग जून ने चीन की ओर से अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि सभी राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों को बरकरार रखा जाना चाहिए। वहीं दूसरी ओर जापान, ऑस्ट्रेलिया, ताइवान और अन्य देशों ने रूस पर नए और कड़े प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। यूरोपीय यूनियन ने पुतिन और लावरोव की संपत्तियां फ्रीज करने के निर्णय पर भी सहमति जताई है। रूसी नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने रूस आने जाने वाली ब्रिटेन की उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया।
ब्रिटेन की पाबंदी के बाद रूस ने भी ब्रिटेन की उड़ानों पर लगाया प्रतिबंध
इस बीच, रूसी नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने रूस आने जाने वाली ब्रिटेन की उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया। इससे पहले ब्रिटेन ने रूसी उड़ान कंपनी एयरोफ्लोत की उड़ानों पर पाबंदी लगा दी थी। इससे पहले, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा, ‘जापान अपनी स्थिति स्पष्ट कर देना चाहता है कि हम स्थिति में बलपूर्वक बदलाव की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेंगे।’ इसके अलावा किशिदा ने रूसी सेना से जुड़े संगठनों को सेमीकंडक्टर और अन्य वस्तुएं भेजने पर रोक लगाने की भी घोषणा की। न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने रूसी अधिकारियों पर यात्रा प्रतिबंध लगाने समेत विभिन्न पाबंदियां लागू करने की घोषणा की।
नाटो ने सदस्य देशों को सतर्क रहने को कहा
उधर, संयुक्त राष्ट्र में अधिकारियों ने यूक्रेन में मानवीय अभियानों को गति देने के लिये 2 करोड़ डॉलर देने की घोषणा की है। हालांकि उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) ने एक बार फिर पूर्वी यूरोप के अपने सदस्य देशों को हमले की आशंका के बीच सतर्क रहने की हिदायत दी है। जापान की तरह ही दक्षिण कोरिया अधिक सतर्कता बरत रहा है। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने कहा कि उनका देश अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों का समर्थन करेगा, लेकिन एकतरफा प्रतिबंधों पर विचार नहीं करेगा।
सुरक्षा परिषद में भारत ने रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर वोट क्यों नहीं किया?
यूक्रेन पर रूसी हमले का आज तीसरा दिन है। रूस की सेना ने यूक्रेन के कई जगहों और सैन्य ठिकानों पर हमला किया है। कई सैन्य ठिकानों को तबाह कर दिया है। उधर, दोनों देशों के बीच युद्ध विराम के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर हमले के निंदा प्रस्ताव पर रूस ने वीटो पावर का इस्तेमाल किया है। बता दें कि रूस सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है। खास बात यह है कि भारत, चीन और यूएई ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। सवाल यह है कि रूस और यूक्रेन पर भारत ने मतदान में हिस्सा क्यों नहीं लिया? इसके पीछे बड़ी वजह क्या है? आइए जानते हैं कि इस पर विशेषज्ञों की क्या राय है?
1- प्रो हर्ष वी पंत ने कहा कि रूस और यूक्रेन संघर्ष में भारतीय विदेश नीति का दृष्टिकोण साफ है।भारत का मत है कि सभी विवादित मुद्दों को बातचीत के जरिए ही सुलझाया जाना चाहिए। सुरक्षा परिषद में भारत का यही दृष्टिकोण दिखा। भारत ने सुरक्षा परिषद में बहुत सधी हुई टिप्पणी की है। भारत का मत है कि सभी सदस्य देशों को सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ने के लिए संयुक्त राष्ट्र के नियमों एवं सिद्धांतों का सम्मान करना चाहिए। भारत का मत है कि आपसी मतभेदों और विवादों को निपटाने के लिए संवाद ही एकमात्र जरिया है। भारत ने दुनिया के सबसे बड़े सुरक्षा परिषद के मंच पर बड़ी सहजता से यह बात रखी की किसी भी विवादित मसले का हल युद्ध नहीं हो सकता है। संवाद के जरिए ही विवादों को निपटाया जाना चाहिए।
2- प्रो पंत ने कहा कि आजादी के बाद भारत की विदेश नीति सदैव से गुटनिरपेक्ष सिद्धांतों पर टिकी रही है। यह शीत युद्ध का दौर था। उन्होंने कहा कि दुनिया में शीत युद्ध की समाप्ति के बाद भी भारत इस नीति पर कायम है। यानी वह किसी सैन्य गुट का हिस्सा नहीं है। भारत के अमेरिका से बेहतर संबंध है, तो रूस से उसकी पुरानी दोस्ती है। भारत के इजरायल से मधुर संबंध है तो कई खाड़ी देशों से भी उसकी निकटता है। इसकी बड़ी वजह यह रही कि भारत किसी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप पर यकीन नहीं करता है न ही अपने आंतरिक मामलों में दुनिया के किसी देश का हस्तक्षेप स्वीकार करता है। भारतीय विदेश नीति की आस्था दुनिया में किसी भी समस्या का समाधान संवाद के जरिए ही हो सकता है। यही कारण है कि सुरक्षा परिषद में उसने मतदान देने के बजाए अपना स्पष्ट मत रखा।
3- उन्होंने कहा कि भारत की कथनी और करनी में फर्क नहीं है। प्रो पंत ने कहा कि भारत चीन के साथ सीमा विवाद की समस्या का संवाद के जरिए समाधान खोज रहा है। इसके लिए भारत चीन की 14 चरण की वार्ता हो चुकी है। भारत पड़ोसी देश पाकिस्तान की ओर से प्रायोजित आतंकवाद का कई वर्षों से संवाद के जरिए ही समाधान करने की बात करता रहा है। हालांकि, पाकिस्तान की कथनी और करनी में फर्क होने के कारण अब तक इसका कोई समाधान नहीं निकल सका है। प्रो पंत ने कहा कि वह किसी भी देश के विवाद को युद्ध या जंग के जरिए नहीं वार्ता के जरिए समाधान में यकीन करता है।
भारत ने कहा कूटनीति के जरिए हो समस्या का समाधान
संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि हमें इस बात का अफसोस है कि कूटनीति का रास्ता छोड़ दिया गया है। हमें उस पर लौटना होगा। इन सभी वजहों से भारत ने इस प्रस्ताव पर परहेज करने का विकल्प चुना है। भारत ने कहा कि यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से भारत बहुत ज्यादा परेशान हैं। हिंसा और दुश्मनी को जल्द खत्म करने की सभी कोशिशें की जाएं। इंसानी जान की कीमत पर कोई भी हल नहीं निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी फिक्र, भारतीयों की सुरक्षा है। तिरुमूर्ति ने कहा कि हम यूक्रेन में रह रहे भारतीयों की सुरक्षा को लेकर काफी ज्यादा चिंतित हैं, जिनमें सैकड़ों भारतीय छात्र भी हैं।
सुरक्षा परिषद में चीन का क्या रहा रोल
सुरक्षा परिषद में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, ब्राजील, मैक्सिको, केन्या, घाना, अल्बानिया, नार्वे और आयरलैंड ने पक्ष में मत दिए है। रूस ने विपक्ष में मतदान किया है। भारत, चीन और यूएई ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। अमेरिका ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है। सुरक्षा परिषद में ब्रिटिश प्रतिनिधि ने रूसी सेनाओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि रूसी टैंक आम नागरिकों को कुचल रहे हैं। चीन ने भी मतदान में हिस्सा नहीं लिया। चीन के स्थायी प्रतिनिधि झांग जून ने कहा कि हम मानते हैं कि सभी राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए। एक देश की सुरक्षा दूसरे देशों की सुरक्षा को कम करके आंकने की कीमत पर नहीं की जा सकती है।