वेश्विक महामारी कोरोना का कहर अब आहिस्ता–आहिस्ता कम होेने लगा है। संक्रमण दर में काफी कमी आई है और मरने वालों की संख्या भी न्यूनतम है। इसलिए केंद्र सरकार की सभी राज्यों से पाबंदियों को पूरी तरह हटाने या कम करने संबंधी अपील को सही कदम माना जाएगा। आंकड़़ो का अध्ययन करें तो इसी तथ्य की तस्दीक होती है। देश में दसवें दिन एक लाख से कम नये संक्रमित मिले। मौतें भी एक दिन में (बुधवार को) महज ५१४ हुई। सक्रिय मरीजों की संख्या ३‚७०‚२४० रह गई है। स्वस्थ होने की राष्ट्रीय दर ९७.९४ फीसद हो गई है। वहीं मुंबई में २ जनवरी के बाद कोरोना से कोई भी मौत की सूचना नहीं है। यानी अब सबकुछ इसी ओर इशारा करता दिखता है कि देश के ज्यादातर हिस्से महामारी पूर्व की स्थिति में लौटने लगे हैं। यही वजह है कि असम‚ हरियाणा और उत्तराखंड़ ने अपने यहां से सभी तरह के प्रतिबंध हटा लिये हैं। इसके बावजूद अभी सतर्क रहने की जरूरत है। थोड़़ी सी लापरवाही बना–बनाया खेल बिगाड़़ सकती है। पहले भी ऐसा हो चुका है। इस नाते केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से यह भी कहा कि कोरोना के मामले और उसके प्रसार पर दैनिक आधार पर निगरानी रखी जाए। वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों का भी यह मानना है कि नये वैरिएंट के आने पर खास असर नहीं होगा और यह सामान्य फ्लू बनकर रह जाएगा। बावजूद इसके सावधानी बरतनी होगी और कोरोना नियमों का पालन करते रहना होगा। ज्ञातव्य है कि कोरोना ने हमारे यहां पहली और दूसरी लहर में न केवल मानव संसाधन पर गहरा असर ड़ाला वरन अर्थव्यवस्था को गर्त में ड़ाल दिया। महंगाई और बेरोजगारी ने देश की दशा और दिशा को काफी हद तक बदल ड़ाला। इसलिए यह जरूरी था कि देश को अब ज्यादा दिनों तक इस जानलेवा बीमारी का बंधक नहीं बनने देना है। चूंकि देश की ७९ फीसद आबादी का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है और किशोरों व बच्चों को भी टीके की खुराक दी जा रही है। कह सकते हैं कि जिस बीमारी ने करीब ढाई वर्ष तक देश की हरेक गतिविधियों पर असर ड़ाला है‚ अब वह समाप्ति की ओर है। अलबत्ता‚ आमजन को भी बेहद सतर्कता और अनुशासित होकर उन निर्देशों का पालन करना चाहिए। तभी हमारी जय होगी।
ट्रंप का अजीबोगरीब व्यक्तित्व – दूसरे देशों में करा रहे पंचायत, खुद ईरान को दे रहे युद्ध की धमकी ………..
इस वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जहां भी जा रहे हैं, सिर्फ और सिर्फ युद्धविराम और शांति के पहाड़े पढ़...