निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटन न हिय के सूल।। अर्थात मातृभाषा की उन्नति बिना किसी भी समाज की तरक्की संभव नहीं है तथा अपनी भाषा के ज्ञान के बिना मन की पीड़ा को दूर करना भी मुश्किल है। दरअसल, भारत दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं का उपहार लिए हुए एक विविधता से भरा देश है। आज पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का आयोजन किया जा रहा है। इसे प्रतिवर्ष 21 फरवरी को भाषाई और सांस्कृतिक विविधता तथा बहुभाषावाद के विषय में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।
अपनी मातृभाषा को नमन करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री सहित कई बड़े नेताओं आदि ने अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में स्वदेशी सोशल मीडिया मंच, कू ऐप पर अपनी मातृभाषाओं में शुभकामनाएँ दी हैं।
गुजरात के मुख्यमंत्री, भूपेंद्र पटेल ने देश के पहले बहुबाषी माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म कू ऐप के माध्यम से शुभकामनाएँ देते हुए कहा:
सदा सौम्य शि वैभव उभारती,मेरी मातृभाषा गुजराती है। ”
मातृभाषा और मातृभूमि में- ये जीवन शक्ति के तीन मुख्य स्रोत हैं। मातृभाषा में बोलना, पढ़ना, लिखना और सोचना व्यक्ति के लिए शक्ति का स्रोत है और कर्तव्य भी है।
विश्व मातृभाषा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, गजेंद्र सिंह शेखावत कू करते हुए कहते हैं:
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटन न हिय के सूल।
भारतीय मातृभाषा ‘हिंदी’ हमारे देश के लिए केवल संवाद का माध्यम नहीं बल्कि हमारी संस्कृति को सहेजी हुई पारम्परिक विरासत की अभिव्यक्ति है।
सभी देशवासियों को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
केंद्रीय संसदीय कार्य और संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सोशल मीडिया मंच कू ऐप पर पोस्ट करते हुए कहते हैं:
हमारा जीवन, हमारी संस्कृति एवं संस्कारों का आधार हमारी मातृभाषा है। मातृभाषा हमें गढ़ती एवं रचती है और हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करती है। आइये, हम अपनी मातृभाषा पर गर्व कर इसका अधिक से अधिक उपयोग करने का संकल्प लें। समस्त देशवासियों को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
अपनी कू पोस्ट के माध्यम से आध्यात्मिक गुरु स्वामी अवधेशानंद गिरी कहते हैं, “मातृभाषा- यह अस्तित्व में सहज ही साकार हो जाती है! विशेष मातृभाषा हमारे अंतर्ज्ञान-स्व की मूल अभिव्यक्ति है। व्यावहारिक और व्यावसायिक दृष्टिकोण से सभी भाषाओं का सम्मान किया जाता है, लेकिन मानव व्यक्तित्व के पू र्ण विकास का मूल आधार मातृभाषा है। #अंतर्राष्ट्रीय_मातृभाषा_दिवस #languageday #internationalmotherlanguageday #KooForIndia #KooKiyakya #कू”
निदेशक- कॉर्पोरेट अफेयर्स; अध्यक्ष- गुजरात राज्य फुटबॉल संघ; सदस्य- नाथ द्वारा मंदिर बोर्ड, परिमल नथवाणी कू करते हुए कहते हैं:
आप सभी को विश्व मातृभाषा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। महान साहित्यिक कृतियों से भरपूर हमारी गौरवशाली गुजराती भाषा को सलाम। हम सभी आज की और आने वाली पीढ़ियों को अपनी मातृभाषा की समृद्ध विरासत से अवगत कराने और इसे विकसित करने का प्रयास करते हैं।
संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त ट्रस्ट, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने कू करते हुए कहा है:#WatchLive: #InternationalMotherLanguage 209 समारोह का उद्घाटन समारोह।
मनोरंजन उद्योग पर निगाह बनाए रखने वाले रमेश बाला ने कू ऐप पर लिखा, “आज अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस है, जो 21 फरवरी को दुनिया भर में भाषाई विविधता और बहुसंस्कृतिवाद के महत्व को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। अपनी मातृभाषा पर गर्व करें और इसे मनाएं..”
भारत में सबसे अधिक मातृभाषाएँ
भारत विविध संस्कृति और भाषा का देश रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 19,500 से अधिक भाषाएँ मातृभाषा के तौर पर बोली जाती हैं। इसमें बताया गया है कि ऐसी 121 भाषाएँ हैं, जो भारत में 10 हजार या उससे अधिक लोग बोलते हैं। अन्य मातृभाषी लोगों के बीच भी हिंदी दूसरी भाषा के रूप में लोकप्रिय है।
घर के अलग-अलग सदस्यों की अलग-अलग भाषा हो सकती है। 2011 की जनगणना की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की मातृभाषाओं की कुल संख्या 19 हजार 569 है। हालाँकि, देश में 96.71 फीसदी आबादी की संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में से एक मातृभाषा है।
मातृभाषा दिवस क्यों मनाया जाता है?
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने के पीछे का मकसद है कि दुनियाभर की भाषाओं और सांस्कृतिक का सम्मान हो। इस दिन को मनाए जाने का उद्देश्य विश्वभर में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का प्रचार-प्रसार करना है और दुनिया में विभिन्न मातृभाषाओं के प्रति लोगों को जागरुक करना है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के सामान्य सम्मेलन ने 17 नवंबर 1999 में मातृभाषा दिवस मनाने की घोषणा की, जिसमें फैसला लिया गया कि 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाएगा।