यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वहां से निकालने के लिए भारत सरकार सक्रियता दिखा रही है. लिहाजा शनिवार को तड़के यूक्रेन के बुखारेस्ट से मुंबई के लिए फ्लाइट ने उड़ान भरी है. इस फ्लाइट के शाम 4 बजे तक मुंबई पहुंचने की उम्मीद है। इस दौरान भारतीयों का स्वागत वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल करेंगे. गौरतलब है कि यूक्रेन में फंसे लोग लगातार भारत सरकार से इस बात की गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें यहां से फौरन बाहर निकाला जाए. एयर इंडिया की ओर से शनिवार को 4 फ्लाइटें भेजे जाने का ऐलान किया गया था.
यूक्रेन पर रूस के हमले के तीसरे दिन वहां फंसे भारतीय छात्रों को घर वापसी की उम्मीद जागी है। मुंबई से एअर इंडिया का विमान AI-1943 भारतीयों को निकालने रोमानिया के बुखारेस्ट पहुंच गया है। पोलैंड में भारतीय राजदूत नगमा मल्लिक ने कहा कि दूतावास ने तीन टीमों का गठन किया है। ये टीमें भारतीयों को पश्चिमी यूक्रेन से बाहर निकलने में सहायता करेंगी। सभी फंसे हुए भारतीयों को पोलैंड ले जाया जाएगा, वहां से भारत भेजने की व्यवस्था की जाएगी। यूक्रेन की इंडियन एम्बेसी ने एडवाइजरी जारी करके वहां फंसे भारतीयों से कहा है- सीमा पर तैनात भारतीय अधिकारियों से समन्वय के बिना सीमा की तरफ न निकलें। पश्चिमी शहरों में खाने पीने की चीजों के साथ जहां है वहां बने रहना बेहतर है। बिना कोआर्डिनेशन के बॉर्डर पर पहुंचने से परेशानी उठानी पड़ सकती है। पूर्वी इलाके में अगले निर्देश तक घरों के अंदर या जहां पनाह लिए हैं वहीं रहें।
मा. प्रधानमंत्री मोदी जी से आग्रह है कि यूक्रेन से एक दिन में सिर्फ 240 बच्चों को ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का ऑप्शन दिया गया है,जो 10 मिनट में ही फुल हो जा रहा है, जिस कारण कई भारतीय बच्चे रजिस्ट्रेशन नही कर पा रहे हैं, बच्चे वहां से निकल नही पा रहे हैं । @narendramodi @PMOIndia pic.twitter.com/Hcd5RGFEvp
— अर्चना रॉय भट्ट (@archanaRBhatt) February 26, 2022
इस बीच बंकरों और रेस्क्यू सेंटर्स में समय गुजार रहे भारतीय छात्र कहीं चटाई बिछाकर सोने को मजबूर हैं, तो कहीं उन्हें पेटभर खाना भी नहीं मिल रहा। उनकी वापसी के लिए भारत सरकार द्वारा फ्लाइट्स भेजी जा रही हैं। एयरपोर्ट तक पहुंचने के लिए छात्रों को बसों से ले जाया जा रहा है। ये छात्र हाथों में झंडा थामें बसों में सवार हो रहे हैं।
मा. प्रधानमंत्री मोदी जी से आग्रह है कि यूक्रेन से एक दिन में सिर्फ 240 बच्चों को ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का ऑप्शन दिया गया है,जो 10 मिनट में ही फुल हो जा रहा है, जिस कारण कई भारतीय बच्चे रजिस्ट्रेशन नही कर पा रहे हैं, बच्चे वहां से निकल नही पा रहे हैं । @narendramodi @PMOIndia @ pic.twitter.com/R6yNHzzXkL
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रूस-यूक्रेन में सबसे ज्यादा प्रभावित लुहांस्क से एक दिन पहले ही मैं कीव पहुंची थी। कीव के रास्ते में थी, तभी युद्ध के बारे में जानकारी मिली। कीव के रेलवे स्टेशन पहुंची तो यहां हालात और खराब मिले। हर जगह अफरा-तफरी का माहौल था। 5 घंटे इंतजार करने के बाद बड़ी मुश्किल से टैक्सी मिली। हम इंडियन एम्बेसी जाना चाहते थे, लेकिन हालात इतने खराब हो गए थे कि एम्बेसी पहुंच ही नहीं पाए।
हमारे पास रुकने के लिए कोई जगह नहीं थी। टैक्सी ड्राइवर ने ही हमें अपने एक परिचित के घर किराए से एक कमरा दिलवाया। इस दौरान हमने लगातार इंडियन एम्बेसी फोन किया, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। जिस जगह हम एक दिन रुके थे, उसके आसपास कई बार धमाकों की आवाजें आ रही थी। हमारी बिल्डिंग के बिल्कुल बगल में यूक्रेनी सेना का कोई दफ्तर था। शाम होते-होते सेना के दफ्तर के आगे यूक्रेन की सेना का जमावड़ा होने लगा। रात भर वहां जवानों का आना-जाना लगा रहा।
सुबह होते ही हमने फिर एम्बेसी को फोन ट्राई किया। हमें खबरें मिल रही थी कि रूसी सेना कीव की तरफ बढ़ रही है, इससे हमारी धड़कनें और बढ़ती जा रही थी। हमारे रूम से एम्बेसी करीब 11 किमी दूर थी। बड़ी मुश्किल से एक टैक्सी मिली। हम एम्बेसी पहुंचे ही थे कि पता चला कि रूस ने अटैक करके यूक्रेनी सेना के उस दफ्तर को तहस-नहस कर दिया। ये सुनकर तो हम कांप गए और भगवान का शुक्रिया भी अदा किया कि ठीक समय पर वहां से निकल गए।
यह स्कूल 3 फ्लोर का है। शुरू में दो ही फ्लोर ओपन किए गए, स्टूडेंट्स की भीड़ बढ़ी तो तीसरा फ्लोर भी खोल दिया गया। इस स्कूल में भारत के करीब 1 हजार स्टूडेंट्स ने शेल्टर लिया हुआ है। एम्बेसी ने ही स्टूडेंट्स के खाने-पीने की व्यवस्था की, लेकिन भीड़ बढ़ती गई तो खाना भी कम पड़ गया। अभी हालत यह है कि कई लोग बालकनी में चटाई बिछाकर बैठे हुए हैं। हॉल में भी इतनी भीड़ है कि पैर रखने की जगह नहीं है।
बिहार के छात्रों की रिपोर्ट

शनिवार सुबह गोपालगंज के रिजवान समेत 18 भारतीय छात्र इवानो से हंगरी बॉर्डर पहुंच गए हैं। लेकिन, हंगरी बॉर्डर पर गाड़ियों की लंबी कतार के कारण उन्हें एंट्री नहीं मिल रही है। छात्रों ने वीडियो जारी कर भारतीय दूतावास से अपील की है। मेडिकल स्टूडेंट रिजवान ने बताया कि 700 किलोमीटर का सड़क मार्ग का सफर तय कर इवानो से पहुंचे हैं।
भारतीय समय के अनुसार सुबह 7:00 बजे वे लोग बॉर्डर पर पहुंच चुके थे। लेकिन, गाड़ियों की लंबी कतार के कारण उन्हें 1.5 घंटे से इंतजार करना पड़ रहा है। हंगरी बॉर्डर पर कड़ी निगरानी के बीच एंट्री दी जा रही है। लेकिन, निराश रिजवान ने बताया कि भारतीय दूतावास का कोई भी अधिकारी वहां मौजूद नहीं है। लिहाजा भारतीय मूल के छात्रों को एंट्री नहीं मिल पा रही है। वहां अभी लगभग -2 डिग्री सेल्सियस तापमान है।
यूक्रेन के टरनोपिल में फंसे भागलपुर के शुभम सम्राट ने फिर अपनी आप बीती सुनाई। शुभम ने बताया कि 48 घंटे से बत्ती बुझा कर हॉस्टल के बेसमेंट में रात गुजारी है। डर है कि कब रूस का विमान हमला कर दे। हम लोगों का जोन भी रेड हो गया है। हॉस्टल प्रबंधन ने कहा कि आप बत्ती बुझा कर रहें, ताकि रूसी विमान यह पता नहीं चले कि यहां पर लोग छिपे हुए हैं। शुभम सम्राट जब अपनी आप बीती सुना रहे थे तो उनके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था। शुभम ये सारी बात वाट्सऐप वीडियो कॉल से हुई है। शुभम ने बताया कि 48 घंटे कैसे बीता है शब्दों में नहीं बता सकता। शुभम ने बताया कि बेसमेंट से किसी तरह कुछ छात्र पास के दुकान से चिप्स, बिस्किट और पानी का बॉटल लाएं हैं। यह क्षेत्र रेड जोन में शामिल हो गया है इससे काफी परेशानी और डर है। यहां पर खाने के सामान दो से तीन गुना दाम पर मिल रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के छात्र की रिपोर्ट
रूसी फौज का सड़क पर कब्जा; बंकर में धमाकों का वाइब्रेशन

यूक्रेन का हाल बयां करते छात्रों का एक और वीडियो सामने आया है। रायपुर के स्टूडेंट अक्षत राज और बिलासपुर के रहने वाले रोहन बासन ने दैनिक भास्कर से यूक्रेन में युद्ध के बीच फंसे स्टूडेंट्स की जानकारी साझा की है। हर तरफ चीख पुकार के बीच खारकीव शहर में एक यूनिवर्सिटी की बेसमेंट में बनी मेस और बंकर के भीतर 1 हजार से अधिक छात्र छिपे हुए हैं। इसी इलाके की अलग-अलग इमारतों में छत्तीसगढ़ के भी 100 से अधिक छात्र हैं।
भिलाई के यश दीवान यूक्रेन से भारत लौटे तो उन्होंने वहां का हाल बयान किया। बताया कि वह तो सुरक्षित वापस आ गए, लेकिन उनके कई दोस्त वहां अभी भी फंसे हैं। वह कीव में रहते थे और सबसे खराब हालात वहीं के हैं। उनके दोस्त वहां डर के साय में रह रहे हैं। वह सुरक्षित भारत लौटेंगे भी या नहीं यह भी दावा नहीं कर सकते हैं। यश तीन दिन पहले यूक्रेन से दिल्ली पहुंचे और फिर शुक्रवार शाम भिलाई पहुंचे।
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में रूसी सेनाएं यूक्रेन की राजधानी कीव के पास पहुंच गई हैं और लगातार बमबारी कर रही हैं। इस बीच यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों ने बंकरों में शरण ली है तो कुछ बिल्डिंग के बेसमेंट में फंसे हुए हैं। उन्हें खाने-पीने की दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है।
स्टूडेंट ने रवानगी के साथ ही हाथों में तिरंगा थाम रखा था। वहीं जिस बस में सवार होकर वे गए उस पर भी तिरंगा और इंडियन स्टूडेंट ऑन बोर्ड का पर्चा लगा हुआ था। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि AI-1941 शनिवार दोपहर 2 बजे मुंबई से उड़ान भरेगी, जबकि AI-1943 शाम 4 बजे दिल्ली से जाएगी।
फंसे हुए स्टूडेंट और उनके परिजन भारत सरकार और विदेश मंत्रालय पर दवाब बना रहे हैं कि उनके बच्चों को किसी न किसी तरीके से सुरक्षित निकाल लिया जाए। इसी दवाब के चलते भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन से छात्रों को निकालने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। ये सभी पहले रोमानिया और फिर वहां से भारत आएंगे। इन छात्रों का पहला बैच रोमानिया से भारत के लिए रवाना कर दिया है। रोमानिया से रवाना होने से पहले इन स्टूडेंट ने अपने वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए। जिसमें वे भारत सरकार और विदेश मंत्रालय का खतरे से निकालने के लिए आभार जता रहे हैं।
यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गए कोडरमा के छात्र मोहम्मद शाहरुख यूक्रेन की राजधानी कीव में फंसे हैं। शाहरुख ने बताया है कि युद्ध के बाद हालात बहुत बदल गए हैं। सड़कों पर गाड़ियां बहुत कम चल रही हैं। आवासीय इलाकों में लोगों की सुरक्षा के लिए थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बंकर बनाए हैं। लोगों से कहा गया है कि यदि बम गिरते हैं तो वह इन बंकरों में शरण ले सकते हैं। फिलहाल मैं अपने दोस्त के घर पर हूं और सुरक्षित हूं।
शाहरुख के बड़े भाई समीर अहमद अपने भाई की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि भाई का संदेश मिल रहा है, लेकिन हालात कब और अधिक खराब हो जाएंगे। कोई कुछ नहीं कह सकता। लिहाजा छोटे भाई को जल्द से जल्द भारत लाने के लिए वह सरकार और प्रशासन से मदद मांग रहे हैं। कोडरमा के शाहरूख के अलावा दुमका के भी दो बच्चे फंसे हुए हैं। दोनो यूक्रेन की राजधानी कीव से करीब 269 KM दूर हैं। इनका नाम अल्कमा आदिल और आदित्य कुमार है।
मध्यप्रदेश के छात्रों की रिपोर्ट
सायरन बजते ही बंकरों में ले जाया जाता है, खाने की काफी दिक्कत

रतलाम की खुशबू यूक्रेन में फंसी है। वह बंकर और शेल्टर होम में छिपकर अपनी जिंदगी बचा रही है। उन्होंने बताया यहां भय का माहौल है। सायरन बजते ही हमें बंकरों में ले जाया जाता है। इसमें यूक्रेन की सरकार मदद कर रही है। खाने की काफी दिक्कत हो रही है। यहां मार्शल लॉ लागू है, इसलिए रात में कोई निकल नहीं पाता है।