विधानसभा चुनावों के बीच में ही कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने मंगलवार को कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी जमीनी हकीकत से दूर जा चुकी है और वह अब राष्ट्रीय मिजाज को प्रदर्शित नहीं करती। एक साक्षात्कार में उन्होंने यह भी कहा कि वह पार्टी के भीतर धैर्य रखने की पराकाष्ठा तक पहुंच गए थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में प्रेरक नेतृत्व का अभाव है और वह अस्तित्व की चुनौती का सामना कर रही है। कांग्रेस अपने पतन की ओर बढ़ रही है‚ लेकिन आत्मावलोकन करने के लिए तैयार नहीं है। इंडि़या गेट पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित करने और गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण दिए जाने को लेकर छिड़़े विवाद पर दुख जताते हुए कुमार ने कहा कि यह घटनाक्रम तुच्छ रवैये को प्रदर्शित करता है‚ जिसकी कांग्रेस से उम्मीद नहीं की जाती। यह पूछे जाने पर कि क्या पंजाब विधानसभा चुनाव से कुछ दिनों पहले उनके कांग्रेस छोड़़ने का कोई विशेष कारण है‚ इस पर उन्होंने कहा‚ पंजाब में राजनीतिक विमर्श कभी इतने निचले स्तर का नहीं था। मुख्यमंत्री पद को लेकर सरेआम लड़़ाई कांग्रेस के लिए खराब स्थिति रही और इस घटनाक्रम ने हम सभी को तुच्छ साबित किया। ऐसा लगा कि कुछ लोगों को छोड़़कर बाकी सभी लोग अप्रासंगिक हैं या सम्मान के हकदार नहीं हैं। उन्होंने दावा किया‚ अमरिंदर सिंह को अपमानित किया गया और इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया‚ जो अशुभ संकेत था। वह इससे कहीं बेहतर के हकदार थे। पंजाब की अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति को देखते हुए यह जरूरी है कि एक प्रगतिशील और परस्पर सहमति वाली राजनीति हो तथा तुच्छ व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों को खत्म किया जाए। भविष्य की योजना के बारे में पूछे जाने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा‚ मैंने अभी किसी पार्टी में शामिल होने के बारे में नहीं सोचा है‚ लेकिन मेरा इरादा यह जरूर है कि जनता और देश के लिए काम करने में सक्रिय बना रहूं। भविष्य के आगोश में क्या है‚ इस बारे में अभी से कुछ कहा नहीं जा सकता। पंजाब विधानसभा चुनाव के संदर्भ में उन्होंने कहा‚ पंजाब के चुनाव परिणाम बहुत सारे लोगों को चौंकाएंगे। मुझे लगता है कि आम आदमी पार्टी पंजाब में बहुत आसानी से अगली सरकार बना लेगी और भगवंत मान राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे। पंजाब सनसनीखेज राजनीतिक बदलाव के लिए तैयार है। कुमार ने यह भी कहा कि उनका कांग्रेस के ‘जी २३’ समूह से कोई लेना देना नहीं है। यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी कहते हैं कि भाजपा का मुकाबला करने से ड़रने वाले लोग कांग्रेस छोड़़ रहे हैं‚ इस पर कुमार ने कहा‚ पार्टी छोड़़ने को मजबूर नेताओं में कमी निकालने से बेहतर यह होगा कि पार्टी नेतृत्व अपना आत्मावलोकन करे।
उन्होंने यह भी कहा‚ क्षेत्रीय पार्टियों ने लोगों खासकर युवाओं की नब्ज को पकड़़ा है। कांग्रेस अब वस्तुतः तीन राज्यों की पार्टी रह गई है। क्षेत्रीय पार्टियां भविष्य में साझा न्यूनतम कार्यक्रम के आधार पर एकजुट हो सकती हैं‚ लेकिन इनमें से कोई अकेले भाजपा की राजनीतिक स्थिति को चुनौती नहीं दे सकती। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने अपनी चिंताओं से कांग्रेस अध्यध्क्ष सोनिया गांधी को अवगत कराया था‚ कुमार ने कहा‚ हां‚ लेकिन धैर्य की सीमा होती है। चुप सी हो गई दिल की धड़़कने‚ सो गई कहीं सारी आहटें‚ यहां सिर्फ खामोशी‚ अब सदाएं दे क्या किसी को हम‚ वक्त ने किया क्या हसीं सितम।
पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने पंजाब चुनाव से कुछ दिनों पहले मंगलवार को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। कुमार ने सोनिया गांधी को सुबह इस्तीफा भेजा और कहा कि वह पार्टी से बाहर रहकर देश के लिए बेहतर तरीके से कार्य कर सकते हैं। उन्होंने अपने त्यागपत्र में कहा‚ मैं ४६ वर्षों के लंबे जुड़़ाव के बाद पार्टी से अलग हो रहा हूं और आशा करता हूं कि ऐसे परिवर्तनकारी नेतृत्व से प्रेरित होकर जनता के लिए अतिसक्रियता से काम करता रहूंगा‚ उन्होंने अतीत की जिम्मेदारियों के लिए आभार प्रकट किया और उनकी अच्छी सेहत की कामना की।