सामयिक एवं सामरिक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण हिन्द प्रशांत क्षेत्र में भारत‚ आस्ट्रेलिया‚ जापान और अमेरिका का औपचारिक चतुर्भुज सुरक्षा ढांचा (क्वाड) या संगठन समकालीन समय में उत्पन्न ‘बेहद महत्वपूर्ण अंतर’ को पाट रहा है। वास्तव में ‘क्वाड’ का लक्ष्य हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामक गतिविधियों के बीच सामरिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र में नियम आधारित व्यवस्था को स्थापित करना है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि ‘मैंने भारत–चीन सीमा गतिरोध का मुद्दा आस्ट्रेलिया और चतुर्भुज सुरक्षा संवाद के सभी सदस्यों के साथ उठाया‚ क्योंकि चीन द्वारा लिखित समझौतों पर पालन नहीं करने पर देशों की ‘वैध चिंता’ है।
इस चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (क्वाड) में स्पष्ट ‘सकारात्मक संदेश और सकारात्मक दृष्टिकोण’ निहित है। विदेश मंत्री के रूप में जयशंकर आस्ट्रेलिया के पहले दौर में गए हैं। वह ‘क्वाड’ बैठक में भाग लेने के अलावा १२ फरवरी को आस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मारिस पायने के साथ भारत–आस्ट्रेलिया विदेश मंत्रियों की १२वीं वार्ता रूपरेखा की सह अध्यक्षता की और आज के दिन की शुरुआत रक्षा मंत्री पीटर डटन से मुलाकात के साथ की और ‘टू–प्लस–टू; चर्चा को आगे बढ़ाया। ‘क्वाड’ देशों के विदेश मंत्री हिंद–प्रशांत महासागर क्षेत्र को प्रत्येक प्रकार के दबाव से मुक्त रखने पर सहमत हैं। इसके लिए आपसी सहयोग को और अधिक मजबूत बनाने पर विशेष बल दिया। सभी देशों के शामिल विदेश मंत्रियों ने आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने और सीमा पार आतंकवाद फैलाने वाले देशों की खुलकर निंदा की। विदेश मंत्री एस जयशंकर‚ अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन‚ जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी और आस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मारिस पायने के साथ मेलबर्न में वार्ता की। मेलबर्न में आयोजित सदस्य देशों के बीच चतुर्भुज सुरक्षा संवाद से स्पष्ट हो गया कि ‘क्वाड’ देशों के बीच प्रगाढ़ द्विपक्षीय संबंधों‚ उनके रणनीतिक समन्वय तथा संयुक्त लोकतांत्रिक मूल्यों एवं स्वस्थ परम्पराओं ने इस संगठन को जीवंत और एक सशक्त समूह बना दिया है। चीन की हिंद प्रशांत क्षेत्र में निरंतर बढ़ती सैन्य आक्रमकता के दौरान इस वार्ता का उद्देश्य सिर्फ उसकी गतिविधियों पर अंकुश लगाना ही नहीं है‚ बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग एवं सदभाव को बढ़ाना भी है। क्वाड यह मानता है कि समुद्री क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून‚ शांति और सुरक्षा हिंद प्रशांत के विकास और समृद्धि को आधार बनाती है। हम अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन के महत्व को दोहराते हैं‚ विशेष रूप से समुद्र संबंधी कानून पर। चतुर्भुज सुरक्षा संवाद क्षेत्रीय पड़ोसियों को लचीलाप लाने और दुष्प्रचार का मुकाबला करने में सक्रिय सहयोग प्रदान कर रहा है। इसके साथ ही लचीला साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने और साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए क्षमता निर्माण को मजबूत बनाकर‚ रैंसमवेयर के बढ़ते संकटों का सामना करने के लिए हिंद–प्रशांत क्षेत्र में भागीदारों की सहायता करने के प्रयासों का समन्वय भी किया जाएगा। साइबर–स्पेस में अंतरराष्ट्रीय शांति व स्थिरता को बढ़ावा देने पर भी विशेष बल दिया जाने का स्पष्ट उल्लेख किया गया। इस संवाद में विदेश मंत्रियों के एजेंडे में क्वाड वैक्सीन पार्टनरशिप‚ जलवायु परिवर्तन‚ साइबर सुरक्षा‚ बाह्य अंतरिक्ष का शांतिपूर्ण उपयोग‚ बुनियादी ढांचा‚ शिक्षा तथा महत्वपूर्ण व उभरती हुई प्रौद्योगिकी को भी रखा गया है। संगठन के सदस्यों ने यह महसूस किया कि हम म्यांमार के संकट से गंभीर रूप से चिंतित हैं। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (क्वाड) के समारात्मक एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं‚ जिसका हमारे नेताओं ने विगत वर्ष समर्थन किया था। इसके साथ ही शिक्षा कार्यक्रमों और थिंक टैंक संवादों के माध्यम से हमारे लोगों से लोगों के बीच संबंधों को सुदृढ़ बनाने के लिए हर संभव प्रयास भी किए जाएंगे। हम एक सकारात्मक एजेंडे को आकार और सार देने के लिए मिलकर काम करेंगे‚ ताकि इसे मेरे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों में वैश्विक भलाई तथा श्रेष्ठ कार्य के लिए एक शक्ति के रूप में स्थापित किया जा सके।
समूह ने एक प्रौद्योगिकी डिजाइन‚ विकास‚ शासन और उपयोग पर ‘क्वाड’ सिद्धांतों का मसौदा तैयार किया‚ जिसे विगत वर्ष सितम्बर में शिखर सम्मेलन में नेताओं द्वारा पारित किया गया था। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने क्वाड की बैठक में स्पष्ट किया कि चीन के आक्रामक व विस्तारवादी सोच को लेकर हमारी चिंताएं साझा हैं। चीन का घरेलू स्तर पर बेहद आक्रामक रवैया तो है ही‚ किंतु इस हिंद प्रशांत क्षेत्र में भी उससे कहीं अधिक आक्रामक रु ख भी नजर आता है। निश्चित रूप से इस विशेष बैठक ने चीन की शतरंजी चाल को एक बार विफल करके उसे संशय में डाल दिया है। यूक्रेन–रूस विवाद के इस भीषण दौर में चीन जिस दबंगी से दम भर रहा था‚ उसकी हवा निकलने लगी। चीनी दबाव से निपटने के लिए आस्ट्रेलिया तथा लिथुआनिया रणनीतिक समस्याओं पर सहयोग बढ़ाने के लिए सहमत हो गए। अंततः इस चतुर्भुज सुरक्षा संवाद में विदेश मंत्रियों की वार्ता ने चीन के द्वारा रचे जा रहे चक्रव्यूह को एक बार अवश्य जोरदार झटका धीरे से दे दिया है।